महंगा सोना कई ज्वैलर्स के साथ खरीदारों को भी खुश क्यों कर रहा है?
सोने की ऑल टाइम हाई कीमतों के मद्देनजर खरीदारों का नए आभूषण खरीदने के लिए ज्वैलरी एक्सचेंज के विकल्प पर तेजी से भरोसा बढ़ता जा रहा है

24 कैरेट वाले 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग 1 लाख रुपये के सर्वकालिक ऊंचे स्तर के आसपास मंडरा रही हैं. इससे सवाल खड़ा गया है कि यह पीली धातु कितनी अफोर्डेबल बची है. कई उपभोक्ता अब अपने पुराने आभूषणों के बदले नई ज्वैलरी की खरीद को तरजीह दे रहे हैं.
ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) के अध्यक्ष राजेश रोकड़े कहते हैं, "हाल के दिनों में हम यह चलन काफी तेजी से बढ़ता देख रहे हैं. अभी हमारे लगभग 25 प्रतिशत ग्राहक आभूषण खरीदते समय एक्सचेंज प्रोग्राम का सक्रियता से विकल्प चुनते हैं. कुछ साल पहले यह संख्या काफी कम थी."
आभूषण ब्रांड इंद्रिया के सीईओ संदीप कोहली इस बात की पुष्टि करते हैं कि गोल्ड एक्सचेंज प्रोग्राम कारोबार को बढ़ावा देने का अहम कारक बन गए हैं क्योंकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक अपने पुराने आभूषणों की अच्छी कीमत चाहते हैं और फिर अतिरिक्त पैसे मिलाकर नए डिजाइन के आभूषण खरीदने में उस पैसे का इस्तेमाल करना चाहते हैं. कोहली कहते हैं, "ओल्ड गोल्ड एक्सचेंज प्रोग्राम से उपभोक्ताओं को नए आभूषण खरीदने की अपनी ख्वाहिश को आंशिक रूप से पूरा करने में मदद मिलती है."
यह ब्रांड और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदे का सौदा है. कोहली कहते हैं, "उपभोक्ताओं को पूरी कीमत चुकाए बिना ही नया डिजाइन मिल जाता है और वे पुराने आभूषण दे रहे होते हैं. जौहरी को एक ऐसा ग्राहक मिल जाता है जिसे अगर पूरी रकम देनी होती तो वह खरीदारी ही नहीं करता."
इस मांग का एक और प्रमुख कारण सोने की हॉलमार्किंग है जिसे सरकार ने अनिवार्य कर दिया है. इससे उपभोक्ताओं को बेचे गए और बदले में खरीदे जा रहे सोने के मूल्य में सुरक्षा का एहसास होता है. रोकड़े कहते हैं, "हॉलमार्किंग के कारण सोना अब तिजोरी में बंद निवेश नहीं बल्कि एक उपयोगी संपत्ति हो गया है जिसका मूल्य बना रहता है और जिसे बदलती पसंद और अवसरों के अनुरूप नए डिजाइनों में बदला जा सकता है."
लेकिन रोकड़े आगाह भी करते हैं. उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका सोना हॉलमार्क वाला ही हो. उन्हें सोने की अदला-बदली वाली नीतियों की भी जांच करनी चाहिए और खरीदारी से पहले उससे जुड़े मेकिंग चार्ज को समझना चाहिए. वे जोर देते हैं, "इन ऑफर में स्पष्टता ही सब कुछ है."
पुराने सोने के बदले सोने के ऑफर की जांच के बारे में कोहली कहते हैं कि जूलर्स 22 कैरेट से कम वाले पुराने सोने पर एक निश्चित फीसदी पैसा काटते हैं. अगर आभूषण का कोर कम कैरेट का है और ऊपर से वह 22 कैरेट है तो पिघलाए बिना उसकी पहचान करना मुश्किल होगा. कई बार ग्राहकों को कटौती का एहसास उनके पुराने सोने के पिघलने के बाद ही होता है, जिससे कई बार उनके पास कम कैरेट वाले सोने की कटौती वाली कीमत स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता.
इसलिए, कोहली सलाह देते हैं कि ग्राहकों के लिए किसी भी पुराने सोने के एक्सचेंज ऑफर का लाभ उठाने से पहले कटौती की जांच करना जरूरी है. वे कहते हैं कि निष्पक्षता के लिए इंद्रिया पुराने आभूषण के कैरेट की परवाह किए बिना उस दिन की प्रचलित दर पर पुराने सोने के लिए 100 प्रतिशत एक्सचेंज मूल्य देता है.