RSS के सौ साल: क्या संघ में होने वाला है बड़ा बदलाव! सालाना बैठक में क्या हुई चर्चा?

बेंगलुरु में संघ की प्रतिनिधि सभा में संघ के शताब्दी वर्ष में संगठन विस्तार को लेकर विस्तृत रणनीति बनाई गई. सांगठनिक ढांचे में बदलाव पर भी हुई चर्चा

(बाएं) संघ प्रमुख मोहन भागवत (दाएं) दत्तात्रेय होसबाले/RSS की ऑफिशियल वेबसाइट
(बाएं) संघ प्रमुख मोहन भागवत (दाएं) दत्तात्रेय होसबाले/RSS की ऑफिशियल वेबसाइट

कर्नाटक की राजधानी बेंगुलरु में 21 मार्च से 23 मार्च तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक हुई. यह बैठक हर साल होती है. इस बार की बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण रही कि 1925 में स्थापित संघ इस साल विजयादशमी के दिन 100 वर्ष पूरा करेगा.

शताब्दी वर्ष पूरा होने के पहले प्रतिनिधि सभा की यह आखिरी बैठक थी. इसलिए इस बार की बैठक में RSS के 100 साल पूरा होने पर सांगठनिक विस्तार और जनसंपर्क के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई. साथ ही प्रमुख नेताओं के बीच संघ के देशव्यापी सांगठनिक ढांचे में बदलाव को लेकर भी चर्चा की गई.

संघ की प्रतिनिधि सभा में शताब्दी वर्ष को लेकर बाकायदा एक प्रस्ताव पारित किया गया. इसका शीर्षक है: विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिन्दू समाज का निर्माण. इस प्रस्ताव में संघ की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा और संगठन की कार्य-पद्धति के बारे में बताते हुए भविष्य की कार्ययोजना के बारे में बताया गया है. प्रस्ताव के अंत में कहा गया, "अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सज्जन शक्ति के नेतृत्व में संपूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के सम्मुख उदाहरण प्रस्तुत करने वाला समरस और संगठित भारत का निर्माण करने हेतु संकल्प करती है."

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा संघ में निर्णय लेने की सर्वोच्च संस्था है. इसमें संघ के शीर्ष नेतृत्व के अलावा सभी पदाधिकारी, कार्यकारिणी के सभी सदस्य, संघ के अनुषंगिक संगठनों के प्रतिनिधि और संघ प्रेरित संगठनों के लोग भी शामिल होते हैं. इस बार की प्रतिनिधि सभा में देश भर से तकरीबन 1,500 लोग शामिल हुए.

इस सभा में संघ के शताब्दी वर्ष को लेकर जो कार्ययोजना बनाई गई है, उसे तीन हिस्से में बांटा गया है. इसके मूल में यही है कि अगले एक वर्ष तक संघ के कार्यों के विस्तार और इन्हें अधिक प्रभावी बनाने पर खास जोर दिया जाना है. तीन स्तरीय कार्ययोजना में प्रतिनिधि सभा ने यह निर्णय लिया कि संघ का संगठन हर स्तर पर शताब्दी वर्ष में आत्मचिंतन का कार्य करेगा. प्रतिनिधि सभा में शामिल संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक बैठक में कहा गया कि इस आत्मचिंतन के आधार पर संघ के भविष्य के विस्तार और प्रभावी कार्यशैली के सूत्र तलाशे जाएंगे.

वे आगे कहते हैं, "दरअसल, पिछले कुछ समय से संघ के सांगठनिक ढांचे में बदलाव को लेकर बातचीत चल रही है. इस बार की प्रतिनिधि सभा में इसे लेकर बातचीत हुई. संघ के कुछ प्रमुख लोगों ने बैठक में अलग से भी इस विषय पर चर्चा की. फिर तय हुआ कि अभी इस पर और काम किए जाने की जरूरत है. यह भी उम्मीद की जा रही है कि आत्मचिंतन की जो बात शताब्दी वर्ष की दृष्टि से कही गई है, उससे सांगठनिक बदलाव को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सूत्र मिल सकें."

सांगठनिक ढांचे में जिन बदलावों को लेकर संघ में जो आंतरिक चर्चा चल रही है, उसमें कामकाज की दृष्टि से संघ ने क्षेत्रों और दायित्वों का जो विभाजन किया है, उसमें बदलाव किया जा सकता है. साथ ही विभिन्न स्तर पर पदाधिकारियों के पदनाम में भी बदलाव किया जा सकता है.

शताब्दी वर्ष में संघ की दूसरी योजना यह है कि उसे अपने अब तक के कार्यों में समाज से जो समर्थन हासिल हुआ है, उसके लिए अलग-अलग स्तर पर समाज के प्रति आभार प्रकट करना. तीसरी योजना के तहत कहा गया है, "राष्ट्र के लिए तथा समाज को संगठित करने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करना है."

इन तीनों संकल्पों को पूरा करने के लिए संघ की प्रतिनिधि सभा में कई कार्यक्रमों और अभियानों की रूपरेखा रखी गई. इस बारे में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले कहते हैं, "जैसा कि डॉ. हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना के समय कहा था, संघ कोई नया कार्य शुरू नहीं कर रहा है, बल्कि कई शताब्दियों से चले आ रहे काम को आगे बढ़ा रहा है. विजयादशमी के दिन से संघ शताब्दी के दौरान विशिष्ट गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेगा."

संघ की तरफ से शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों की शुरुआत इस साल विजयादशमी पर संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर होगी. इस दिन हर साल की तरह संघ मुख्यालय नागपुर में मुख्य कार्यक्रम आयोजित होगा और सरसंघचालक मोहन भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे. संघ की योजना इस दिन मंडल, खंड और नगर स्तर तक विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की है.

इसके तुरंत बाद नवंबर, 2025 से जनवरी, 2026 तक बड़े पैमाने पर घर-घर संपर्क अभियान की योजना संघ ने बनाई है. इसका विषय 'हर गांव, हर बस्ती, घर-घर' रखा गया है. इस व्यापक जनसंपर्क अभियान के तहत संघ साहित्य का वितरण किया जाएगा और साथ ही स्थानीय इकाइयों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

शताब्दी वर्ष के दौरान संघ की योजना सभी मंडलों और बस्तियों में हिन्दू सम्मेलन आयोजित करने की भी है. इन सम्मेलनों के माध्यम से राष्ट्र के विकास में सभी का योगदान और पंच परिवर्तन में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी का संदेश देने की योजना है. संघ ने शताब्दी वर्ष में जिन पंच परिवर्तन की बात की है, उनमें सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता समेत नागरिक कर्तव्य शामिल हैं. इन पांचों विषयों पर अलग-अलग कार्यक्रमों की योजना भी संघ ने बनाई है.

शताब्दी वर्ष को लेकर संघ ने यह भी तय किया है कि खंड और नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकें आयोजित की जाएंगी. इन बैठकों में समाज के सभी वर्गों के एक साथ मिलकर रहने पर बल दिया जाएगा. संघ पदाधिकारियों का कहना है कि इन बैठकों का उद्देश्य सांस्कृतिक आधार और हिन्दू चरित्र को खोए बिना आधुनिक जीवन जीने का संदेश देना होगा.

शताब्दी वर्ष में संघ की अन्य गतिविधियों की जानकारी देते हुए होसबाले कहते हैं, "जिला स्तर पर प्रमुख नागरिक संवाद आयोजित किए जाएंगे. इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय विषयों पर सही विमर्श स्थापित करने और आज प्रचलित गलत विमर्श को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम प्रांतों द्वारा आयोजित किए जाएंगे. 15 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए राष्ट्र निर्माण, सेवा गतिविधियों और पंच परिवर्तन पर केंद्रित कार्यक्रम किए जाएंगे. स्थानीय इकाइयां आवश्यकता के अनुसार कार्यक्रमों की योजना बनाएंगी."

इस बैठक में संघ की तरफ से दूसरा प्रस्ताव बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के बारे में पारित किया गया. 'बांग्लादेश के हिन्दू समाज के साथ एकजुटता से खड़े होने का आह्वान' शीर्षक वाले प्रस्ताव में कहा गया है कि संघ बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों के हाथों हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा, उत्पीड़न और लक्षित उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त करता है. प्रस्ताव में धार्मिक असहिष्णुता और मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए वैश्विक समुदाय से निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है.

संघ की प्रतिनिधि सभा में महिला स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक स्टेटमेंट जारी किया गया. उल्लेखनीय है कि रानी अबक्का का पुर्तगालियों के खिलाफ छोटे से राज्य उल्लाल (दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक) की रक्षा करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. केंद्र सरकार ने 2023 में महारानी अबक्का के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था. 2009 में भारत सरकार ने एक गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा था.

इस प्रतिनिधि सभा से शताब्दी वर्ष में संगठन विस्तार और कार्य विस्तार के बारे में होसबाले कहते हैं, "संघ देश के कोने-कोने तक पहुंचने में सफल रहा है. संघ न केवल राष्ट्र को एकजुट करने का काम करता है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तथा उसके बाद राहत एवं पुनर्वास कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहा है. शताब्दी वर्ष में हम अधिक सावधानी, गुणवत्ता तथा व्यापकता से कार्य करने का संकल्प लेते हैं."

Read more!