ट्रंप ने 4 बार किया कॉल, PM मोदी ने नहीं की बात; जर्मन अखबार का दावा

जर्मन अखबार 'फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइन जिटुंग' के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले कुछ दिनों में चार बार कॉल किया, लेकिन PM मोदी ने उनसे बात नहीं की

राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी (फाइल फोटो)
राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी (फाइल फोटो)

जर्मन अखबार 'फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइन जिटुंग' (FAZ) ने डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी को लेकर एक बड़ा दावा किया है. इस अखबार के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के हफ्तों में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करने की कम से कम चार बार कोशिश की, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री ने बात करने से इनकार कर दिया.

जर्मनी के मेज शहर से प्रकाशित होने वाले इस अखबार का कहना है कि यह पीएम मोदी के गुस्से और सावधानी दोनों को दिखाता है. राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से बात करने का प्रयास ऐसे समय में किया गया है, जब उनकी सरकार ने भारत पर 50 फीसद टैरिफ लगाया है. यह टैरिफ ब्राजील के अलावा किसी भी अन्य देशों की तुलना में ज्यादा है.

जर्मन अखबार 'फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइन' के मुताबिक, संभव है कि पीएम मोदी फिलहाल ट्रंप से बात नहीं कर सावधानी बरत रहे हों. ऐसा इसलिए क्योंकि, हाल में ट्रंप ने वियतनाम के जनरल सेक्रेटरी टो लैम के साथ एक फोन कॉल के दौरान अमेरिका और वियतनाम के बीच ट्रेड डील पर बात की.

यह सिर्फ बातचीत थी, अभी समझौता होना बाकी था. लेकिन, किसी समझौते पर पहुंचे बिना ही ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ऐलान कर दिया कि ट्रेड डील हो गई है. ऐसे में संभव है कि पीएम मोदी, वियतनाम के जनरल सेक्रेटरी की तरह, ट्रंप के जाल में फंसना नहीं चाहते, इसीलिए वह सावधानी बरत रहे हैं.

बर्लिन स्थित ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सह-संस्थापक और निदेशक थोरस्टन बेनर ने इस अखबार के पन्ने को साझा करते हुए एक्स पर लिखा, "FAZ का दावा है कि ट्रंप ने हाल के सप्ताहों में मोदी को चार बार फोन करने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने बात करने से इनकार कर दिया."

पीएम मोदी के गुस्से की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों को माना जा रहा है. ट्रंप ने 31 जुलाई को कहा था, "मुझे इसकी परवाह नहीं है कि भारत रूस के साथ क्या करता है. वे दोनों मिलकर अपने देश की डेड इकोनॉमी को और नीचे गिरा सकते हैं." इसके जवाब में पीएम मोदी ने 10 अगस्त को ट्रंप के बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा, "भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है."

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी बाजार पर अन्य देशों की अत्यधिक निर्भरता के कारण ट्रंप अनुचित लाभ उठा रहे हैं. न्यूयॉर्क के न्यू स्कूल में भारत-चीन संस्थान के सह-निदेशक मार्क फ्रेजियर कहते हैं, "अमेरिका की रणनीति काम नहीं कर रही है. 'हिंद-प्रशांत' गठबंधन की अमेरिकी अवधारणा, जिसमें भारत, चीन को नियंत्रित करने में अमेरिका के साथ अहम भूमिका निभाएगा, ध्वस्त होते नजर आ रही है." इसके आगे फ्रेजियर बताते हैं, भारत का कभी भी चीन के खिलाफ अमेरिका का साथ देने का इरादा नहीं था.

साथ ही फ्रेजियर कहते हैं, "चीन को भारत की जरूरत है, लेकिन भारत को चीन की जरूरत उससे ज्यादा है. भारत का यह बदलाव रणनीतिक है. भारत और चीन वैश्विक प्रभाव और औद्योगिक विकास में समान रुचि रखते हैं. चीन के लिए भारत उसकी वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है. दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है."

भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीएम मोदी ने 17 जून को राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर उनसे बात की थी. दोनों को कनाडा में जी 7 शिखर सम्मेलन के दौरान मिलना था, लेकिन ट्रंप निर्धारित समय से पहले ही अमेरिका लौट आए. विदेश मंत्रालय ने 18 जून को जारी बयान में कहा, "इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर दोनों नेताओं ने आज (17 जुलाई) फोन पर बात की. बातचीत लगभग 35 मिनट तक चली."

विदेश मंत्रालय ने कहा कि ट्रंप ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले पर अपनी संवेदना व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ अपना समर्थन भी व्यक्त किया. विदेश मंत्रालय ने कहा, "यह [हमले और ऑपरेशन सिंदूर] के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बातचीत थी." उन्होंने आगे कहा, "इसलिए, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बात की."

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