उपराष्ट्रपति चुनाव में कैसे दिखी विपक्ष की फूट?

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन कुल 767 वोटों में से 452 वोट मिले, जबकि विपक्षी INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के पक्ष में 300 वोट पड़े

CP Radhakrishnan
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के साथ

BJP की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन 9 सितंबर को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को आसानी से हरा दिया. राधाकृष्णन को कुल 767 वोटों में से 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले. 

यह आंकड़ा साफ बताता है कि विपक्षी खेमे के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है और राधाकृष्णन को वोट दिया है, हालांकि चुनाव से पहले ही संख्याबल राधाकृष्णन के पक्ष में था. यह चुनाव इसलिए कराना पड़ा क्योंकि जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के 50 दिन बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ है.

राधाकृष्णन भले ही चुनाव जीते हों लेकिन उनके और रेड्डी के बीच 150 वोटों का अंतर अब तक के उपराष्ट्रपति चुनावों में सबसे कम में से एक है. यह एक तरह से विपक्ष की मजबूती भी दिखाता है. 2022 में, धनखड़ को 528 वोट मिले थे जबकि विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा केवल 182 वोट ही हासिल कर पाई थीं.

चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में, राधाकृष्णन ने क्रॉस-वोटिंग के बारे में बात की और कहा कि राष्ट्रवादी विचारधारा ने कुछ विपक्षी सांसदों को अभिभूत कर दिया है. इसके साथ ही उनका कहना था,  "विपक्ष और सरकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. हम सबके लिए काम करेंगे."

उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 788 योग्य सांसदों में से 767 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिससे 98.2 प्रतिशत मतदान हुआ. निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि 752 वोट वैध और 15 अवैध थे. मतपत्र डाले जाने के बाद, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया था कि रेड्डी को 315 वोट मिलेंगे, जो रेड्डी को मिले कुल वोटों से 15 कम हैं.

13 सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया, जिनमें बीजू जनता दल (BJD) के सात, भारत राष्ट्र समिति (BRS) के चार, शिरोमणि अकाली दल (SAD) के एक और एक निर्दलीय सांसद शामिल थे.

तमिल मूल के राधाकृष्णन की जीत से तमिलनाडु में BJP के अभियान को मजबूती मिलने की उम्मीद है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. पार्टी पिछले असफल प्रयासों के बाद इस दक्षिणी राज्य में अपनी छाप छोड़ने के लिए उत्सुक है.

सुदर्शन रेड्डी ने हार स्वीकार की

सलवा जुडूम के खिलाफ और काले धन की जांच पर फैसले देने के लिए पहचाने जाने वाले 79 वर्षीय रेड्डी ने नतीजे के बाद कहा कि उन्होंने "विनम्रतापूर्वक" परिणाम स्वीकार किया और राधाकृष्णन को पदभार ग्रहण करने के लिए शुभकामनाएं दी हैं.

उन्होंने एक बयान में कहा, "आज, सांसदों ने भारत के उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में अपना फैसला सुनाया है. मैं हमारे महान गणराज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अटूट विश्वास के साथ इस परिणाम को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं. यह यात्रा मेरे लिए एक गहरा सम्मान रही है, जिसने मुझे उन मूल्यों के लिए खड़े होने का अवसर दिया है जिन्होंने मेरे जीवन का मार्गदर्शन किया है - संवैधानिक नैतिकता, न्याय और प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा."

सुप्रीम कोर्ट जज रह चुके रेड्डी ने इसके साथ यह भी कहा कि भले ही नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे, लेकिन "वैचारिक लड़ाई और भी ज़ोरदार तरीके से जारी है."

उन्होंने आगे कहा, "हालांकि नतीजे मेरे पक्ष में नहीं हैं, लेकिन जिस बड़े मुद्दे को हम सामूहिक रूप से आगे बढ़ाना चाहते थे, वह कम नहीं हुआ है. वैचारिक लड़ाई और भी ज़ोरदार तरीके से जारी है. मैं विपक्षी दलों के नेताओं का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मुझे अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया... मैं नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन को उनके कार्यकाल की शुरुआत के लिए शुभकामनाएं देता हूं."

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