क्या बिहार चुनाव झारखंड में भी राजनीतिक समीकरण बदलने जा रहा है?

झारखंड में अब फिर से BJP हेमंत सोरेन को लुभाने की कोशिश में जुटती दिख रही है तो वहीं बिरसा मुंडा कांग्रेस बनाने की सुगबुगाहट से यहां राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं

JMM नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

रांची में जहां मुख्यमंत्री आवास है, वो इलाका कांके के नाम से जाना जाता है. मौमस विभाग की मानें तो 17 नवंबर की रात कांके का न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस था. पूरे झारखंड में सबसे कम, हालांकि राजनीतिक तपिस पूरे राज्य में सबसे ज्यादा यहीं थी. दरअसल बीते सोमवार को BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक के एक्स पर लिखे एक पोस्ट के बाद झारखंड में राजनीति एक बार फिर गरमा गई. 

उन्होंने लिखा, "अब नया बम झारखंड में, हेमंत अब जीवंत होंगे’. अजय आलोक के कहे का BJP के अंदर कितना असर है, यह कहना मुश्किल है. लेकिन JMM के जवाब ने इसे रोचक बना दिया. JMM के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, "हेमंत जीवंत हैं, BJP का अंत है.’’ इसके कुछ देर बाद पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने रांची में ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बिहार में JMM को अपमानित किया गया है, झारखंड में भी इसका असर दिखेगा.

इससे पहले बीते 14 नवंबर को बिहार चुनाव परिणाम के बाद सुप्रीयो भट्टाचार्य सहित JMM के कई नेताओं इस बात को खुले तौर पर स्वीकारा था कि झारखंड में गठबंधन की समीक्षा हर हाल में होगी. इधर परिणाम आने से एक दिन पहले यानी 13 नवंबर को कांग्रेस के राज्य प्रभारी के. राजू ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की. भले ही इसे औपचारिक मुलाकात का नाम दिया जा रहा है, लेकिन इसके जरिए हेमंत का मन टटोलने की कवायद से इंकार नहीं किया जा सकता.  

JMM नेताओं के बयान के बाद कांग्रेस और RJD में काफी हलचल है. RJD कोटे के मंत्री संजय यादव ने तो यहां तक कह दिया कि वे तो पहले JMM के ही सिपाही थे और उन्होंने शिबू सोरेन के साथ आंदोलन किया है. आखिर यह पूरी कवायद महज शिगूफेबाजी है या अंदरखाने कुछ पक रहा है? 

JMM के प्रवक्ता सुप्रीयो भट्टाचार्य कहते हैं,  "अजय आलोक की बातों को जब झारखंड BJP गंभीरता से नहीं ले रही तो JMM क्यों ही लेगी. अगर वे पार्टी के तरफ से बयान दे रहे हैं तो अमित शाह और जेपी नड्डा को इस पर अपनी बात रखनी चाहिए.’’ वहीं BJP के अरुण सिंह ने कहा, "झारखंड में JMM, कांग्रेस और RJD मिलकर सरकार चला रहे हैं. लेकिन बिहार में JMM को अलग कर दिया गया. कांग्रेस को बिहार में JMM के पक्ष में बोलना चाहिए था, पर ऐसा हुआ नहीं. इसका असर झारखंड की राजनीति पर पड़ेगा और तीनों दलों के बीच कटुता सामने आएगी.’’  

कांग्रेस के महासचिव आलोक दुबे ने कहा, "हेमंत सोरेन को जेल भेज कर BJP ने पहले ही बम फोड़ दिया था. लेकिन वह पूरी तरह फुस्स हो गया. हेमंत जीवंत हैं, तभी BJP का यहां सफाया हो पाया. BJP के पास इस वक्त झारखंड में पांच पूर्व सीएम की फौज है, फिर भी वह कुछ नहीं कर पा रही है. भला अजय आलोक के कहने पर क्या होगा.’’ तो फिर JMM बार बार गठबंधन के समीक्षा की बात क्यों कर रही है? आलोक दुबे कहते हैं, "बिहार चुनाव के वक्त जो हुआ, उसके बाद JMM ने ऐसा कहा था, लेकिन फिलहाल मामले को सुलझा लिया गया है. वहां RJD बड़े भाई की भूमिका में थी, उसे ही यह सब देखना था.’’  

क्या कंग्रेस में टूट की संभावना है?  

हेमंत सोरेन के दूसरी बार सरकार बनाने को एक साल पूरे होने को है. इस दौरान BJP और JMM के साथ आने की यह सुगबुगाहट दूसरी बार तेज हुई है. इससे पहले बीते जुलाई-अगस्त के दौरान भी झारखंड के BJP के नेताओं को केंद्र से हिदायत दी गई थी कि वे हेमंत सोरेन पर सीधे तौर पर कोई राजनीतिक हमला नहीं करेंगे. इस बीच शिबू सोरेन का देहांत हो गया और मामला परवान चढ़ने से पहले ही ठिठक गया. यह दूसरी दफा है, जब BJP की तरफ से अप्रत्यक्ष तौर पर ही सही, साथ लाने की कोशिश जारी है. 

इसी कोशिश और संभावनाओं की तलाश में कथित तौर पर पिछली सरकार के समय उभर रहे ‘बिरसा कांग्रेस’ की फिर चर्चा शुरू हो गई है. इसके पीछे की वजह यह है कि अगर JMM सीधे तौर पर BJP के साथ गठबंधन नहीं कर सकती, तो पर्दे के पीछे से तो समर्थन लिया और दिया ही जा सकता है. आखिर ये होगा कैसे? इसके लिए कांग्रेस को तोड़ना जरूरी होगा. टूटे विधायकों का एक बड़ा दल अगर हेमंत से मिल जाता है तो ऐसा संभव दिखता है. 

दरअसल इस बार की तरह हेमंत सोरेन की पिछली सरकार में भी बिरसा कांग्रेस बनाने की पहल हुई थी. रांची से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के विधायकों के एक गुट की कई दौर की बैठक हुई. लेकिन योजना सिरे न चढ़ सकी. राजनीतिक हलकों से मिली खबरों के मुताबिक यह कवायद अभी-भी जारी है और इसकी वजह ये है कि पार्टी के अंदर तीन से चार बार के विधायक किनारे हैं. जो विधायक पिछली सरकार को गिराने की साजिश में रंगेहाथ पकड़े गए, जिन्हें पार्टी ने सस्पेंड किया, जिनका पासपोर्ट आज तक कोलकाता हाईकोर्ट के पास जब्त पड़ा है, वे डॉ इरफान अंसारी स्वास्थ्य मंत्री के पद पर हैं. इससे दूसरे असंतुष्ट हैं.

वहीं JDU से BJP और फिर आजसू के रास्ते कांग्रेस पहुंचे राधाकृष्ण किशोर वित्त मंत्री बने हैं. बाबूलाल मरांडी की पूर्व पार्टी जेवीएम से दुबारा कांग्रेस आए बंधू तिर्की की बेटी शिल्पी नेता तिर्की कृषि मंत्री हैं. भला यह कांग्रेस के बाकि विधायकों को कैसे पचेगा. पच भी नहीं रहा है. वो अंदर ही अंदर उबल रहे हैं. धीमी आंच वाली खिचड़ी जिस दिन कायदे से पक गई, बिरसा कांग्रेस फिर उठ खड़ा होगा और इस बात की पूरी संभावना है कि वो हेमंत सोरेन संग आगे बढ़ जाएगा. 

हालांकि बिरसा कांग्रेस बनाने की कवायद में पहले शामिल रहे विधायक और कुछ पूर्व विधायक अब इस बात से भी सशंकित हैं कि अगर यह पिछली बार की तरह सफल नहीं हो पाई तो उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा. वहीं BJP को उम्मीद है कि JMM के रास्ते वह अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर हासिल करने की तरफ बढ़ पाएंगी. हेमंत पार्ट टू में BJP अपने पांच पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, रघुवर दास और चंपाई सोरेन के सहारे भी इस सरकार पर सही से हमलावर नहीं हो पा रही है. खासकर आदिवासी वोटरों का विश्वास जीतने के लिए कोई भी कदम उसे सफलता के द्वार तक नहीं ले जा पा रहा है. 

राजनीतिक तौर पर झारखंड भले ही छोटा राज्य हो, लेकिन कांग्रेस के इतर JMM उन गिनी चुनी पार्टी में शामिल है जिसने मोदी की सत्ता को चुनौती ही नहीं दी, बल्कि उसे परास्त भी किया है. 

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