पहलगाम आतंकी हमला : पाकिस्तान की सेना भारत से भिड़ने को बेताब क्यों दिख रही है?
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर का 'हिंदू विरोधी' बयान और उसके बाद पहलगाम में आतंकी हमला, इन दो घटनाओं के एक दूसरे से जुड़े होने के कई कारण हैं

जंग से ज्यादा कुछ भी किसी देश को एकजुट नहीं करता. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गर्त में है, उसके चार में से दो प्रांतों में सशस्त्र विद्रोही तांडव मचा रहे हैं, और सेना की लोकप्रियता अपने निचले स्तर पर है.
ऐसे में पाकिस्तान शायद सैन्य टकराव की चाहत रख रहा है. 1971 के विभाजन के बाद यह पहला मौका है, जब पाकिस्तान टूटने की कगार पर है. एक छोटी-मोटी जंग कई समस्याओं का हल निकाल सकती है, और पहलगाम हमला शायद इसी मकसद से हुआ.
भारत के शीर्ष नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि पहलगाम नरसंहार का जवाब ताकत से दिया जाएगा. सवाल यह है कि कैसे और कब? एक और अहम सवाल है—पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने भारत के साथ सैन्य टकराव का जोखिम क्यों उठाया? वह भी तब, जब उन्होंने उरी और पुलवामा आतंकी हमलों के बाद भारत का दृढ़ संकल्प देखा है.
1947 में अपने गठन के बाद से भारत पाकिस्तान के आतंक निर्यात का शिकार रहा है. लेकिन पहलगाम हमला ऐसा था, जैसा पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने पहले कभी नहीं किया.
22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी गई. द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो वास्तव में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक चेहरा है, ने पर्यटकों पर इस हमले की जिम्मेदारी ली. एक शीर्ष LeT कमांडर, सैफुल्लाह कसूरी, को इस हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.
पर्यटकों को निशाना बनाना, इतनी बड़ी संख्या में हत्याएं, और गैर-मुस्लिमों को चुन-चुनकर मारना—ये वो बातें हैं, जो पहलगाम हमले को हाल के वर्षों के किसी भी हमले से अलग बनाती हैं. यह हमला सुनियोजित और समयबद्ध लगता है, खासकर तब, जब जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बड़ा बढ़ावा मिल रहा था और समग्र सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ था.
हालांकि इस्लामाबाद इस नरसंहार से अपने तार को नकार रहा है, लेकिन यह मान लिया गया है कि जम्मू-कश्मीर में इतने बड़े पैमाने का कोई आतंकी हमला पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के समर्थन के बिना नहीं हो सकता. विशेषज्ञ इस पर बहस नहीं कर रहे. जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस.पी. वैद ने कहा है, "यह हमला पाकिस्तानी सेना ने छेड़ा है. पाकिस्तान के SSG कमांडो आतंकियों के भेष में ये हमले कर रहे हैं."
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में सीमा पार की संलिप्तता पर बात हुई है.
हमले में सांप्रदायिक रंग भी हाल ही में जनरल आसिम मुनीर की उकसावे वाली बयानबाजी के बाद आया. जनरल मुनीर ने 16 अप्रैल को कहा, "हमारे पूर्वज मानते थे कि हम हिंदुओं से जीवन के हर पहलू में अलग हैं. हमारा धर्म अलग है, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं... यही दो-राष्ट्र सिद्धांत की नींव थी."
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे पाकिस्तानी आतंकी नेटवर्क के लिए एक संकेत माना गया, और इस बयान के एक हफ्ते बाद पहलगाम हमला हुआ. हालांकि पाकिस्तानी सैन्य प्रमुखों ने ऐतिहासिक रूप से भारत-विरोधी बयान दिए हैं, लेकिन हिंदू-विरोधी बयान देना उनके लिए आम नहीं है. "यह कोई संयोग नहीं कि आसिम मुनीर दो दिन पहले बेतुके शब्द बोलते हैं, और ऐसा हमला होता है, जहां पीड़ितों की धार्मिक पहचान पूछी जाती है और उन्हें कलमा पढ़ने को कहा जाता है," वैद ने कहा.
मुनीर के हिंदू-विरोधी बयान और आतंकियों द्वारा गैर-मुस्लिम पर्यटकों को निशाना बनाना भारत में भारी आक्रोश भड़काने और नई दिल्ली को प्रतिक्रिया देने के लिए उकसाने के लिए था.
भारत ने आतंक पर अपनी मंशा साफ की
हालांकि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि उनके देश का पहलगाम आतंकी हमले से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन भारत इसे मानने को तैयार नहीं. भारत ने कूटनीतिक हमले के साथ अपनी मंशा जाहिर की, जिसमें बुधवार को CCS में सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानियों के लिए वीजा रद्द करना, और पाकिस्तानी उच्चायोग की ताकत कम करना शामिल है. लेकिन कूटनीतिक हमले से आगे की उम्मीदें भी हो सकती हैं.
स्ट्रैटेजिक एक्सपर्ट फरान जेफ्री ने CCS के फैसलों के सार्वजनिक होने के बाद कहा, "मुझे कहना होगा, मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार ने आज जो उपाय घोषित किए, वे भारतीय जनता के गुस्से को बहुत हद तक शांत कर पाएंगे."
2016 के उरी हमले के बाद सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद हवाई बमबारी के साथ भारत ने जवाबी सैन्य कार्रवाइयों के उदाहरण पेश किए हैं. पहलगाम हमले के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में पीएम मोदी ने गुरुवार को कहा, "भारत हर आतंकी और उनके समर्थकों को ढूंढेगा, ट्रैक करेगा और सजा देगा. हम धरती के आखिरी छोर तक पीछा करेंगे."
पीएम मोदी बिहार में एक रैली में हिंदी में बोल रहे थे और उन्होंने अंग्रेजी में कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया ताकि दुनिया उनका सख्त संदेश सुनने से एक शब्द भी न चूके. ऑनलाइन चर्चा है कि जवाबी कार्रवाई की आशंका में पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू विमानों को उत्तरी क्षेत्र के उन ठिकानों पर भेजा है, जो भारतीय सीमा के करीब हैं.
यह एक स्थापित तथ्य बन चुका है कि भारत और पाकिस्तान, दो परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच पूर्ण युद्ध नहीं हो सकता. इसका परिणाम भयावह होगा, और दुनिया को इसे रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करना होगा. दोनों देशों ने कश्मीर को लेकर तीन युद्ध लड़े हैं—1947, 1965, और 1999 में— और इन सभी में पहल इस्लामाबाद ने या थोड़ा और स्पष्ट करें तो रावलपिंडी की ओर से हुई जहां पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय स्थित है. हालांकि, एक सीमित जंग संभव है, और जनरल मुनीर इसे जानते हैं.
पाकिस्तान में आसिम मुनीर की घटती लोकप्रियता
पाकिस्तान की सैन्य स्थापना अभूतपूर्व दबाव में है, और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की लोकप्रियता घट रही है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी वैद ने कहा, "पाकिस्तानी सेना प्रमुख इसे बढ़ाना चाहते हैं, वे अपनी विश्वसनीयता साबित करना चाहते हैं."
मुनीर और उनके लोग पाकिस्तान के चारों प्रांतों में निशाने पर हैं. बलूचिस्तान में बलोच विद्रोही उन पर भारी पड़ रहे हैं, तो खैबर-पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) मनमाने ढंग से हमले कर रहा है. सिंध में एक नहर परियोजना ने लोगों को सड़कों पर ला दिया है, और पंजाब में पूर्व पीएम इमरान खान को जेल भेजे जाने से लोग गुस्से में हैं.
रक्षा विशेषज्ञ कर्नल रोहित देव (सेवानिवृत्त) ने इंडिया टुडे टीवी पर समझाया, "जनरल मुनीर पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में ट्रेन से भी सुरक्षित यात्रा नहीं कर सकते, बिना हमले या बमबारी का शिकार हुए. इसलिए उन्होंने कश्मीर कार्ड खेलने का फैसला किया." 1971 के बाद यह पहला मौका है, जब पाकिस्तान टूटने की कगार पर है.
पाकिस्तान में सेना सबसे सम्मानित संस्था रही है, और लोग इसके पीछे एकजुट हुए हैं. हाल के विरोध और वर्दीधारियों पर हमले अब उनके खिलाफ जनता के गुस्से की हद को दिखाते हैं. हालांकि पाकिस्तान में सेना सर्वशक्तिमान है और देश को चलाती है, जनरल मुनीर जनता की भावनाओं को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं कर सकते. और भारत से जंग से बेहतर क्या हो सकता है, जो पाकिस्तानियों को एकजुट करे और उन्हें अपनी सेना के पीछे खड़ा करे?
2007 की तरह, जब पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ को बढ़ते प्रतिरोध और हत्या के प्रयासों का सामना करना पड़ा, आज पाकिस्तानी सेना घरेलू अशांति और जनता के घटते भरोसे से जूझ रही है. यूके स्थित पाकिस्तानी मूल के खोजी पत्रकार आदिल राजा ने ट्विटर पर लिखा, "पाकिस्तानी सेना को, देश के इतिहास में पहली बार, भारत के साथ टकराव में पाकिस्तानी जनता का एकमत या बहुमत समर्थन नहीं मिलेगा. कितने नीचे गिर गए हैं."
आसिम मुनीर क्यों चाहते हैं भारत का जवाबी हमला
भारत का कोई भी जवाबी हमला, जिसमें सीमित जंग भी शामिल है, पाकिस्तान की पहले से चरमराई अर्थव्यवस्था को और चोट पहुंचाएगी. भारत के जवाबी हमले की आशंका ने गुरुवार को पाकिस्तान के शेयर बाजार में हड़कंप मचा दिया. बेंचमार्क KSE-100 इंडेक्स 1,000 अंक से ज्यादा गिर गया.
पाकिस्तान दुनिया भर में मदद मांगता घूम रहा है. पिछले सितंबर में उसने अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से 7 अरब डॉलर का कर्ज हासिल किया. हालांकि, सेना ने अपने बजट को बरकरार रखा है, और अर्थव्यवस्था शायद आसिम मुनीर की तात्कालिक योजनाओं में प्राथमिकता नहीं है, जो अपनी विश्वसनीयता साबित करना और जनता को अपने पीछे एकजुट करना चाहते हैं.
पिछले हफ्ते मुनीर का भाषण, जिसमें उन्होंने हिंदू-विरोधी बयानबाजी की और कश्मीर मुद्दा उठाया, घरेलू और प्रवासी समुदाय में सैन्य स्थापना की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा गया. उनकी स्थिति का आकलन पूरी तरह गलत नहीं था, जैसा कि पाकिस्तान के पूर्व मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने बताया.
इमरान खान की पार्टी के सदस्य हुसैन ने बुधवार को कहा, "पाकिस्तान राजनीतिक रूप से बंटा हो सकता है, लेकिन हम एक राष्ट्र के रूप में एकजुट हैं. अगर भारत हमला करता है या धमकी देता है, तो सभी समूह—PML-N, PPP, PTI, JUI, और अन्य—पाकिस्तानी झंडे तले अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए एकजुट होंगे."
एक सुरक्षा विश्लेषक ने द गार्जियन को नाम न बताने की शर्त पर कहा, "भारत हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकता. एक बार तनाव की सीढ़ी चढ़नी शुरू हो जाए, तो यह बेकाबू हो सकती है."
भारत के पास पाकिस्तान जितने ही परमाणु हथियार हैं, लेकिन पारंपरिक युद्ध क्षमता में वह कहीं बेहतर है. स्ट्रैटेजिक एक्सपर्ट माइकल कुगेलमैन ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और सैन्य, दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं मेज पर हैं. कुगेलमैन के मुताबिक, "ट्रंप प्रशासन की शुरुआती सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि वे भारत की जवाबी कार्रवाई का विरोध नहीं करेंगे." न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पहलगाम में हुए इस जघन्य हमले के बाद पूरा विश्व भारत के साथ है.
भारत को पहलगाम नरसंहार का सख्त संदेश देने के लिए कार्रवाई करनी होगी. लेकिन उसे हमले की सावधानीपूर्वक योजना बनानी होगी, यह ध्यान में रखते हुए कि पाकिस्तान इस समय कमज़ोर स्थिति में है. कुछ भी ऐसा नहीं होना चाहिए, जो जनरल आसिम मुनीर के हाथों को मज़बूत करे. यही वजह है कि सैन्य शब्दावली में बदला जैसा कोई शब्द नहीं होता; यह हमेशा जवाबी हमला होता है. हालांकि, भारत के लिए, जैसा कि चीनी रणनीतिकार और जनरल सन त्ज़ु ने लिखा, "सबसे बड़ी जीत वही है, जिसमें युद्ध की ज़रूरत न पड़े."