हायर एजूकेशन को चलाने वाला UGC चल रहा बिना मुखिया के!

भारत में हायर एजूकेशन को रेगूलेट करने वाली संस्था UGC में पिछले 7 अप्रैल से बिना किसी फुल टाइम चेयरमैन के चल रहा है

UGC के चेयरमैन रहे जगदीश कुमार का कार्यकाल 7 अप्रैल 2025 को पूरा हो चुका है

भारत में उच्च शिक्षा का रेगूलेशन करने वाली संस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन का पद पिछले डेढ़ महीने से खाली है. यूजीसी देश भर के विश्वविद्यालयों के नियामक के तौर पर काम करता है. यूजीसी के जिम्मे सिर्फ रेगूलेशन का ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षा में ग्रांट पर निर्णय लेने, संस्थानों की रेटिंग कराने, उच्च शिक्षा का स्टैंडर्ड बनाए रखने, रिसर्च को प्रोत्साहित करने जैसे और भी कई काम हैं. कुल मिलाकर देखें तो भारत में उच्च शिक्षा को राह दिखाने का काम यूजीसी का है. 

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इतनी जिम्मेदारियों वाले संस्थान का ये हाल है कि इसके चेयरमैन रहे एम जगदीश कुमार को रिटायर हुए डेढ़ महीने से अधिक हो गया लेकिन उनकी जगह किसी नए फुल टाइम चेयरमैन की नियुक्ति अभी केंद्र सरकार ने नहीं की है. केंद्र सरकार ने सचिव, उच्च शिक्षा विनीत जोशी को यूजीसी के चेयरमैन का अतिरिक्त कार्यभार दिया है. अब जाहिर सी बात है कि भारत सरकार के एक प्रमुख विभाग के सचिव के पास पहले से ही इतनी जिम्मेदारियां होती हैं कि यूजीसी चेयरमैन की एक फुल टाइम की जिम्मेदारी में वह पार्ट टाइम ही काम कर पाएगा. 

हालांकि, केंद्र सरकार के इस कदम को यूजीसी एक्ट के प्रावधानों के विरूद्ध बताया जा रहा है. 7 अप्रैल को एम. जगदीश कुमार का कार्यकाल पूरा होने के चार दिन बाद 11 अप्रैल को विनीत जोशी को यूजीसी चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. यूजीसी में शीर्ष पद पर बैठे लोग और कानूनी जानकार इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं. 

यूजीसी कानून की धारा 5(2) में यह स्पष्ट तौर पर लिखा है कि यूजीसी चेयरमैन वैसे लोगों में से चुना जाएगा जो केंद्र सरकार या राज्य सरकार में अधिकारी नहीं हों. इसी कानून की धारा 6(3) में यह प्रावधान किया गया है कि अगर किसी वजह से चेयरमैन का पद खाली रहता है तो कार्यभार वाइस-चेयरमैन के पास रहेगा. कानून में इसके लिए 'कैजुअल वैकेंसी' टर्म का इस्तेमाल किया गया है. कैजुअल वैकेंसी के लिए चार वजहों- मृत्यु, इस्तीफा, बीमारी या अक्षमता को कानून में शामिल किया गया है.

इस बारे में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा का काम देखने वाले अधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. लेकिन एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ''मंत्रालय में भी यह बात चली थी. लेकिन यूजीसी चेयरमैन का पद खाली रहने को केंद्र सरकार कानूनी तौर पर 'कैजुअल वैकेंसी' नहीं मान रही है. इसलिए अंतरिम व्यवस्था के तहत सचिव, उच्च शिक्षा को यूजीसी चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.'' केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधिकारी के यूजीसी चेयरमैन नहीं बनने के प्रावधान पर भी इस अधिकारी का यही जवाब था कि अभी एक अंतरिम व्यवस्था बनाई गई है और इसमें यह कानूनी प्रावधान बाधा नहीं है.

आखिर यूजीसी चेयरमैन की नियुक्ति में देरी क्यों हो रही है? इस बारे में शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी बस इतना बताते हैं कि प्रक्रिया चल रही है और जल्दी ही पूरी कर ली जाएगी. एम. जगदीश कुमार यूजीसी चेयरमैन बनने से पहले नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति थे. सूत्रों की मानें तो इस बार भी नई दिल्ली में स्थिति एक प्रमुख विश्वविद्यालय के कुलपति यूजीसी चेयरमैन बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं. लेकिन इस बारे में निर्णय जिन लोगों को लेना है, उनकी पसंद अलग-अलग हैं और इस वजह से किसी एक नाम पर सहमति बनने में देरी हो रही है.

फुल टाइम चेयरमैन नहीं होने की वजह से यूजीसी के कामकाज में क्या दिक्कतें आ रही हैं? इस बारे में यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ''शीर्ष स्तर पर यानी सचिव, संयुक्त सचिव और अन्य टॉप अधिकारियों के बीच पूरी तरह से भ्रम की स्थिति है. कई नाम चल रहे हैं. यह बात ठीक है कि यूजीसी केंद्र सरकार के विजन के हिसाब से काम करती है. लेकिन हर चेयरमैन अपना एक विजन लेकर आता है. कोई चेयरमैन नहीं होने की वजह से सभी सीनियर अधिकारी तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस दिशा में किस तरह से आगे बढ़ना है.'' 

वे आगे कहते हैं, ''रोज-रोज के काम में भी दिक्कत होती है. अगर फुल टाइम चेयरमैन होता है तो उनके साथ अक्सर मीटिंग होती है. जिस फाइल पर उनके दस्तखत की जरूरत होती है, उसके लिए कहीं और नहीं जाना पड़ता. अभी तो जरूरी फाइलें सेक्रेटरी ऑफिस को भेजनी पड़ती हैं. हम जिन विश्वविद्यालयों और संस्थानों का नियमन करते हैं, उनके लोग भी चेयरमैन से मिलकर उनसे मार्गदर्शन लेते रहते हैं. अभी ये काम भी नहीं हो रहा है.''

यूजीसी के एक और वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों और देश भर के प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का एक वॉट्सएप ग्रुप बना हुआ है. इसमें उच्च शिक्षा से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर यूजीसी और कुलपतियों के बीच संवाद होता है. इस अधिकारी ने बताया कि इस ग्रुप में नए चेयरमैन की नियुक्ति के विषय पर कोई भी कुलपति कुछ नहीं बोल रहा, हर कोई चुप्पी साधे हुए है, जबकि अनौपचारिक बातचीत में यही लोग कह रहे हैं कि समय से नियुक्ति हो जानी चाहिए.

इससे पहले 2017 में तकरीबन नौ महीने तक यूजीसी को फुलटाइम चेयरमैन नहीं मिला था. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के कार्यकाल में यूजीसी चेयरमैन बनाए गए वेद प्रकाश तोमर अप्रैल, 2017 में अपने पद से सेवानिवृत्त हो गए थे. वेद प्रकाश तोमर को जनवरी, 2013 में उनके पहले के चेयरमैन सुखदेव थोराट की सेवानिवृत्ति के 23 महीने बाद यूजीसी चेयरमैन नियुक्त किया गया था. थोराट 2011 के फरवरी में यूजीसी चेयरमैन पद से रिटायर हुए थे. 

लेकिन 2017 में वेद प्रकाश तोमर के रिटायरमेंट के वक्त तक केंद्र में यूपीए की जगह बीजेपी की सरकार सत्ता में आ गई थी. नई सरकार को यूजीसी का नया चेयरमैन चुनने में तकरीबन 9 महीने का वक्त लगा. दिसंबर, 2017 में केंद्र सरकार ने डीपी सिंह को यूजीसी का चेयरमैन नियु​क्त किया था.

डीपी सिंह 7 दिसंबर, 2021 को यूजीसी चेयरमैन के पद से सेवानिवृत्त हुए. इसके बाद भी तकरीबन ढाई महीने तक यूजीसी चेयरमैन का पद खाली रहा. तकरीबन ढाई महीने बाद 22 फरवरी, 2022 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे एम. जगदीश कुमार को यूजीसी का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया था. यूजीसी में 2025 में भी 2011, 2017 और 2021-22 की कहानी दोहराई जा रही है.

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