"हमें टैरिफ का आधा पैसा वापस करना होगा"; जानें ट्रंप के ट्रेजरी प्रमुख ने ऐसा क्यों कहा?

ट्रंप सरकार के ट्रेजरी प्रमुख स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले को सही बताया तो अमेरिका को टैरिफ का आधा पैसा वापस करना होगा.

डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)

एक तरफ अमेरिका दुनियाभर के देशों को टैरिफ की धमकी दे रहा है. वहीं, दूसरी ओर ट्रंप सरकार के ट्रेजरी प्रमुख स्कॉट बेसेंट ने 7 सितंबर को कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने टैरिफ के मामले में निचली अदालतों के फैसले को सही ठहराया, तो ट्रंप सरकार को टैरिफ का आधा पैसा वापस करना होगा.

इसके आगे बेसेंट ने कहा कि निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगने से न सिर्फ अमेरिकी सरकार को अरबों डॉलर वापस करने होंगे, बल्कि इससे ट्रंप की टैरिफ नीति को भी झटका लगेगा. दरअसल, निचली अदालत ने अपने फैसले में बताया है कि टैरिफ लगाने में ट्रंप सरकार ने अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया है.

अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो रही है. देखने वाली बात ये होगी कि सुप्रीम कोर्ट दो-दो निचली अदालतों के फैसले को सही मानती है या नहीं.

एनबीसी के एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सवाल के जवाब में बेसेंट ने कहा, "सरकार के खिलाफ फैसला सुनाए जाने के बाद हमें लगभग आधे टैरिफ वापस करने होंगे, जो वित्त मंत्रालय के लिए बहुत बुरा होगा." जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रशासन उन भुगतानों को जारी करने के लिए तैयार है, तो उन्होंने स्वीकार किया और कहा, "अगर अदालत कहती है, तो हमें ऐसा करना ही होगा."

इसके साथ ही बेसेंट ने जोर देकर कहा, "हमें पूरा विश्वास है कि ट्रंप प्रशासन की जीत होगी." बता दें कि इससे पहले दो अदालतों ने ट्रंप के फैसले को गलत माना है. मई 2025 में न्यूयॉर्क में मौजूद कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने इन टैरिफ को अवैध बताया था.

इसके बाद 29 अगस्त 2025 को यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने 7-4 के फैसले में कहा कि टैरिफ लगाना कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद का अधिकार है, न कि राष्ट्रपति का. अदालत का कहना था कि ट्रंप ने अपने संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया.

इसके साथ ही अदालत ने ट्रंप सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति देते हुए अपना फैसला 14 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया. फिर ट्रंप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. अब ट्रंप सरकार ने नवंबर की शुरुआत में दलीलें सुनने और उसके तुरंत बाद फैसला सुनाने का अनुरोध किया है.

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