कौन हैं राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के यजमान अनिल मिश्र?
पेशे से होम्योपैथी के डॉक्टर और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 16 जनवरी से शुरू हुए अनुष्ठानों में बतौर यजमान शामिल हो रहे हैं

सनातन धर्म से जुड़े किसी भी अनुष्ठान में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यजमान की होती है. संस्कृत में यजमान का मतलब ऐसे व्यक्ति, संरक्षक से है जिसकी ओर से कोई अनुष्ठान या यज्ञ किया जाता है. यजमान अनुष्ठान की केंद्रीय भूमिका में होता है और कर्मकांडों के लिहाज से उसे सही ढंग से पूरा करने के लिए जिम्मेदार होता है.
अयोध्या में 22 जनवरी से पहले आयोजित होने वाले राम मंदिर पूर्व-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य यजमान (प्रधान यजमान) डॉ अनिल मिश्र (75) और उनकी पत्नी उषा मिश्रा हैं. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के एक हफ्ता पहले 16 जनवरी से प्रतिष्ठा-पूर्व अनुष्ठान भी शुरू हो गए हैं जिनमें वे यह भूमिका निभा रहे हैं.
अयोध्या निवासी और पेशे से डॉक्टर रहे अनिल मिश्र का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पुराना नाता है. डा. मिश्र का जन्म आंबेडकर नगर जिले के पतौना गांव में साल 1958 में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई जौनपुर के जयहिंद इंटर कॉलेज में हुई. इसके बाद डॉ. अनिल होम्योपैथी पढ़ने फैजाबाद आ गए. उन्होंने वर्ष 1981 में बृजकिशोर होम्योपैथी कॉलेज, फैजाबाद से बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) की डिग्री ली. यहां पर जब होम्योपैथी को एलोपैथी के बराबर हक देने की जंग छिड़ी तो डॉ. अनिल मिश्रा ने सक्रिय तौर पर इसमें भागीदारी की. इस आंदोलन में वह जेल भी गए.
जेल में रहने के दौरान ही डॉ. अनिल मिश्रा संघ के प्रताप नारायण मिश्र और रमाशंकर उपाध्याय के संपर्क आए. इन्हीं से प्रेरित होकर संघ से जुड़े. बाद में वे सरकारी चिकित्सा सेवा में चयनित हो गए. इसी के साथ उनका जुड़ाव आरएसएस से हो गया. सुलतानपुर और गोंडा में चिकित्साधिकारी के पद पर उनकी तैनाती रही. बावजूद इसके वे संघ की शाखाओं के नियमित सदस्य बने रहे.
वे संघ में सह प्रांत कार्यवाह के बाद अवध के प्रांत कार्यवाह भी रहे. आरएसएस के सक्रिय सदस्य के रूप में उन्होंने आपातकाल का विरोध किया. सरकारी नौकरी के अंतिम दौर में उन्होंने उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार पद की जिम्मेदारी भी संभाली. 2020 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह पूर्ण रूप से संघ के कार्यों के लिए समर्पित हो गए. सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया तो डॉ़ मिश्र को इसका स्थायी सदस्य बनाया गया. डा. मिश्र की पत्नी उषा मिश्र गृहिणी हैं.
16 जनवरी को जैसे ही अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अनुष्ठान शुरू हुआ, मुख्य यजमान होने के नाते डा. मिश्र ने सरयू नदी में डुबकी लगाई और फिर व्रत शुरू करने से पहले पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) लिया. फिर उन्होंने प्रश्चिता, संकल्प, कर्मकुटी पूजा की और हवन किया. अगले दिन डा. मिश्र और उनकी पत्नी ने कलश पूजन किया, जिसके बाद बर्तनों में सरयू नदी से पानी भरकर उस स्थान पर ले जाया गया, जहां अनुष्ठान किया जा रहा है.
इसके बाद लगातार अनुष्ठान के लिए निर्धारित कड़े कर्मकांड का डा. अनिल मिश्र और उनकी पत्नी पालन कर रहे हैं. वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री की देखरेख में कुल 121 पुजारी अनुष्ठान कर रहे हैं. तीर्थ ट्रस्ट की ओर से जारी कार्यक्रम के मुताबिक 20 जनवरी को गर्भगृह को पवित्र किया जाएगा. इसके लिए सरयू नदी का जल लाया जाएगा. इसके बाद वास्तु शांति, अन्नाधिवास समेत दूसरे अनुष्ठान होंगे. 21 जनवरी को रामलला के विग्रह का 125 कलश से स्नान कराया जाएगा. 22 जनवरी को सुबह रामलला के विग्रह का पूजन होगा और दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट से अगले 84 सेकंड के शुभ मुहूर्त मे प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी.