अलीगढ़ : अब हथियारों के लिए भी पहचानी जाएगी ताला और तालीम की नगरी!

यूपी डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर के अलीगढ़ नोड में अमेरिकी कंपनी स्मिथ एंड वेसन की तकनीक से शुरू हुई हथियार बनाने की फैक्ट्री

अलीगढ़ की खैर तहसील के अंडला में स्थित डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
अलीगढ़ की खैर तहसील के अंडला में स्थित डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और ताला उद्योग के अलावा अलीगढ़ शहर, खिलौना रिवॉल्वर और ऐसे ही दूसरे खिलौनों के लिए भी पहचाना जाता रहा है. अब खबर है कि यह शहर खिलौनों से आगे निकलकर असली हथियारों के लिए भी अपनी पहचान बनाने जा रहा है. अलीगढ़ जिला मुख्यालय से खैरेश्वर महादेव होते हुए करीब 17 किलोमीटर आगे बढ़ने पर अंडला गांव के आसपास का इलाका अब डिफेंस कॉरिडोर में तब्दील हो गया है.

इसी डिफेंस कॉरिडोर के प्लॉट नंबर 12 और 15 में करीब 88 करोड़ रुपए के निवेश के साथ हथियार उत्पादक फर्म 'वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड' ने पिछले साल अपनी फैक्ट्री के निर्माण का काम पूरा कर लिया था. वहीं, 2024 की शुरुआत में गृह मंत्रालय से हथियार बनाने की एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मिलने के बाद अप्रैल में पिस्टल और रिवाल्वर का उत्पादन हुआ.

अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर की यह पहली इकाई है जिसने उत्पादन शुरू किया है. अमेरिकी कंपनी 'स्मिथ एंड वेसन' के तकनीकी सहयोग से 'वेरीविन डिफेंस कंपनी' 32 बोर और 357 बोर की रिवॉल्वर बना रही है. इसके अलावा 32 बोर और 9 एमएम बोर की पिस्टल का उत्पादन भी किया जा रहा है. वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मोहित शर्मा के मुताबिक, अप्रैल में उत्पादन शुरू होने के बाद से अब तक दो हजार से अधिक हथियारों की बिक्री की जा चुकी है. कंपनी को पांच हजार आर्डर मिल चुके हैं. यह साबित करता है कि अलीगढ़ में बनने वाले हथियार कितनी अच्छी गुणवत्ता के हैं.

अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में 32 बोर रिवॉल्वर का मॉडल 431 पीडी, 357 बोर रिवॉल्वर का मॉडल 60, 32 बोर पिस्टर का मॉडल विक्टर और 9 एमएम बोर पिस्टर का विक्टर 9 मॉडल भी तैयार किया जा रहा है. इन हथियारों की शुरुआती कीमत 1.80 लाख रुपये है. जल्द ही अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित फैक्ट्रियों से आम लोग भी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर हथियार खरीद सकेंगे.

वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड और अमेरिकी कंपनी स्मिथ एंड वेसन के साझा करार में तैयार की गई पिस्टल।

अप्रैल से उत्पादन करने वाली इस यूनिट की प्रति माह की उत्पाद क्षमता पांच सौ हथियार की है. वहीं अब तक यहां के बने करीब एक हजार हथियार बाजार में पहुंच गए हैं. पांच हजार के करीब ऑर्डर और हैं, जिन पर तेजी से काम चल रहा है. बहुत जल्द यहां के हथियार सेना और कई राज्यों की पुलिस के पास भी दिखेंगे. अलीगढ़ के संयुक्त आयुक्त, उद्योग बीरेंद्र कुमार बताते हैं, "अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित रक्षा आयुध निर्माण फैक्ट्री सेना, पैरामिलिट्री और पुलिस को भी हथियारों की सप्लाई करेगी. इसको लेकर ट्रायल चल रहा है. ट्रायल पूरा होने के बाद क्लीयरेंस मिलने के बाद सप्लाई की जाएगी. एजेंसियों की डिमांड पर इसको तैयार किया जाएगा."

अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में पिस्टल, रिवाल्वर के अलावा कार्बाइन, कारतूस, सेमी ऑटोमेटिक पंप एक्शन बंदूक का भी उत्पादन होगा. डिफेंस कॉरिडोर में हथियारों के ट्रायल के लिए इनडोर और आउटडोर शूटिंग रेंज भी बनाई गई है. आउटडोर शूटिंग रेंज 50 मीटर की तैयार की गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना की घोषणा थी. इसी क्रम में अलीगढ़ में आयोजित बैठक में रक्षा उत्पादन में 3700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा के साथ 'उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर' की शुरुआत 11 अगस्त 2018 को हुई. लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट इन 6 नोड्स को देखते हुए यह योजना बनाई गई है, जो उत्तर प्रदेश के मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में फैली है और दिल्ली-कोलकाता को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज के साथ एक्सप्रेसवे के नेटवर्क से भी जुड़ी है.

अलीगढ़ जिले की तहसील खैर में डिफेंस कॉरिडोर अलीगढ नोड प्रथम फेज को विकसित करने में कुल 87.49 हेक्टेयर जमीन तीन चरणों में खरीदी गई. इनमें से 62.66 हेक्टेयर जमीन पर कुल 24 भूखण्ड विकसित किए गए हैं. पहले चरण में विकसित कुल 24 भूखण्डों का आवंटन 22 इकाईयों को किया गया, जिनमें केवल दो "वेरिविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड" और "एमिटेक इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड" ने रक्षा उत्पादन शुरू कर दिया है.

अलीगढ़ की भौगौलिक स्थ‍िति के कारण यह इलाका रक्षा उत्पाद वाली कंपनियों का पसंदीदा स्थल बनकर उभरा है. अलीगढ़ के एक उद्यमी एस.के. गुप्ता बताते हैं, "अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक है तो यहां से करीब में बन रहा जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ने भी डिफेंस कारिडोर के लिए रक्षा कंपनियों में उत्सुकता जगाई है. यमुना एक्सप्रेसवे से नजदीकी ने भी अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर को एक पहचान दी है."

इसीलिए अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर के दूसरे चरण के लिए जिले की तहसील कोल में जलूपुर सिहोर तथा जसरथपुर में 87.88 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है. जल्द ही अधिग्रहण की प्रकिया शुरू की जाएगी.

आने वाले दिनों में अलीगढ़ में बनने वाले 'फ्लायर' भी देश के रक्षा उत्पादों को एक नई उड़ान देंगे. वायु सेना के विमान जब उड़ान भर रहे होते हैं या फिर युद्ध के समय दुश्मनों के ऊपर बमबारी कर रहे होते हैं. तब तक दुश्मन इन विमानों को नष्ट करने के लिए गाइडेड मिसाइल छोड़ देते हैं. यह मिसाइल उस लड़ाकू विमान के पीछे पड़ जाती है. गाइडेड मिसाइल को भटकाने के लिए लड़ाकू विमान जैसे दिखने वाले बारूद से लैस छोटे आकार के फ्लायर आ जाते हैं. इससे गाइडेड मिसाइल खुद भ्रमित होकर इनके पीछे पड़ जाती है. फिर इसे नष्ट कर खुद भी धमाके के साथ नष्ट हो जाती है. इस तरह यह फ्लायर दुश्मनों के रडार सिस्टम को फेल करने में सफल हो जाते हैं.

जल्द ही अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में भी मेक इन इंडिया अभि‍यान के तहत फ्लायर का निर्माण होने से भारत की रूस, अमेरिका और इजराइल जैसे देशों से फ्लायर खरीदने की निर्भरता खत्म हो जाएगी. अलीगढ़ में बनने वाले फ्लायर की कीमत विदेश में बनने वाले फ्लायर की करीब एक तिहाई बैठेगी.

अलीगढ़ के डिफेंस कॉरिडोर में दो कारखानों में उत्पादन शुरू हो गया है तो 8 इकाइयों में अभी भी निर्माण कार्य जारी है. जिले स्तर पर आवंटियों के साथ अनेक बैठकें होने के बावजूद भी तीन आवंटी 'पी टू लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड', 'ट्रेकट्रिक्स ऑप्टो डायनामिक्स' और 'न्यू स्पेस रिसर्च एण्ड टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड' ऐसे हैं, जिनके द्वारा अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में फैक्ट्री लगाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है.

बीरेंद्र कुमार बताते हैं, "जिन लोगों ने जमीन आवंटन के बाद भी अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में अपना निर्माण कार्य नहीं शुरू किया है, उनको आवंटित भूखण्डों के निरस्त किये जाने की संस्तुति मण्डल तथा जनपद स्तर से की गई है."

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