सरकार से क्यों खफा हैं यूपी के ‘आधुनिक मदरसा शिक्षक’?

उत्तर प्रदेश में चल रहे 7,442 रजिस्टर्ड मदरसों में 21,000 से अधिक आधुनिक शिक्षक तैनात हैं जो लगभग 10 लाख छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय पढ़ाते हैं

आधुनिक मदरसा शिक्षक लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करते हुए
आधुनिक मदरसा शिक्षक लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करते हुए

पूरे उत्तर प्रदेश में केंद्र की मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत काम करने वाले शिक्षकों का वेतन कथित तौर पर रोके जाने के लगभग छह साल बाद, यूपी सरकार ने अब इन शिक्षकों को 2016 से दिए जाने वाले मानदेय या "अतिरिक्त धन" का भुगतान बंद करने का फैसला किया है. 

राज्य भर में चल रहे 7,442 रजिस्टर्ड मदरसों में 21,000 से अधिक आधुनिक शिक्षक तैनात हैं. इनमें से लगभग 8,000 हिंदू समुदाय के हैं. वे लगभग 10 लाख छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय पढ़ाते हैं. पंजीकृत मदरसों में से 560 सरकारी सहायता प्राप्त हैं. 

दरअसल, मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है. मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और अन्य भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना 1993-94 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) द्वारा शुरू की गई थी. अप्रैल 2021 में इस योजना को शिक्षा मंत्रालय से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया. एक मदरसे में अधिकतम तीन आधुनिक शिक्षक नियुक्त किए जाते हैं. वर्ष 2008 से इसे 'स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा' (एसपीक्यूईएम) के नाम से संचालित किया जाने लगा. 

इस योजना में तैनात ग्रेजुएट शिक्षकों को छह हजार व पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था. वर्ष 2016 में तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने भी इसमें दो हजार व तीन हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था. यानी ग्रेजुएट शिक्षकों को आठ हजार व पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 15 हजार रुपये इसमें मिलते थे. पहले इसे “स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा” (एसपीक्यूईएम) कहा जाता था, बाद में इसे “स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग एजुकेशन इन मदरसा/माइनॉरिटी” (एसपीईएमएम) नाम दिया गया. इस योजना के तहत, केंद्र और राज्य सरकारों ने वर्ष 2018 में वेतन को 60:40 के अनुपात में विभाजित करने का निर्णय लिया था. 2018 से पहले, वेतन का भुगतान पूरी तरह से केंद्र द्वारा किया जाता था. प्रबंधन समितियों की अनुशंसा पर जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों द्वारा मदरसों में आधुनिक शिक्षकों की नियुक्ति की जाती थी. 

ये शिक्षक - जिन्हें ‘आधुनिक शिक्षक’ के रूप में जाना जाता है - का आरोप है कि उन्हें वर्ष 2017 से वेतन नहीं दिया गया है. इनका आरोप है कि वे वर्ष 2016 से मिलने वाले "अतिरिक्त पैसे" पर निर्भर हैं जिसे तत्कालीन सपा सरकार ने मानदेय के रूप में दिया था. मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एकता समिति (मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ एसोसिएशन) के बैनर तले आधुनिक शिक्षकों द्वारा अपने बकाया भुगतान की मांग को लेकर पिछले साल 18 दिसंबर से लखनऊ में विरोध प्रदर्शन जारी है.

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एकता समिति के अध्यक्ष अशरफ अली कहते हैं, “हमें 2017 से वेतन नहीं मिला है. कुछ शिक्षकों ने तब से नौकरी छोड़ दी है. बचे हुए लोगों ने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वेंडिंग, सिलाई, रिक्शा चलाना और खेती जैसे छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिया. पांच महीने पहले, राज्य ने अतिरिक्त पैसा देना भी बंद कर दिया. आधुनिक शिक्षकों के रूप में काम करने वाले लगभग 21,000 लोग अब बेरोजगार हैं. अब उनके लिए मदरसों में जाने का कोई कारण नहीं है.''

यह जानने के बाद कि राज्य सरकार ने “अतिरिक्त पैसा” यानी मानदेय भी बंद कर दिया है, शिक्षकों ने विरोध तेज करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार से इस योजना को वर्ष 2021-22 तक की ही स्वीकृति मिली थी, जबकि प्रदेश में तैनात इन शिक्षकों को केंद्र सरकार से मानदेय और पहले से नहीं मिल रहा था. पिछले दिनों अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश अंसारी ने मदरसा शिक्षकों को अतिरिक्त मानदेय दिए जाने का आश्वासन दिया था. इसके बावजूद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव हरि बख्श सिंह ने बजट में की गई अतिरिक्त मानदेय की व्यवस्था को समाप्त कर दिया. उन्होंने निदेशक को इस मद में कोई भी वित्तीय स्वीकृति न जारी करने के निर्देश दिए हैं. 

निदेशक जे. रीभा ने 8 जनवरी भी सभी जिलों को इसके आदेश भेजते हुए मानदेय देने पर रोक लगा दी है. लखनऊ के इको गार्डन में धरना दे रहे मदरसा शि‍क्षक अनाम खान बताते हैं, “वेतन रोके जाने के बाद, आधुनिक शिक्षकों ने जल्द से जल्द अपना बकाया पाने की उम्मीद में मदरसों में छात्रों को पढ़ाना जारी रखा. वे राज्य सरकार द्वारा दिए गए ‘अतिरिक्त धन’ पर निर्भर थे. अब इन शिक्षकों की उम्मीद टूटने लगी है. संभावना है कि मदरसा छात्रों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की अवधारणा जल्द ही ख़त्म हो जाए.” मदरसा शिक्षकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि राज्य और देश में मदरसा आधुनिकीकरण योजना को ‘नवीनीकृत’ किया जाए. उन्होंने पीएम से उनका लंबित बकाया जारी करने का भी अनुरोध किया.

इसके साथ ही विरोध कर रहे आधुनिक शिक्षकों ने अब अनिश्चितकालीन आंदोलन करने का फैसला किया है जब तक कि सरकार उनके लिए किसी प्रकार की मदद की घोषणा नहीं करती. अशरफ अली कहते हैं, “यदि केंद्र यह योजना नहीं चलाएगा तो राज्य सरकार को यह योजना चलानी चाहिए और हमारा बकाया चुकाया जाना चाहिए,.'' हालांकि वर्ष 2016 के एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि आधुनिक मदरसा शिक्षकों को राज्य द्वारा अतिरिक्त पैसा तब तक ही दिया जाना था जब तक केंद्र सरकार यह योजना जारी रखती. चूंकि यह योजना वर्ष 2021-22 में समाप्त हो गई इसलिए अतिरिक्त मानदेय जारी रखने का सवाल ही नहीं उठता. 

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