सपा के दलित सांसद के काफिले पर हमला; करणी सेना यूपी की कानून-व्यवस्था से बड़ी कैसे हो गई?
27 अप्रैल को यूपी के अलीगढ़ में सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला हुआ. कथित तौर पर ये हमला करणी सेना ने किया, जिसने पहले ही इस बारे में खुलेआम धमकी दी थी

अप्रैल की 27 तारीख को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला हुआ. इसके बाद उन्हें धमकियां भी दी गईं. इस पूरे मामले से अब कुछ जरूरी सवाल उठते हैं कि कैसे राज्य में राजनीतिक स्कोर बराबर करने के लिए बेखौफ होकर कानून और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
सुमन के काफिले पर गभाना टोल प्लाजा के पास हमला हुआ. उन पर टायर और पत्थर फेंके गए, जिससे कई वाहनों के शीशे टूट गए. उन्हें गालियां और धमकियां भी दी गईं. कथित तौर पर सुमन के ऊपर ये हमला करणी सेना के प्रमुख लोगों और कार्यकर्ताओं ने किया. सुमन को हाल ही में राजपूत आइकन राणा सांगा पर अपनी विवादित टिप्पणियों के चलते इस संगठन का गुस्सा झेलना पड़ा था.
सुमन करीब 20 वाहनों के काफिले में बुलंदशहर में एक दलित परिवार के घर जा रहे थे. खबरों के मुताबिक, करणी सेना से जुड़े कुछ युवाओं का समूह वहां पहले से घात लगाए बैठा था. हमले के बाद, काफिला तेजी से निकलने की कोशिश में टोल प्लाजा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हालांकि अच्छी बात ये रही कि सुमन और उनके समर्थक बिना चोट के बच निकले. इस घटना के वीडियो क्लिप सामने आए हैं.
यह हमला खास तौर पर चिंताजनक है क्योंकि करणी सेना (एक राजपूत संगठन) ने खुलेआम सुमन के काफिले को निशाना बनाने की धमकी दी थी. सुमन के समर्थकों का दावा है कि इन धमकियों के बावजूद प्रशासन ने कोई खास सुरक्षा इंतजाम नहीं किए, जिससे पुलिस की तैयारियों और सरकारी प्रतिनिधियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं.
सुमन ने यूपी की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि यात्रा की जानकारी पहले से देने के बावजूद प्रशासन ने कोई सावधानी नहीं बरती. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनकी हत्या करवाना चाहती है.
हमले के बाद पुलिस ने सुमन के काफिले को बुलंदशहर में प्रवेश करने से रोक दिया, जिसके बाद सपा नेता अपने गृह क्षेत्र आगरा लौट गए. करणी सेना ने न सिर्फ इस घटना की जिम्मेदारी ली, बल्कि चेतावनी भी दी कि जब तक सुमन 16वीं सदी के राजपूत शासक राणा सांगा पर अपनी टिप्पणियों के लिए माफी नहीं मांगते, ऐसी घटनाएं जारी रहेंगी.
राणा सांगा पर विवाद मार्च में राज्यसभा चर्चा के दौरान शुरू हुआ, जिसमें सुमन ने बीजेपी नेताओं के कथित दावों का जवाब दिया था कि भारत के मुसलमानों में "बाबर का डीएनए" है. उन्होंने तर्क दिया था कि भारतीय मुसलमान बाबर की पूजा नहीं करते. और यह राणा सांगा ही थे जिन्होंने 1526 में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत "आमंत्रित" किया था.
हालांकि, सुमन ने साफ किया कि उनका इरादा बीजेपी के 'सांप्रदायिक' नैरेटिव का जवाब देना था, लेकिन उनकी टिप्पणियों ने खास कर राजपूत समूहों में तीव्र प्रतिक्रिया को जन्म दिया. जल्द ही सुमन के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
आगरा में सुमन के घर पर कथित तौर पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला किया. आगरा में ही, अखिल भारत हिंदू महासभा ने सुमन का पुतला जलाकर विरोध किया और उनकी जीभ काटने वाले के लिए 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया. करणी सेना ने विरोध को और बढ़ाते हुए सुमन का चेहरा काला करने और जूते से मारने के लिए 5 लाख रुपये के इनाम की पेशकश की.
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने अब कहा है कि हमले जारी रहने चाहिए. शेखावत ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "हम तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक हम उसे (सुमन) तोड़ नहीं देते. हमारे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा के नेतृत्व में, योद्धाओं ने अलीगढ़ के गभाना टोल के पास सांसद सुमन लाल को घेरकर आक्रामक रूप से हमला किया. दुर्भाग्यवश, एक बार फिर, कड़ी सुरक्षा के कारण वह बच निकला. क्षत्रिय करणी सेना इस हमले की जिम्मेदारी लेती है."
करणी सेना के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा ने भी जिम्मेदारी ली और निराशा जाहिर की कि सुमन सिर्फ कुछ गाड़ियों को मामूली नुकसान के साथ बच निकले. राणा ने सोशल मीडिया पर दावा किया, "अगर हमें उनकी यात्रा का रूट थोड़ा पहले पता होता, तो बेहतर न्यूज आती." राणा ने आगे धमकी दी: "हम तुम्हें घर से बाहर नहीं निकलने देंगे. हर बार पुलिस तुम्हें बचा लेती है, 'बाबर सुमन'. अगर पुलिस नहीं होती, तो मैं तुम्हें चूरन बनाकर खा जाता. मैं यूपी सरकार और प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि उसका (सुमन) सपोर्ट न करें."
सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हमले की कड़ी निंदा की और राज्य सरकार पर ऐसी अराजकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. 'एक्स' पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि अगर सरकार और प्रशासन अज्ञानता का नाटक कर रहे हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि अराजकता किसी को नहीं बख्शती.
अखिलेश ने पोस्ट किया, "सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर टायर और पत्थर फेंकना और उन पर हमला करना एक दुर्घटना का कारण बना, जो घातक हो सकता था. यह एक आपराधिक कृत्य है. इतने सारे टायर इकट्ठा करना अपने आप में एक गहरी साजिश का सबूत है. यह एक बार फिर खुफिया जानकारी की गहरी चूक या जानबूझकर की गई अज्ञानता है. अराजकता किसी को नहीं बख्शती; एक दिन बीजेपी और उसके सहयोगी भी ऐसे हिंसक तत्वों का शिकार बनेंगे."
बीजेपी सरकार का मखौल उड़ाते हुए उन्होंने कहा: "क्या देश में किसी सांसद पर घातक हमले का संज्ञान लेने वाला कोई है, या फिर उच्चवर्गीय लोगों की सरकार शर्मनाक चुप्पी के साथ अंडरग्राउंड हो जाएगी क्योंकि वह (सुमन) एक 'पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) सांसद' हैं. क्या बुलडोजर ने अपनी ताकत खो दी है या यूपी सरकार ने अराजकता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है, या यह सब यूपी सरकार की सहमति से हो रहा है?"
अलीगढ़ पुलिस ने कहा कि एक मामला दर्ज किया गया है और पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है. अलीगढ़ के एसपी (शहर) मृगांक शेखर पाठक ने एक बयान में कहा, "प्रासंगिक धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई है, और कानूनी कार्रवाई चल रही है. सपा सांसद और उनके काफिले को अलीगढ़ से बाहर सुरक्षित निकाला गया. मामले में लापरवाही के लिए बीट कांस्टेबल और स्थानीय चौकी प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और थाना प्रभारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई."
सुमन के खिलाफ जमीन पर प्रतिक्रिया जारी है. 12 अप्रैल को करणी सेना ने राणा सांगा की जयंती पर आगरा में 'रक्त स्वाभिमान सम्मेलन' आयोजित किया था, जहां नेताओं ने सुमन की टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की. इस आयोजन का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वहां मौजूद एक व्यक्ति ने कथित तौर पर अखिलेश को गोली मारने की धमकी दी.
अखिलेश ने अपनी पार्टी के दलित नेताओं का जोरदार समर्थन किया है. उन्होंने करणी सेना के कार्यक्रम को 'राज्य प्रायोजित' बताते हुए पलटवार किया और बीजेपी और उसकी सरकार पर जाति आधारित हमले कराने का आरोप लगाया. सपा नेताओं ने इस मुद्दे को अखिलेश के पीडीए पिच के साथ जोड़ते हुए दलितों और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) पर हमले के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है.