पासपोर्ट की रैंकिंग, देशों की सॉफ्ट पावर के अलावा और क्या बताती है?
'द हेनली पासपोर्ट इंडेक्स' की ताजा रैंकिंग के मुताबिक भारतीय पासपोर्ट इस साल एक पायदान फिसलकर 85वें स्थान पर आ गया है

हाल ही में 'द हेनली पासपोर्ट इंडेक्स' की ओर से दुनियाभर के 199 देशों की पासपोर्ट रैंकिंग जारी की गई है. इसमें भारत एक और पायदान फिसलकर 85वें स्थान पर आ गया है जो पिछले साल 84वें स्थान पर था. मालदीव, जिसके खिलाफ पिछले दिनों सोशल मीडिया पर कुछ इंडियन एकाउंट्स ने बॉयकॉट अभियान चलाया था, वो भी भारत से लगभग 30 पायदान ऊपर, 58वें नंबर पर रैंक कर रहा है.
भारत के पड़ोसियों की बात करें तो पाकिस्तान अपने राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझते हुए 106वें स्थान पर बरकरार है और बांग्लादेश एक पायदान फिसलकर 102वें स्थान पर आ गया है. चीन ने हालांकि 2 रैंक की जबरदस्त छलांग लगाई है और अब 64वें स्थान पर पहुंच गया है. इसे जबर्दस्त उछाल इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह रैंकिंग अमूमन एक जैसी ही रहती है या नीचे जाती है. लेकिन इस रैंकिंग की बातें हम क्यों कर रहे हैं और इसकी क्या अहमियत है?
दरअसल जियो-पॉलिटिक्स में, किसी देश के पासपोर्ट की ताकत उसकी सॉफ्ट पावर मापने के लिए एक अहम इकाई है. एक मजबूत पासपोर्ट नागरिकों को बिना वीज़ा के ही दुनिया भर के कई देशों में स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की अनुमति देता है. अब जो ये पासपोर्ट की रैंकिंग है, उसका भी एक आधार यही है कि किन देशों के पासपोर्ट के साथ आप ज्यादा से ज्यादा देशों में बिना वीज़ा के यात्रा कर सकते हैं. जैसे भारत इस रैंकिंग में 85वें स्थान पर है और इंडियन पासपोर्ट के सहारे आप 62 देशों में बिना वीज़ा के यात्रा कर सकते हैं. अब सोचने वाली बात है कि पहले स्थान पर कौन होगा? और नहीं, पहले स्थान पर अमेरिका तो बिल्कुल भी नहीं है.
'द हेनली पासपोर्ट इंडेक्स' में पहले स्थान पर एक-दो नहीं बल्कि कुल 6 देश मौजूद हैं - फ्रांस, जर्मनी, इटली जर्मनी, जापान, सिंगापुर और स्पेन. इन सभी देशों के पासपोर्ट से आप बिना वीज़ा की परवाह किए कुल 194 देशों की यात्रा कर सकते हैं. इस इंडेक्स में जहां यूनाइटेड किंगडम (यूके) तीसरे और ऑस्ट्रेलिया के साथ न्यूजीलैंड पांचवें स्थान पर है तो वहीं छठे स्थान पर अमेरिका को कनाडा के अलावा दो और देशों - पोलैंड और चेकिया (पहले चेक गणराज्य) के साथ जगह मिली है. अब सवाल ये उठता है कि वीज़ा फ्री यात्रा के अलावा हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की रैंकिंग में और क्या चीजें सहायक होती हैं और ये हेनली आखिर हैं कौन?
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स निकालने वाली कंपनी का नाम हेनली एंड पार्टनर्स है और ये लंदन की एक इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म है. हेनली एंड पार्टनर्स की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक, हेनली पासपोर्ट इंडेक्स सबसे विश्वसनीय पासपोर्ट इंडेक्स है, जिसमें 18 वर्षों का ऐतिहासिक डेटा है. इंडेक्स के लिए जरूरी चीजें इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (IATA) द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा पर आधारित होता है जिसमें इनके इन-हाउस रिसर्च और ओपन-सोर्स ऑनलाइन डेटा का उपयोग करके पूरी सूची तैयार की जाती है. इस इंडेक्स या सूचकांक में 199 अलग-अलग पासपोर्ट और 227 ट्रैवल डेस्टिनेशन शामिल हैं.
बात करें इस हेनली इंडेक्स को बनाने की मेथडोलॉजी की तो हर ट्रैवल डेस्टिनेशन (जिस भी देश आप जाना चाह रहे हों) के लिए, यदि किसी देश या क्षेत्र के पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा की आवश्यकता नहीं है, तो उस पासपोर्ट को 1 पॉइंट दिया जाता है. अगर पासपोर्ट धारक डेस्टिनेशन कंट्री में प्रवेश करते समय वीज़ा-ऑन-अराइवल, विज़िटर्स परमिट, या इलेक्ट्रॉनिक ट्रेवल अथॉरिटी (ईटीए) भी प्राप्त कर लेता है तो भी उसे 1 पॉइंट दे दिया जाएगा. दरअसल इस तरह के वीज़ा के लिए सरकार की पहले अनुमति नहीं लेनी होती है क्योंकि उस देश का टाई-अप पहले ही डेस्टिनेशन कंट्री के साथ ही चुका होता है जिसकी वजह से या तो वीज़ा फ्री होता है या इस तरह की वीज़ा तुरंत ही दे दिया जाता है.
इसके अलावा जिन देशों में वीज़ा की आवश्यकता होती है, या जहां पासपोर्ट धारक को अपने देश से उड़ान भरने से पहले ही सरकार से इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा (ई-वीज़ा) लेना होता है, उस स्थिति में जीरो पॉइंट दिया जाता है. इसके अलावा कुछ देशों में जाने के बाद अगर वीज़ा-ऑन-अराइवल के लिए अनुमति लेनी पड़े, तो उस स्थिति में पासपोर्ट को जीरो पॉइंट दिए जाते हैं.
इसी तरह हर एक पासपोर्ट के लिए कुल स्कोर उन ट्रेवल डेस्टिनेशंस की संख्या के बराबर है जिनके लिए किसी वीज़ा की आवश्यकता नहीं है या मिलने के बाद तुरंत ही वीज़ा-ऑन-अराइवल जैसी चीजों का इंतजाम हो जाता है.
हाल ही में जारी की हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की रैंकिंग ये दिखाती है कि पिछले दो दशकों में ग्लोबल मोबिलिटी (यानी दुनिया में एक देश से दूसरे देश जाने) में काफी बदलाव आया है क्योंकि मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, 2006 में लोग औसतन केवल 58 देशों में वीज़ा-फ्री यात्रा कर सकते थे. हालांकि, इस साल यह संख्या लगभग दोगुनी होकर 111 देशों तक पहुंच गई है. ग्लोबल मोबिलिटी बढ़ने का सीधा सा मतलब है वैश्वीकरण की प्रक्रिया और तेज़ होगी और हमें ज्यादा से ज्यादा ग्लोबल सिटीजन्स देखने को मिलेंगे. इसका एक साइड-इफ़ेक्ट ये भी है राष्ट्रवाद जैसी विचारधाराओं को बल मिलेगा क्योंकि ज्यादातर उन्नत देशों में दूसरे देशों के नागरिक, काम करने या पढ़ाई के मकसद से आएंगे जहां उनकी संस्कृतियों का टकराव होने की पूरी आशंका है.