सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के 3 संशोधनों पर लगाई रोक; जानें अदालत के फैसले की 6 खास बातें

इससे पहले 22 मई को लगातार तीन दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर फैसला सुरक्षित रख लिया था

वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

15 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने कानून के तीन मुख्य संशोधनों पर रोक लगा दी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित वक्फ अधिनियम पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया..

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को आंशिक राहत जरूर मिली है. इसके अलावा कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के निर्धारण और अतिक्रमण से जुड़े विवादों के समाधान के लिए कई दिशा-निर्देश भी दिए.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ी 6 प्रमुख बातें :

  1. प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हमने पाया कि याचिका में मूल चुनौती धारा 3(r), 3(c), और 14 को दी गई है. हमने वक्फ अधिनियम 1923 के कानूनी इतिहास का अध्ययन किया और प्रत्येक धारा के खिलाफ दी गई चुनौतियों पर विचार किया. इस तरह हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि केवल इन्हीं तीन धाराओं पर फैसला सुनाया जायेगा."
     
  2. सुनवाई के दौरान अदालत ने नए कानून की धारा 3 (1) (r) पर रोक लगा दी. इस धारा के मुताबिक, वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को पांच साल तक इस्लाम का पालन करना जरूरी था. अदालत ने कहा कि जब तक राज्य और केंद्र सरकारें इस पर साफ-साफ नियम नहीं बनातीं, तब तक इस पर रोक है.
     
  3. पीठ ने नए कानून में 3(C)(2) कानून पर भी रोक लगा दी है. इस कानून के मुताबिक, किसी संपत्ति को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाता था, जब तक की सरकार का नामित अधिकारी उस जगह पर अतिक्रमण को लेकर अपनी रिपोर्ट नहीं जमा कर देता है.
     
  4. सुप्रीम कोर्ट ने उस नए कानून की धारा 3(C)(4) पर भी रोक लगा दी. इस कानून के तहत कलेक्टर को संपत्ति सर्वे का अधिकार मिलता था. इस नियम के मुताबिक, जब तक कलेक्टर किसी संपत्ति पर रिपोर्ट नहीं देगा, उस संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर भी रोक लगा दी है.
     
  5. मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, "कलेक्टर को अधिकार निर्धारित करने की अनुमति देना शक्तियों के पृथक्करण के खिलाफ है. कार्यपालिका को नागरिकों के अधिकार निर्धारित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है."
     
  6. मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने आगे कहा कि प्रावधान (धारा 9 और 14) के मुताबिक, केंद्रीय वक्फ परिषद में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य और राज्य वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि पदेन अधिकारी यथासंभव मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए.

अब वक्फ संशोधन कानून का बैकग्राउंड जानते हैं :

5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद, केंद्र ने 8 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को नोटिफिकेशन जारी किया. लोकसभा में इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 मत पड़े, तथा राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 मत पड़े.

तीन सप्ताह बाद 25 अप्रैल को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अधिनियम का बचाव करते हुए एक प्रारंभिक हलफनामा दायर किया और संसद द्वारा पारित इस कानून पर अदालत के जरिए "पूर्ण रोक" लगाए जाने का विरोध किया.

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