उत्तर प्रदेश : आजमगढ़ में अखिलेश यादव के ‘पीडीए भवन’ का क्या है गणित?

पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी का नया कार्यालय बना है जिसे उद्घाटन के बाद अखिलेश यादव ने नाम दिया है ‘पीडीए भवन’

आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी का नए कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर अखिलेश यादव
आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी का नए कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर अखिलेश यादव

यूपी के पूर्वी जिले आजमगढ़ के अनवरगंज इलाके में फैजाबाद राजमार्ग के किनारे 80 हजार वर्ग फीट से अधि‍क जमीन पर बनी एक सफेद रंग की इमारत इन दिनों समाजवादी पार्टी (सपा) कार्यकर्ताओं और नेताओं की जिज्ञासा का केंद्र बन गई है. 

वजह यह है कि यह इमारत न केवल आजमगढ़ में सपा का नया कार्यालय है बल्क‍ि इसका उपयोग पार्टी के मुखि‍या अखि‍लेश यादव के निवास के तौर पर भी किया जाएगा. आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के नए कार्यालय का उद्घाटन अखिलेश यादव ने 3 जुलाई को काफी धूमधाम से किया.

पार्टी बता रही है कि पूरे राज्य में ऐसे कार्यालय बनाए जा रहे हैं और यह उसी कड़ी का हिस्सा है. लेकिन सपा नेतृत्व की रणनीति के अनुसार ऐसा लग रहा है कि 2027 का विधानसभा चुनाव आते-आते यह परिसर सपा के पूर्वांचल मुख्यालय का रूप ले लेगा. 

साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आजमगढ़ से तत्कालीन सांसद अखि‍लेश यादव ने पूर्वांचल में पार्टी की गतिविधि‍यों पर नजर रखने के लिए एक ऐसे ऑफिस की जरूरत महसूस की थी जो इस काम के लिहाज से सभी सुविधाओं से लैस हो. 

इसके बाद से पार्टी नेताओं ने आजमगढ़ में सपा के एक हाइटेक कार्यालय,  जिसे अखि‍लेश यादव के कैम्प कार्यालय की तरह भी उपयोग किया जा सके, के लिए जमीन तलाशना शुरू की. अखिलेश यादव ने जनवरी 2021 में आजमगढ़-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-233) के पास अनवरगंज क्षेत्र में पार्टी के नाम से 38 बिस्वा जमीन की रजिस्ट्री कराई थी. इसके बाद कुछ और ज़मीन खरीदी गई, जिससे कुल भूमि 68 बिस्वा तक पहुंच गई. 

यह ज़मीन पूरी तरह से रणनीतिक दृष्टि से चुनी गई थी ताकि शहर के पास पार्टी की मजबूत उपस्थिति स्थापित की जा सके. जमीन की खरीद के बाद लगातार निर्माण कार्य चला, जिसकी निगरानी सांसद धर्मेंद्र यादव और सीनियर पार्टी नेताओं ने की. यह जमीन पार्टी के नाम पर करीब 6.5 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी. 

आजमगढ़ के प्रतिष्ठ‍ित शिब्ली नेशनल कालेज के पूर्व प्राचार्य ग्यास असद खां बताते हैं, “पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश यादव लंबे समय से इस क्षेत्र में एक पूर्ण पार्टी कार्यालय की आवश्यकता महसूस कर रहे थे. ऐसा इसलिए था क्योंकि सपा प्रमुख मध्य यूपी के मामलों को लखनऊ से ही संभाल रहे थे, जबकि उनका सैफई आवास पश्चिमी यूपी के क्षेत्रों के लिए पार्टी के केंद्र के रूप में काम करता था. पूर्वांचल बेल्ट जिसमें 28 जिले और 164 विधानसभा सीटें हैं, को लखनऊ से संभालना एक कठिन काम रहा है.” 

पूर्वांचल में सपा का कोई बड़ा शक्त‍िकेंद्र या कार्यालय न होने का एक असर विधानसभा चुनावों में साफ दिखा था. जमीनी स्तर पर पकड़ न बना पाने के कारण पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल की 164 सीटों में से केवल 14 और 2022 के विधानसभा चुनाव में केवल 53 सीटें ही जीत पाई थी. 

विधानसभा चुनाव में सपा के कमजोर प्रदर्शन के लिए पूर्वांचल की विधानसभा सीटों पर पर्याप्त बढ़त न मिलना एक बड़ा कारण बनकर उभरा था. गयास असद खां बताते हैं, “आजमगढ़ में सपा प्रमुख का कैम्प कार्यालय बन जाने से पूर्वी यूपी में पार्टी की जमीनी तैयारियों पर न केवल लगातार नजर रखी जा सकेगी बल्क‍ि इन इलाकों के नेता व कार्यकर्ता भी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधे संपर्क में रह सकेंगे. अब उन्हें लखनऊ दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.” 

नए सपा कार्यालय का परिसर आजमगढ़ जिला मुख्यालय से बमुश्किल 3 किमी और मंदुरी हवाई पट्टी से 7 किमी दूर स्थित है, जिससे वरिष्ठ नेताओं के लिए नियमित अंतराल पर यहां आना-जाना आसान हो जाएगा. सपा प्रमुख आजमगढ़ पार्टी कार्यालय से ही पूर्वांचल क्षेत्र की 164 विधानसभा सीटों पर पार्टी के 2027 के चुनाव अभियान की निगरानी करेंगे. ज़िला मीडिया प्रभारी विवेक सिंह के अनुसार, भवन के ग्राउंड फ्लोर पर आगंतुकों से मुलाकात के लिए विशेष कक्ष, निजी सचिव का कार्यालय, सुरक्षा कर्मचारियों के लिए अलग रूम, और आम लोगों से संवाद के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है. 

पहले तल पर अखिलेश यादव के निजी निवास, बैठक व विश्राम के लिए विशेष कमरे बनाए गए हैं. इसके अलावा, अखिलेश यादव 2000 लोगों की क्षमता वाले भव्य ऑडिटोरियम का भी शिलान्यास करेंगे, जहां भविष्य में पार्टी की बैठकें, कार्यक्रम और प्रशिक्षण सत्र आयोजित होंगे. सपा के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, "आजमगढ़ में सपा कार्यालय की एक रणनीतिक स्थ‍िति भी है. यह सपा की मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी- भाजपा के दो महत्वपूर्ण शक्ति केंद्रों के बीच में आता है. गोरखपुर - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला आजमगढ़ के उत्तर में स्थित है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी दक्षिण में पड़ता है." 

सपा के रणनीतिकारों को विश्वास है कि आजमगढ़ पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से पार्टी को पूर्वांचल की आबादी में अपनी पीडीए रणनीति को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिसमें यादव, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जैसे कुर्मी, राजभर और कुशवाहा, के साथ-साथ मुस्लिम भी शामिल हैं. इसलिए यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि अखिलेश ने आजमगढ़ में नए पार्टी कार्यालय का नाम ‘पीडीए भवन’ रखा था. 

2024 के लोकसभा चुनावों में पीडीए – जिसमें पिछड़े (पिछड़े वर्ग), दलित और अल्पसंख्यक (अल्पसंख्यक) शामिल हैं – ने यूपी में सपा का साथ दिया था और 37 सीटों पर जीत हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. पार्टी का संसदीय चुनावों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. लोकसभा चुनाव के बाद से अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत को ही आगे बढ़ाते दिख रहे हैं. इसीलिए आजमगढ़ में अपने लिए एक आवास और साथ में पार्टी कार्यालय बनाने के पीछे इस जगह से एक भावनात्मक जुड़ाव भी है. साल 2015 में एक रैली के दौरान सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कहा था: “अगर मैनपुरी मेरा दिल है तो आजमगढ़ मेरी धड़कन है.” 

आजमगढ़ के लिए मुलायम की भावनाएं निराधार नहीं थीं. यह जिला चुनावों में सपा का गढ़ रहा है. 2012 के विधानसभा चुनावों में सपा ने जिले की सभी 10 विधानसभा सीटों पर कब्ज़ा किया था. 2017 में पार्टी ने 9 सीटें जीतीं और 2022 में भी पार्टी ने सभी 10 सीटें जीतीं. आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र ने अब तक मुलायम सिंह (2014), अखिलेश यादव (2019) और मौजूदा सांसद धर्मेंद्र यादव सहित 5 सपा नेताओं को संसद भेजा है.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से आजमगढ़ में सपा का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव वाला रहा है. विधानसभा चुनाव 2022 में सपा ने इतिहास रचते हुए जहां पहली बार जिले की सभी 10 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया तो वहीं विधान परिषद और लोकसभा उपचुनाव में सपा का किला दरक गया. इसके पीछे कई कारण माने जा सकते हैं. इन चुनावों में सपा मुखिया ने अपने प्रत्याशी के लिए प्रचार करना मुनासिब नहीं समझा था. जिसका असर चुनाव नतीजों में दिखा है. 

वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा प्रमुख अधिलेश यादव आजमगढ़ के सभी जातीय समीकरण दुरुस्त किए. 2022 का लोकसभा उपचुनाव लड़ चुके गुडडू जमाली को साइकिल पर सवार करवाकर अखिलेश ने आजमगढ़ को एक मजबूत दुर्ग में तब्दील करने की कोशिश की जिसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव की भारी जीत के रूप में सामने आया. हालांकि आजमगढ़ में कार्यालय सह आवास का निर्माण कराकर यहां से मिली बढ़त को पूरे पूर्वांचल में फैलाने की रणनीति कितनी कामयाब होगी यह भाजपा की तैयारी और कई दूसरे मुद्दों पर भी निर्भर करेगा.

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