जस्टिस सूर्यकांत बने नए CJI, उनके बारे में 10 अहम बातें जानिए

जस्टिस सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर करीब 15 महीने रहेंगे

चीफ जस्टिस पद की शपथ लेते जस्टिस सूर्यकांत
चीफ जस्टिस पद की शपथ लेते जस्टिस सूर्यकांत

24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली. जस्टिस बीआर गवई का स्थान लेने वाले जस्टिस सूर्यकांत करीब 15 महीनों तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे. न्यायमूर्ति सूर्यकांत कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे हैं. इस स्टोरी में जस्टिस सूर्यकांत के बारे में 10 अहम बातें जानते हैं :

1. जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी, 2027 को 65 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद रिटायर होंगे. उनका जन्म 10 फ़रवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उन्होंने 1981 में हिसार के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से बैचलर की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से लॉ में ग्रेजुएशन किया था.

2. पढ़ाई पूरी करने के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने 1984 में हिसार की जिला अदालत में वकालत शुरू की. इसके बाद 1985 में वे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत करने के लिए चंडीगढ़ चले गए. इसके बाद, 2000 में वे हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बने. उन्हें 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन में पहला स्थान हासिल किया था.

3. 2018 में जस्टिस सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति मिली.

4. जस्टिस सूर्यकांत कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें विधानसभा के जरिए पारित विधेयकों से निपटने में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर हाल ही में सुनाया जाने वाला फैसला भी है. वे उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने ब्रिटिश दौर के राजद्रोह कानून पर रोक लगा रखी थी और निर्देश दिया था कि सरकार की समीक्षा तक इसके तहत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए.

5. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे, जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए थे. उन्होंने चुनाव आयोग से बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर रखे गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने का भी आग्रह किया.

6. जस्टिस सूर्यकांत ने उस बेंच का भी नेतृत्व किया जिसने गैरकानूनी रूप से पद से हटाई गई एक महिला सरपंच (ग्राम प्रधान) को बहाल किया और इस मामले में लैंगिक भेदभाव की निंदा की. उन्हें यह निर्देश देने का भी श्रेय दिया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं.

7. प्रधान न्यायाधीश कांत उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की थी.

8. जस्टिस सूर्यकांत ने रक्षा बलों के लिए वन रैंक-वन पेंशन योजना को भी बरकरार रखा और इसे संवैधानिक रूप से वैध बताया तथा सशस्त्र बलों में स्थाई कमीशन में समानता की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी.

9. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत सात न्यायाधीशों की उस पीठ में थे, जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था.

10. वह उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई की थी और गैरकानूनी निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का एक पैनल नियुक्त किया था.

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