एशियाई खेलों में कैसे छाए उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी?

उत्तर प्रदेश की खेल राजधानी के नाम से प्रसिद्ध मेरठ जिले के खि‍लाड़ियों ने एशियाई खेलों में सबसे चौंकाने वाला प्रदर्शन किया है

मेरठ की पारुल चौधरी ने 5000 मीटर दौड़ में जीता स्वर्ण पदक
मेरठ की पारुल चौधरी ने 5000 मीटर दौड़ में जीता स्वर्ण पदक

चीन के हांगझोऊ एशियाई खेलों में पदकों का शतक लगाकर भारत ने इतिहास रच दिया. एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहला मौका था जब भारत ने इतने पदक जीते. भारत के पदकों का शतक पूरा कराने में उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा है.

एशि‍याई खेलों के महाकुंभ में पहली बार यूपी से कुल 36 एथलीटों ने अपनी चमक दिखाई. इन खिलाड़ियों ने सात स्वर्ण, आठ रजत और आठ कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. यह पहला मौका था जब यूपी के खि‍लाड़ियों की झोली में इतने सारे पदक आए हों.

इससे पहले 2018 के जकार्ता और 2014 के इंचियॉन (दक्ष‍ि‍ण कोरिया) में उत्तर प्रदेश के खि‍लाड़ियों ने 11-11 पदक ही जीते थे. उत्तर प्रदेश की खेल राजधानी के नाम से प्रसिद्ध मेरठ जिले के खि‍लाड़ियों ने सबसे चौंकाने वाला प्रदर्शन किया है. एशियाई खेलों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 13 एथलीटों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. इनमें से छह मेरठ जिले से हैं और चार ने दो स्वर्ण सहित पांच पदक जीते हैं. पारुल चौधरी मेरठ जिले के गांव इकलौता की रहने वाली हैं. उन्होंने 5000 मीटर और 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीता. मेरठ के बहादुरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी ने भाला फेंक में गोल्ड जीता. लंबी दूरी की दौड़ और गोला फेंक में क्रमश: कांस्य पदक हासिल करने वाले गुलवीर सिंह और किरण बालियान का भी मेरठ से गहरा नाता है. एथलीटों को मेरठ के जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन द्वारा प्रशिक्षित किया गया था.

उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले का अपना जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन है. फिर भी, मेरठ खेल से जुड़े प्रशिक्षण और सुविधाओं के लिए जाना जाता है. जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन, मेरठ के सचिव अनु कुमार बताते हैं, "जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन मेरठ और अन्य जिला एसोसिएशनों के साथ मिलकर प्रशासन और प्रशिक्षकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है कि आज मेरठ के एथलीट दुनिया में नाम कमा रहे हैं. एसोसिएशन सरकार से एक भी पैसा प्राप्त किए बिना व्यक्तिगत स्तर पर युवा एथलीटों की मदद कर रही है."

मेरठ का जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स एसोसिएशन और एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया से संबद्ध है. राज्य में सर्वश्रेष्ठ एथलीट पैदा करने के बावजूद, इसे सरकारी धन प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. अनु कुमार के मुताबिक एसोसिएशन को सरकार से कोई मदद नहीं मिलती. एसोसिएशन अपने खर्चे निकालने के लिए खुद प्रयास करता है. प्रबंधन को भी एसोसिएशन से कोई मदद नहीं मिलती है.

सात साल पहले मेरठ जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन ने जिले में खेलों को बढ़ावा देने के लिए नया तरीका अपनाया था. इसने निजी खेल अकादमियों के साथ गठजोड़ करने और अपने खिलाड़ियों को भागीदारी के प्रमाण पत्र और अकादमियों को आवश्यक धनराशि प्रदान करने का निर्णय लिया. वर्तमान में जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन से संबद्ध 12 खेल अकादमियां हैं, जो लगभग 650 खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करती हैं. एसोसिएशन और उससे संबद्ध निजी अकादमियां 8 से 19 वर्ष की उम्र के एथलीटों को प्रशिक्षि‍त करती हैं. अकादमियां एक एथलीट से 200 से 500 रुपए प्रति माह शुल्क लेती हैं.

एसोसिएशन और निजी अकादमियों के सभी एथलीट जिला और राज्य एथलेटिक चैंपियनशिप में भाग लेने के पात्र हैं. मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते हैं, लेकिन स्टेडियम में सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण, एसोसिएशन ने अपने एथलीटों को प्रशिक्षित करने के लिए अन्य विकल्पों की तलाश की है.

अनु कुमार बताते हैं, "एसोसिएशन अब अपने खिलाड़ियों को एमपी सिंह स्पोर्ट्स अकादमी में प्रशिक्षित करता है, जो दिल्ली पब्लिक स्कूल के स्वामित्व में है, क्योंकि इसमें बेहतर इनडोर और आउटडोर खेल सुविधाएं हैं. हमारे पास दो कोच हैं जो लगभग 60 खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करते हैं. एसोसिएशन की वेबसाइट है, जहां जिलों और राज्यों में आगामी खेल आयोजनों, परिणामों और भागीदारी के बारे में अपडेट मिलता है." एसोसिएशन के पास निगरानी और पारदर्शिता के लिए अकादमियों में प्रवेश के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी है.

खेल वि‍भाग के एक अधिकारी अनु कुमार के दावों से इत्तेफाक नहीं रखते. अधिकारियों का दावा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. इनके मुताबिक योगी सरकार में खेलों को बढ़ाने में सम्मिलित निजी संस्थाओं को भी राज्य सरकार द्वारा नीति बनाकर सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. ये निजी संस्थाएं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रही हैं. प्रदेश सरकार द्वारा खिलाड़ियों को प्रत्येक स्तर की विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. योगी सरकार ने खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए पुरस्कार राशि में भी वृद्धि की है. ओलंपिक खेल में एकल प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर 6 करोड़ रुपए, रजत पदक में 4 करोड़ रुपए तथा कांस्य पदक में 2 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की जाती है.

टीम प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक पर 3 करोड़ रुपए, रजत पदक पर 2 करोड़ रुपए, कांस्य पदक पर 1 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि निर्धारित की गई है. राष्ट्रमण्डल खेलों में भी स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को क्रमशः 1.50 करोड़ रुपए, 75 लाख रुपए और 50 लाख रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की जा रही है तथा इसमें प्रतिभाग करने वाले राज्य के प्रत्येक खिलाड़ी को 5 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है. एशियाई खेलों में स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक विजेता खिलाड़ियों को क्रमशः 3 करोड़ रुपयए, 1.5 करोड़ रुपए और 75 लाख रुपए पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के पहले खेल विश्वविद्यालय का निर्माण भी जनपद मेरठ में कराया जा रहा है, जिसमें अन्तरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की सभी खेल गतिविधियों के प्रशिक्षण की सुविधा होगी. 

उत्तर प्रदेश इन खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में दिखाई धमक

  • पारुल चौधरी (मेरठ) : ए‍थलेटिक्स (5000 मीटर दौड़),  स्वर्ण पदक 
  • अन्नू रानी (मेरठ) : एथलेटिक्स (जैवलिन थ्रो), स्वर्ण पदक 
  • रिंकू सिंह (अलीगढ़) : क्र‍िकेट, स्वर्ण पदक 
  • दीप्ती शर्मा (आगरा) : क्र‍िकेट, स्वर्ण पदक 
  • ललित कुमार उपाध्याय (वाराणसी) : हाकी, स्वर्ण पदक 
  • अखि‍लेश श्योरन (बागपत) : शूटिंग, स्वर्ण पदक 
  • अर्जुल देशवाल (मुजफ्फरनगर) : कबड्डी, स्वर्ण पदक 
  • पारुल चौधरी (मेरठ) : एथलेटिक्स (3000 मीटर स्टीपलचेज), रजत पदक 
  • अजय कुमार सरोज (प्रयागराज) : एथलेटिक्स (1500 मीटर दौड़), रजत पदक
  • कार्तिक कुमार (बुलंदशहर) : एथेलेटिक्स ( 10000 मीटर दौड़), रजत पदक 
  • पुनीत कुमार (मुजफ्फरनगर) : रोईंग (कॉक्सलेस 8), रजत पदक 
  • नीरज (बागपत) : रोईंग (कॉक्सलेस 8), रजत पदक 
  • नितेश (बागपत) : रोईंग (कॉक्सलेस 8), रजत पदक 
  • प्राची (सहारनपुर) : एथेलेटिक्स (4x400 मीटर), रजत पदक 
  • अरविंद सिंह (बुलंदशहर) : रोईंग (लाइटवेट डबल स्कल), कांस्य पदक 
  • पुनीत (मुजफ्फरनगर) : रोईंग (कॉक्सलेस 4), कांस्य पदक 
  • सीमा पुनिया (मेरठ) : एथेलेटिक्स (डिस्कस थ्रो), कांस्य पदक 
  • किरन बालियान (मेरठ) : एथेलेटिक्स (शार्टपुट), कांस्य पदक 
  • रामबाबू (सोनभद्र) : एथेलेटिक्स (35 किमी मिक्सड वॉक), कांस्य पदक 
  • वंदना कटारिया (मेरठ) : हॉकी, कांस्य पदक 
  • गुलवीर सिंह (अलीगढ़) : 10000 मीटर दौड़, कांस्य पदक

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