नेपाल: कौन हैं बालेन शाह, जो बने प्रधानमंत्री पद के लिए प्रदर्शनकारियों की पहली पसंद?

पूर्व रैपर बालेन शाह नेपाल की Gen-Z प्रदर्शनकारियों के लिए एक भरोसेमंद नेता बनकर उभरे हैं

बालेन शाह  (Photo: @NepalLiveToday)
बालेन शाह (Photo: @NepalLiveToday)

"देश की रक्षा करने वाले सब बेवकूफ हैं. नेता सब चोर हैं, देश लूट चुके हैं." ये पंक्तियां नेपाल के पॉपुलर रैपर और काठमांडू के मेयर बालेन शाह के एक गीत की है. वही बालेन शाह राजनीति में जिनके उदय ने कई युवाओं को बदलाव लाने के लिए और चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था.

अब नेपाल में तीन दिनों से जारी Gen-Z प्रदर्शन के बाद एक बार फिर से बालेन शाह की चर्चा तेज हो गई है. नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के इस्तीफा देने के बाद अब प्रदर्शनकारी 35 वर्षीय बालेन शाह को उनकी जगह प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं.

9 सितंबर को एक फेसबुक पोस्ट में काठमांडू के मेयर ने कहा, "चूंकि प्रधानमंत्री पहले ही पद छोड़ चुके हैं, इसलिए प्रदर्शनकारियों को जान-माल की और अधिक हानि से बचना चाहिए."

बालेन शाह ने आगे लिखा, "कृपया शांत रहें. राष्ट्रीय संसाधनों का नुकसान हमारी सामूहिक क्षति है. अब हम सभी के लिए संयम बरतना जरूरी है. अब आपकी पीढ़ी को ही देश का नेतृत्व करना होगा."

8 सितंबर को बालेन शाह ने विरोध प्रदर्शन के प्रति अपना समर्थन जताया था, लेकिन Gen-Z आंदोलन होने के कारण वे इस विरोध-प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सके थे.फेसबुक पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "यह रैली स्पष्ट रूप से Gen-Z जेनरेशन का एक स्वतःस्फूर्त आंदोलन है, जिनके लिए मैं भी बूढ़ा लग सकता हूं. मैं उनकी आकांक्षाओं, उद्देश्यों और सोच को समझना चाहता हूं."

नेपाल की राजनीति में परंपरागत नेताओं के परिवार से नहीं होने के बावजूद बालेन शाह काठमांडू के मेयर बने. यही वजह था कि राजनीति में आते ही शाह को नेपाल में कई वर्गों का जनसमर्थन और व्यापक मीडिया कवरेज मिला है.

शाह ने अपने गाने का जिक्र करते हुए कहा, "हिप-हॉप में एक डिस कल्चर है. उन गानों में मैं पहले राजनेताओं की आलोचना करता था, लेकिन अब मैं भी उन्हीं में से एक हूं."

नेपाल के ज्यादातर मेयर की पहुंच उनके शहरों तक ही सीमित होती है, लेकिन बालेन शाह ने अधिकांश महापौरों के विपरीत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. टाइम पत्रिका 2023 के शीर्ष 100 व्यक्तित्वों में बालेन शाह का नाम भी शामिल है. 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों में बालेन शाह की खबरें छपी है.

काठमांडू के मेयर बालेन शाह का भारत से भी है संबंध

काठमांडू के मेयर बनने वाले बालेन शाह का राजनीतिक सफर बिल्कुल पारंपरिक नहीं है. आम नेताओं की तरह उन्हें विरासत में राजनीति नहीं मिली.वह संघर्ष कर इस मुकाम तक पहुंचे हैं. कभी शहर की छतों पर प्रदर्शन करने वाले रैपर बालेन शाह ने नेपाल में गरीबी, राजनीतिक भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए संगीत का सहारा लिया.

उनके गीत खासकर लोकप्रिय गीत "बलिदान" काफी पॉपुलर हुआ.इसे यूट्यूब पर सात मिलियन से अधिक बार देखा गया है. बालेन शाह के इस गाने ने राजनीति से निराश पीढ़ी को प्रभावित किया. इसके जरिए नेपाल की जनता के दिलों में जगह बनाने में वो कामयाब हुए.

लिरिक्स लिखने के अलावा बालेन शाह के पास स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में भी डिग्री है, जिसका लाभ उन्हें 2022 के मेयर चुनाव प्रचार के दौरान मिला. एक पढ़े लिखे और जनता की आवाज बनने वाले नेता के तौर पर उनकी पहचान हुई.

बालेन शाह ने विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (VTU) कर्नाटक से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में एमटेक की पढ़ाई पूरी की है.

अपने प्रोफेशनल स्कील को अपने व्यक्तित्व से जोड़कर, उन्होंने स्वयं को एक सक्षम, व्यावहारिक और जमीनी स्तर पर काम करने वाले उम्मीदवार के रूप में पेश किया.चुनाव प्रचार के दौरान उनके खास पहनावे और लुक ने जनता को प्रभावित किया. काला ब्लेज़र, जींस, चौकोर धूप का चश्मा, और कंधों पर नेपाली झंडा लपेटे हुए बालेन शाह को देख जनता खुश होकर उन्हें अपना नेता मानने लगी.

कंधों पर नेपाली झंडा लपेटने की वजह से चुनाव आयोग में बालेन शाह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई कि उन्होंने नेपाली झंडे का अपमान किया है, लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई. इससे नेपाली युवाओं में ऐसे नेताओं का जरूरत महसूस हुआ, जो समझौता किए बिना परंपराओं को चुनौती देते हैं.

बालेन ने नेपाल की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के साथ गठबंधन करने से इनकार करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा.अपनी उम्र के शुरुआती तीसवें दशक में वह एक राजनीतिक नौसिखिए थे, फिर भी उन्होंने जबरदस्त जीत हासिल की.

इस तरह चुनाव में बालेन शाह ने काठमांडू में पहले से स्थापित राजनीतिक परिवारों के नेताओं को हरा दिया. उनकी जीत को नेपाली राजनीति में पीढ़ीगत बदलाव के संकेत के रूप में व्यापक रूप से दिखाया गया है.ॉ

ग्रेटर नेपाल के नक्शे से भारत विरोधी इमेज बनी

कभी भारत में पढ़ाई करने वाले बालेन शाह ने जब काठमांडु में बॉलीवुड फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया, तो उनकी इमेज भारत विरोधी नेता के तौर पर बनने लगी. दरअसल, फिल्म आदिपुरुष के एक संवाद में माता सीता को “भारत की बेटी” कहा गया था. शाह का तर्क था कि यह संवाद नेपाल की मान्यता के खिलाफ है, जो यह मानती है कि माता सीता का जन्म नेपाल के जनकपुर में हुआ था. इसी वजह से उन्होंने इस फिल्म पर बैन लगा दिया.

इसके बाद “ग्रेटर नेपाल” के नक्शे को लेकर उनके रुख ने भारत में विवाद पैदा किया. बालेन ने तब कहा था कि भारत ने नेपाल के कई इलाकों पर जबरन कब्जा कर रखा है. उनके ग्रेटर नेपाल नक्शे को भारत की नई संसद में “अखंड भारत” के नक्शे के जवाब में देखा गया था, जिसे नेपाल में कुछ लोगों ने अपनी संप्रभुता पर सवाल उठाने वाला माना था. इन वजहों से बालेन की इमेज भारत विरोधी नेता की बन गई.

Gen-Z को बालेन शाह में भरोसा कायम हुआ

Gen-Z को लगता है कि बालेन शाह वह नेता हैं, जिसकी वे लंबे समय से तलाश कर रहे थे. व्यावहारिक, भरोसेमंद और विफलताओं का सामना करने से नहीं डरने वाला. 2022 में अपनी जीत के बाद से वे नेपाल की राजनीति में युवाओं के उदय का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. "बालेन प्रभाव" काठमांडू से कहीं आगे तक पहुंच चुका है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट मुताबिक बालेन शाह की चुनावी सफलता ने पूरे नेपाल में युवाओं को निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में चुनाव में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया. बालेन शाह के बाद ही युवा डॉक्टर, ई-कॉमर्स उद्यमी, एयरलाइन पायलट और हिप-हॉप कलाकारों तक राजनीति में आने लगे. नेपाल में अब युवा उस राजनीतिक वर्ग को चुनौती देने के लिए तैयार हैं, जिसे अक्सर आम लोगों की पहुंच से बाहर, पुरुष-प्रधान और भ्रष्टाचार में डूबा हुआ माना जाता है.

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