क्या नीतीश कुमार बीते 10 महीनों की मेहनत से 20 साल की एंटी-इंकंबेंसी काट पाएंगे?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 10 महीनों से फ्रीबीज की घोषणाएं करने के साथ-साथ शिलान्यास-उद्घाटन में लगे हुए हैं और इस दौरान सरकारी खजाने का पैसा पानी की तरह बहाया गया

छह अक्तूबर, 2025. यह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए काफी व्यस्त दिन था. सुबह-सवेरे सबसे पहले उन्होंने अपने आवास से महिला रोजगार योजना की 21 लाख लाभार्थियों के खाते में 10-10 हजार रुपये की राशि जारी की, जिसके बाद यह राशि पाने वाली महिलाओं की संख्या बिहार में 1.21 करोड़ हो गई. उन्होंने अपने आवास से ही अगले कार्यक्रम में राज्य के अलग-अलग विभागों के लगभग 13 हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया.
इसके बाद मुख्यमंत्री ने विधान मंडल में स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय देवीशरण सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया. उसके बाद वे तेजी से भागे और पटना मेट्रो के टर्मिनल पर पहुंचकर उन्होंने मेट्रो परिचालन के पहले चरण का उद्घाटन किया. फिर उन्होंने दो भूमिगत मेट्रो लाइन का भूमिपूजन भी किया. वहां से वे सीधे मुजफ्फरपुर निकल गये, जहां उन्होंने सकरा वाजिद में 1334 करोड़ की योजना का शिलान्यास और उद्घाटन किया.
यह सारा कार्यक्रम उन्होंने चार बजने से पहले निपटा लिया यानी मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश गुप्ता द्वारा बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले. उसके बाद उन्होंने मुजफ्फरपुर के ही सकरा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के कार्यकर्ताओं से संवाद किया. यह उस मुख्यमंत्री की दिनचर्या है जिसके स्वास्थ्य को लेकर लगातार आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं, मगर विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले एक ही दिन में उन्होंने पटना और मुजफ्फरपुर के छह ऐसे काम को निपटाए जिन्हें वे आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद नहीं कर सकते थे.
हालांकि बीता कुछ अरसा देखें पता चलता है कि सीएम नीतीश कुमार का यह रूटीन सिर्फ छह अक्तूबर का नहीं है. पिछले दस महीने से अधिक वक्त से वे इसी तरह भाग रहे हैं और समय को चुनौती देते हुए लगातार बिहार में घोषणाएं कर रहे हैं, दौरे पर जा रहे हैं, शिलान्यास कर रहे हैं, उद्घाटन कर रहे हैं और अपने स्वभाव के विपरीत ढेर सारी 'फ्रीबीज' (आम भाषा में कहें तो राजनीतिक रेवड़ियां ) की घोषणा कर रहे हैं और उन्हें लागू भी करा रहे हैं.
इस दौरान उन्होंने दो बार पूरे बिहार का दौरा किया है और अलग-अलग विभाग की इतनी योजनाओं पर काम किया है कि वे दावे से कह सकें कि अब बिहार में विकास का कोई बड़ा काम नहीं बचा. इस दौरान उन्होंने कई बड़े फ्लाईओवर, पुल, एयरपोर्ट, संग्रहालय, साइंस सिटी जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की भी निगरानी की और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया.
राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि बीस साल के शासन की वजह से उपजे सत्ता विरोधी रुझान को काटने के लिए उन्होंने पूरी तरह खुद को झोंक दिया है और राज्य सरकार का पूरा खजाना खोल दिया है. इन योजनाओं और फ्रीबीज को पूरा करने के लिए उन्होंने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से भरपूर कर्ज लिया है.
प्रगति यात्रा से शुरुआत
नीतीश कुमार ने इन सबकी शुरुआत 23 दिसंबर, 2024 को की जब वे पहली बार प्रगति यात्रा पर निकले. इस दौरान वे बिहार के हर जिले में गये और जिस-जिस जिले की जो-जो मांग थी, उसे पता लगाया और तय किया कि चुनाव से पहले जितना मुमकिन होगा उसे पूरा किया जायेगा. इन योजनाओं का या तो उद्घाटन कर दिया जायेगा या शिलान्यास.
यह यात्रा 21 फरवरी तक चली. इस दौरान हुई घोषणाओं के आधार पर 50 हजार करोड़ से अधिक की योजनाएं बनीं और सरकार इन्हें चुनाव से पहले अंजाम देने में जुट गई. फिर खास तौर पर सितंबर में वे पूरे महीने अलग-अलग जिलों में जाते रहे और इन योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करते रहे. इसके अलावा वे समय-समय पर विभिन्न योजनाओं की प्रगति देखने के लिए भी स्पॉट पर जाते रहे.
कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को लागू कराया
इस दौरान नीतीश कुमार का जोर कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर रहा. इन योजनाओं की सूची ये रही.
• पीएमसीएच के पहले फेज में 1117 बेड वाले अस्पताल भवन का उद्घाटन (3 मई)
• पटना एयरपोर्ट के नये टर्मिनल भवन का उद्घाटन (29 मई)
• पटना में डबल डेकर फ्लाइ ओवर (11 जून)
• गंगा नदी पर कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन पुल उद्घाटन (23 जून)
• सभी पंचायतों में विवाह भवन बनाये जाने की घोषणा (24 जून)
• बुद्ध सम्यक दर्शन सह स्मृति स्तूप (29 जुलाई)
• सीता जी की जन्मस्थली पुनौराधाम में भूमिपूजन (8 अगस्त)
• मोकामा-सिमरिया के बीच सिक्स लेन गंगा पुल (22 अगस्त)
• जीविका निधि साख सहकारी बैंक (2 सितंबर)
• राजगीर में नया क्रिकेट स्टेडियम (5 सितंबर)
• पूर्णिया हवाई अड्डा (15 सितंबर)
• अबुल कलाम साइंस सिटी (21 सितंबर)
महिलाओं पर विशेष ध्यान
प्रगति यात्रा के बाद नीतीश कुमार ने बिहार सरकार द्वारा विशेष रूप से महिला संवाद का आयोजन कराया. 18 अप्रैल, 2025 को इस संवाद की शुरुआत हुई. बिहार सरकार की टीम राज्य के 71 हजार ग्राम संगठन तक पहुंची और डेढ़ करोड़ से अधिक महिलाओं से उन्होंने सुझाव मांगे कि उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान 20 लाख से अधिक सुझाव आये.
इन्हीं सुझावों के आधार पर नीतीश कुमार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ाई और 29 अगस्त को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की घोषणा की. जीविका का अपना बैंक बना और जीविका से जुड़ी महिलाओं के लिए ब्याज की दर 12 फीसदी से घटाकर सात फीसदी किये जाने की घोषणा की. जानकार इसे गेम चेंजर मानते हैं. इसके अलावा महिलाओं द्वारा हर पंचायत में विवाह भवन बनाये जाने की भी मांग की थी, वह भी पूरी की गई.
पीएम मोदी भी बार-बार आते रहे बिहार
एक तरफ जहां नीतीश कुमार ने राज्य सरकार का पूरा खजाना खोल दिया था और पूरी ताकत से सभी योजनाओं को लागू कराने में जुटे थे. वहीं इस अवधि में पीएम मोदी भी कई बार बिहार आये.
• 30 मई, 2025 को रोहतास में 48 हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन.
• 18 जुलाई को मोतिहारी आये और उस रोज 7200 करोड़ की योजना का उद्घाटन और शिलान्यास किया.
• 22 अगस्त को गया आये, 18 हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इसमें गंगा नदी पर सिक्स लेन पुल सबसे प्रमुख था.
• 15 सितंबर को पूर्णिया में हवाई अड्डे का उद्घाटन किया.
फ्री-बीज की झड़ी लगा दी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अमूमन फ्रीबीज का विरोधी माना जाता है. मगर इस चुनाव से पहले उन्होंने ऐसी घोषणाओं की झड़ी लगा दी. इसके लिए उन्होंने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से हजारों करोड़ का लोन भी लिया. इस साल की गई इन घोषणाओं की सूची कुछ यूं है :
• 21 जून सभी वृद्धजनों, दिव्यांगजनों और विधवा महिलाओं की पेंशन 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये प्रतिमाह की गई.
• 21 जून जीविका से जुड़े सभी कर्मियों के मानदेय में दोगुने की वृद्धि की. स्वयं सहायता समूहों को 3 लाख रुपये से ज्यादा के बैंक ऋण पर अब सिर्फ 7 प्रतिशत ब्याज देना होगा, इसकी घोषणा की.
• 2 जुलाई कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए 12वीं पास प्रशिक्षित युवाओं को 4000, आईटीआई या डिप्लोमाधारी युवाओं को 5000 एवं स्नातक या स्नातकोत्तर पास इंटर्नशिप करने वाले युवाओं को मासिक 6000 रुपये देने और एक लाख युवाओं को 2025-26 से 2030-31 तक विभिन्न संस्थानों में इंटर्नशिप कराने की घोषणा की.
• 3 जुलाई बिहार राज्य के वरिष्ठ एवं आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों को तीन हजार रुपये की मासिक पेंशन देने की घोषणा की.
• 17 जुलाई राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली का कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा, इसकी घोषणा की.
• 26 जुलाई बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत अब पत्रकारों की पेंशन राशि 6 हजार से बढ़ाकर 15 हजार की. उनके आश्रित पति/पत्नी को 10 हजार रुपये मिलेंगे
• 30 जुलाई आशा कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को एक हजार से बढ़ाकर 3 हजार, ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 300 की जगह 600 रुपए की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की.
• 1 अगस्त मिड-डे मील रसोइयों का मानदेय 1650 से बढ़ाकर 3300 रुपए. स्कूलों के रात्रि प्रहरी का मानदेय 5000 के बदले 10000 रुपए और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों का मानदेय 8 हजार बढ़ाकर 16 हजार रुपए करने का फैसला किया.
• 15 अगस्त राज्य की सभी प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षाओं की फीस सिर्फ 100 रुपए होगी. मुख्य परीक्षा (Mains) में कोई फीस नहीं लगेगी.
• 29 अगस्त मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना. सभी परिवारों की एक महिला को अपनी पसंद के रोजगार हेतु 10 हजार रुपए की राशि प्रथम किस्त के रूप में दी जाएगी. रोजगार शुरू करने के 6 माह के बाद आकलन करते हुए 2 लाख रुपए तक की अतिरिक्त सहायता दी जा सकेगी.
• 8 सितंबर आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय 7,000 से बढ़ाकर 9,000 रुपये और आंगनबाड़ी सहायिका का मानदेय 4,000 से बढ़ाकर 4,500 रुपए करने का फैसला किया.
• 16 सितंबर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत दिया जाने ला लोन ब्याज रहित होगा.
• 18 सितंबर 20-25 आयु वर्ग के स्नातक जो कहीं पढ़ नहीं रहे, नौकरी में नहीं हैं, स्वरोजगार नहीं है को 1000 रूपए प्रतिमाह की दर से अधिकतम दो वर्षों तक मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता का भुगतान किया जाएगा.
• 21 सितंबर विकास मित्रों को टेबलेट के लिए 25 हजार, परिवहन-भत्ता 1900 से 2500 एवं स्टेशनरी भत्ता 900 से बढ़ाकर 1500 रुपए दिये जायेंगे. शिक्षा सेवकों (तालिमी मरकज सहित) को स्मार्ट फोन खरीदने के लिए 10 हजार और शिक्षण सामग्री मद में भुगतान की जा रही राशि को 3405 से बढ़ाकर 6 हजार रुपए किया.
क्या यह मेहनत और सरकारी खजाने को पानी की तरह बहाने का फायदा मिलेगा?
पिछले दस महीने से बिहार में चल रहे उद्घाटन, शिलान्यास, यात्राओं और फ्रीबीज का छह अक्तूबर को आचार संहिता लागू होने के साथ समापन हो गया. इस दौरान सरकार ने लगभग 80 से 90 हजार करोड़ रुपये इन योजना पर खर्च किए और बुरे स्वास्थ्य के बावजूद नीतीश कुमार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. मगर बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सब चुनाव में मुख्यमंत्री के काम आयेगा, क्या यह उनके खिलाफ 20 साल में पनपे सत्ता-विरोधी रुझान को काट पाएगा?
इस मसले पर टिप्पणी करते हुए टाटा सामाजिक संस्थान के पूर्व प्राध्यापक पुष्पेंद्र कहते हैं, “नीतीश कुमार को सत्ता में रहते हुए 20 साल हो गये हैं, कुछ सड़कें बेहतर हुईं, निर्माण कार्य हुआ और बिजली वगैरह की सुविधा हुई. मगर माइक्रो इकॉनॉमी के आंकड़े जस के तस हैं. जितने सामाजिक आर्थिक आंकड़े हैं, उनमें बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है. आज भी राज्य औसत से बेहतर स्थिति में नहीं आ पाया और इसे नीतीश समझते हैं."
पुष्पेंद्र के मुताबिक सत्ता में वक्त बीतने के साथ-साथ वे चंद नेताओं और अफसरों से घिरे रहने लगे और उन्हें समझ आना बंद हो गया कि जनता क्या सोच रही है. इस वजह से उन्हें बेचैनी होती होगी और असुरक्षा भी घेरती होगी. पुष्पेंद्र इन बातों का हवाला देते हुए कहते हैं, " इसी वजह से उन्होंने खुद को और राज्य के खजाने को इन कामों में झोंका होगा. विपक्ष जहां अलग-अलग मुद्दे उठा रहा है, उन्होंने सत्ता विरोधी रुझान की काट तलाशने में अपनी ताकत लगा दी. हालांकि इनका कितना असर होगा, यह कहना बड़ा मुश्किल है क्योंकि अखबारी विज्ञापनों के बावजूद इन सबकी चर्चा वैसी नहीं है, जैसी उम्मीद वे करते थे.”