उत्तर प्रदेश : क्या ‘मुलायम मेमोरियल’ से राजनीति में नई इबारत लिख पाएगी समाजवादी पार्टी?

अपने जन्मदिन पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सैफई में 'समाजवादी स्मारक' के लिए कार्यकर्ताओं से चंदा देने की अपील की थी. 18 एकड़ पर बन रहा यह स्मारक केवल एक संरचना नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा की राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है

अखिलेश यादव सैफई में बन रहे 'समाजवादी मेमोरियल' पर (फाइल फोटो)
अखिलेश यादव सैफई में बन रहे 'समाजवादी मेमोरियल' पर (फाइल फोटो)

समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने 52वें जन्मदिन के एक दिन पहले 30 जून को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, “इस वर्ष अपने सभी शुभचिंतकों से मेरी विनम्र अपील है कि मेरे जन्मदिन के अवसर पर किसी भी प्रकार की पुष्प गुच्छ भेंट, प्रतिमा, तस्वीर, पार्टी के चिह्न साइकिल की प्रतिकृतियों या किसी भी अन्य प्रकार की भेंट की जगह अपना-अपना योगदान माननीय नेता जी के निर्माणाधीन ‘समाजवादी स्मारक’ में अपने ‘आस्था अंशदान’ के रूप में पार्टी कार्यालय में आधिकारिक रूप से जमा कराएं. समाजवादी मूल्यों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और आपके इस सहयोग के धन्यवाद स्वरूप हर अंशदाता का नाम ‘समाजवादी स्मारक सहयोग पुस्तिका’ में प्रकाशित किया जाएगा.” 

जन्मदिन पर अखिलेश यादव की इस अपील से उनके पैतृक गांव इटावा के सैफई में बन रहा स्मारक चर्चा में आ गया. सैफई में हनुमान जी की विशाल प्रतिमा के पीछे मेला ग्राउंड के एक हिस्से में अखि‍लेश यादव के पिता और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की याद में 18 एकड़ जमीन पर एक विशाल स्मारक आकार ले रहा है. इसका शिलान्यास सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 22 नवंबर 2023 को मुलायम के जन्मदिन के अवसर पर किया था. 

इस स्मारक का डिजाइन यूएस के वाशिंगटन डीसी में बने लिंकन मेमोरियल से प्रेरित है, जो पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की याद में बनाया गया है. हैदराबाद स्थित एक निर्माण एजेंसी के विशेषज्ञों की निगरानी में बन रहे इस स्मारक में 100 से ज्यादा मजदूर दिन रात काम कर रहे हैं. प्रस्तावित तीन मंजिला इमारत का भूतल पूरा होने वाला है और पहली मंजिल पर काम शुरू हो गया है. 

स्मारक की मुख्य इमारत 27 मीटर ऊंची तीन मंजिलों की होगी. इस स्मारक में पहली मंजिल पर मुलायम सिंह यादव की कांसे की 6 मीटर ऊंची प्रतिमा होगी. यहां इस्तेमाल की जा रही निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच के लिए जमीन पर एक प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है. यह संरचना ऐसी होगी कि यह कम से कम 100 साल तक खड़ी रह सके.  स्मारक तक जाने वाले मार्ग के दोनों ओर एक हरा-भरा बगीचा और लॉन होगा और प्रवेश द्वार के पास दुकानें, आगंतुक केंद्र और संग्रहालय भी होंगे. 

करीब 80 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस स्मारक का निर्माण सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिले चंदे से ही कराया जा रहा है. हालांकि अभी तक इस उद्देश्य के लिए आधिकारिक रूप से कोई खाता नहीं बनाया गया है लेकिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि सपा के खाते में ही कार्यकर्ता और नेता अपना योगदान जमा करवा रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के साथी रहे और यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय बताते हैं, “सैफई में बन रहे नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के स्मारक में सपा का छोटा बड़ा सभी कार्यकर्ता आना योगदान देना चाहता है. यह 11 रुपये से लेकर 51,000 रुपये या इससे अधिक भी हो सकता है. आर्थ‍िक योगदान लेने का का मुख्य उद्देश्य हर किसी को अपने नेता के स्मारक से जुड़ाव का एहसास कराना है.” 

सैफई में मुलायम सिंह यादव के स्मारक का निर्माण हर हाल में मार्च 2027 में प्रस्तावित यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सैफई में मुलायम सिंह यादव स्मारक बनाने से समाजवादी पार्टी (सपा) को राजनीतिक, भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर कई तरह के लाभ हो सकते हैं. स्मारक के ज़रिए यह संदेश दिया जाएगा कि मुलायम सिर्फ सपा के नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत के बड़े नेता थे. यह स्मारक सपा कार्यकर्ताओं को गर्व और प्रेरणा देगा, जिससे पार्टी के अंदर एकजुटता और ऊर्जा बनी रह सकती है. लखनऊ के जय नारायण डिग्री कालेज में राजनीति शास्त्र विभाग के प्रमुख ब्रजेश मिश्र बताते हैं, “मुलायम सिंह यादव सपा के संस्थापक और एक मजबूत जननेता रहे हैं. स्मारक उनके योगदान को सहेजने का प्रतीक बनेगा, जिससे पार्टी की वैचारिक नींव और पहचान को बल मिलेगा. इससे पार्टी का जनाधार भी मजबूत होगा, विशेषकर यादव और मुस्लिम समुदाय, जो सपा का पारंपरिक वोटबैंक रहे हैं, वे भावनात्मक रूप से साइकिल से बधेंगे.” 

राजनीतिक विश्लेषक मुलायम सिंह यादव के स्मारक का निर्माण वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करने का लक्ष्य को भी पार्टी की एक रणनीति करार दे रहे हैं. मिश्र बताते हैं, “चुनावी समय में स्मारक का प्रचार करके एक भावनात्मक लहर खड़ी की जा सकती है, जिससे पार्टी को सहानुभूति वोट मिल सकते हैं. इसके अलावा सैफई को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जिससे सपा से जुड़े लोगों में गर्व की भावना बढ़ेगी.” 

जानकार मानते हैं कि पारिवारिक विवाद के थमने के बाद मुलायम सिंह की स्मृति को सार्वजनिक रूप से सम्मान देने से अखिलेश को उनके उत्तराधिकारी के रूप में और अधिक वैधता मिलेगी. ऐसे में मुलायम सिंह यादव स्मारक केवल एक संरचना नहीं, बल्कि सपा की राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है. इसके जरिए पार्टी अपने नेता की छवि को स्थायी बनाकर राजनीतिक पूंजी में तब्दील करने की कोशिश करेगी. लेकिन वह इसमें कितना कामयाब होगी यह वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बताएंगे. 

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