प्रशांत किशोर दो राज्यों में वोटर! जनसुराज का इस मामले पर क्या कहना है?

चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का नाम बिहार के साथ-साथ प. बंगाल की वोटर लिस्ट में भी है

prashant kishor, jan suraaj
प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)

जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर एक नए विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं. चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उनका नाम पश्चिम बंगाल और बिहार, दोनों राज्यों की वोटर लिस्ट में दर्ज है. 

प्रशांत किशोर का नाम पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट और बिहार के रोहतास ज़िले की करगहर विधानसभा सीट- दोनों की वोटर लिस्ट में पाया गया है. बंगाल में उनका पता 121 कालीघाट रोड बताया गया है, जो तृणमूल कांग्रेस (TMC) का हेडक्वार्टर है.

बंगाल में उनका मतदान केंद्र सेंट हेलेन स्कूल, बी. रानीशंकारी लेन में है. चुनाव आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक “प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकता.” प्रशांत किशोर 2017 में TMC के पॉलिटिकल कंसल्टेंट के तौर पर काम कर रहे थे. माना जा रहा है कि इसी दौरान उनका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा गया है.

प्रशांत किशोर के नज़दीकी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बंगाल चुनावों के बाद बिहार में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराया और बंगाल की मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए आवेदन भी दिया, लेकिन अभी तक चुनाव आयोग ने इसकी पुष्टि नहीं की है कि नाम हटा दिया गया है या नहीं.

इस बारे में जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुमार सौरभ सिंह ने कहा है, "इसकी ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की है. उसने बिहार में बड़े धूमधाम से SIR शुरू किया था. बहुत सारे नाम हटाए गए. अगर प्रशांत किशोर जैसे जाने-माने व्यक्ति के मामले में लापरवाही कर सकते हैं, तो आप सोच सकते हैं कि अन्य जगहों पर चुनाव आयोग कितना चौकस होगा." 

यह मामला उस समय सामने आया है जब चुनाव आयोग देशभर में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) कर रहा है, ताकि दोहराव या ग़लत प्रविष्टियों को हटाया जा सके.

राजनीतिक दलों ने इस मामले को लेकर बयानबाज़ी शुरू कर दी है. BJP के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है, “प्रशांत किशोर का नाम पश्चिम बंगाल और बिहार दोनों राज्यों की वोटर लिस्ट में दर्ज होना कोई मामूली चूक नहीं, बल्कि एक घोर अपराध है! यह निर्वाचन आयोग के नियमों का खुला उल्लंघन है और लोकतंत्र को धोखा देने वाली कुटिल चालबाजी का नंगा चेहरा है.” हालांकि अभी तक इस मामले पर प्रशांत किशोर की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

Read more!