स्टार्टअप इनोवेशन में भारत चीन से क्यों पिछड़ रहा है?

बीते सप्ताह पीयूष गोयल ने कुछ स्टार्टअप्स की यह कहकर आलोचना की कि देश में कई स्टार्टअप फूड डिलीवरी और सट्टेबाजी, फैंटसी स्पोर्ट्स ऐप पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं, जबकि चीन में लोग डीप टेक पर काम कर रहे हैं

3 अप्रैल को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल स्टार्टअप महाकुंभ के दौरान बोलते हुए
3 अप्रैल को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल स्टार्टअप महाकुंभ के दौरान बोलते हुए

पिछले हफ्ते केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम पर की गई टिप्पणी से चर्चा का बाजार गर्म है. 3 अप्रैल को पीयूष दिल्ली में स्टार्टअप महाकुंभ में बतौर मुख्य वक्ता पहुंचे थे. वहां उन्होंने कुछ स्टार्टअप्स की यह कहकर आलोचना की कि देश में कई स्‍टार्टअप फूड डिलीवरी और सट्टेबाजी, फैंटसी स्‍पोर्ट्स ऐप पर ज्‍यादा फोकस कर रहे हैं, जबकि चीन में लोग EV, बैटरी तकनीक, सेमीकंडक्‍टर और AI पर काम कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने सवालिया लहजे में पूछा, "क्या हमें आइसक्रीम या चिप्स ही बनाना है? दुकानदारी ही करनी है. क्या हम डिलीवरी बॉय और गर्ल्स बनकर खुश रहेंगे? क्या यही भारत की नियति है...यह स्टार्टअप नहीं है, यह आंत्रेप्रेन्योरशिप (उद्यमिता) है." गोयल की इस टिप्पणी से इंडस्ट्री में माहौल गर्म हो गया. कुछ नामी बिजनसमैन उनके समर्थन में आए, तो वहीं जेप्टो के CEO और अन्य लोगों ने इस पर अपना जबरदस्त विरोध दर्ज कराया है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब है जहां 100 से ज्यादा 'यूनिकॉर्न' कंपनियां हैं. यूनिकॉर्न, निजी स्वामित्व वाले वे स्टार्टअप होते हैं जिनका वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर यानी 8,200 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है. सरकार ने देश में करीब 1.57 लाख स्टार्टअप को मान्यता दी है. लेकिन जहां तक 'डीप-टेक स्टार्टअप्स' की बात है, इनकी संख्या काफी सीमित है.

डीप-टेक स्टार्टअप्स, असल में वे स्टार्टअप कंपनियां होती हैं जो अत्याधुनिक और जटिल तकनीकी नवाचारों (cutting-edge technological innovations) पर काम करती हैं. ये कंपनियां आमतौर पर साइंस, इंजीनियरिंग, या एडवांस्ड तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, बायोटेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग या नैनोटेक्नोलॉजी पर आधारित होती हैं.

ई-कॉमर्स से अलग हटकर इनोवेशन पर फोकस करने का आह्वान करते हुए गोयल ने कहा कि भारत में डीप-टेक स्टार्टअप की संख्या सीमित है. उन्होंने कहा, "भारत के डीप-टेक क्षेत्र में केवल 1,000 स्टार्टअप होना एक परेशान करने वाली स्थिति है." चीनी स्टार्टअप्स के साथ तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि चीन एआई और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी है, ऐसे में भारतीय स्टार्टअप को रियल्टी चेक करने की जरूरत है.

गोयल ने कहा था, "भारत के स्टार्टअप्स आज के दौर में क्या कर रहे हैं? हमारा ध्यान फूड डिलीवरी एप्स की तरफ ज़्यादा है. हम बेरोजगार नौजवानों को सस्ते लेबर में बदल रहे हैं ताकि अमीर लोगों को बिना घर से बाहर निकले खाना मिल सके." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नए स्टार्ट-अप को देश को भविष्य के लिए तैयार करने पर फोकस करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, "मुझे दुख होता है जब मुझे पता चलता है कि 25 लाख या 50 लाख रुपये में एक यंग स्टार्ट-अप का शानदार आइडिया किसी विदेशी कंपनी को बेच दिया गया."

गोयल की टिप्पणी पर सामने आए विरोध के स्वर

देशी क्विक-कॉमर्स कंपनी ज़ेप्टो के को-फाउंडर और सीईओ आदित पालिचा उन पहले लोगों में से थे, जिन्होंने पीयूष गोयल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी और कंज्यूमर इंटरनेट स्टार्टअप तंत्र का बचाव किया. एक्स पर एक विस्तृत पोस्ट में पलिचा ने बताया कि कैसे जेप्टो जो कि सिर्फ 3.5 साल पहले शुरू हुआ था, ने पहले ही लगभग 1.5 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा किया है और सालाना 1,000 करोड़ रुपये से अधिक टैक्स का योगदान दिया है.

पालिचा ने लिखा, "भारत में कंज्यूमर इंटरनेट स्टार्टअप की आलोचना करना आसान है, खासकर जब आप उनकी तुलना अमेरिका/चीन में बन रही डीप टेक्नीकल एक्सीलेंस से करते हैं. लेकिन वास्तविकता यह है: आज लगभग 1.5 लाख लोग जेप्टो पर रोजी-रोटी कमा रहे हैं...अगर यह भारतीय नवाचार में चमत्कार नहीं है, तो मुझे नहीं पता कि क्या है."

लिंक्डइन पर एक लंबी पोस्ट में पलिचा ने लिखा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम, सरकार और भारतीय पूंजी के बड़े पूल के मालिकों को चाहिए कि वे 'लोकल चैंपियन' को बनाने में सक्रिय रूप से समर्थन करें, न कि उन टीमों को रोकें जो वहां पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं.

पलीचा के अलावा इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई ने भी गोयल की टिप्पणियों की आलोचना की. पई ने कहा कि स्टार्टअप्स को "छोटा" नहीं समझना चाहिए. उन्होंने पूछा कि गोयल ने डीप-टेक स्टार्टअप्स को बढ़ाने के लिए क्या किया? उन्होंने कहा कि भारत में नीतिगत बाधाएं (जैसे एंजेल टैक्स) और पूंजी की कमी स्टार्टअप्स के लिए चुनौती हैं, न कि उद्यमियों की चाहतों की कमी.

इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई का ट्वीट

चीन के साथ तुलना को अनुचित बताते हुए पई ने कहा कि ऐसा नहीं चाहिए क्योंकि भारत के पास इन क्षेत्रों में अपने मजबूत खिलाड़ी हैं, हालांकि वे अभी उतने बड़े नहीं हैं. भारतपे के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर ने भी गोयल की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बताया कि चीन में भी स्टार्टअप्स ने फूड डिलीवरी से शुरुआत की, फिर डीप-टेक में आगे बढ़ा. ग्रोवर ने एक्स पर लिखा, "भारत में केवल राजनेताओं को ही 'रियल्टी चेक' की जरूरत है. बाकी सभी लोग भारत की पूर्ण वास्तविकता में रह रहे हैं."

हर्ष गोयनका, अमन गुप्ता ने किया गोयल का समर्थन

सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने गोयल के बयान के समर्थन में उद्योग जगत के कुछ नामी बिजनेसमैन सामने आए. आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने एक्स पर एक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स से अनुरोध किया कि वे सुविधा-संचालित वेंचर्स से फोकस हटाकर महत्वाकांक्षी, टेक-हेवी सेक्टर जैसे कि एआई, डीप टेक, रोबोटिक्स और क्लीन एनर्जी पर ध्यान केंद्रित करें.

गोयनका ने लिखा, "जब पीयूष गोयल ने वीगन आइसक्रीम बनाने वाले और 10 मिनट की डिलीवरी वाले स्टार्टअप पर सवाल उठाया, तो उनका वस्तुत: ऐसा मतलब नहीं था, वे एक डायरेक्शन दे रहे थे."

वहीं, बोट के को-फाउंडर अमन गुप्ता ने भी पीयूष गोयल के बयान का समर्थन किया. गुप्ता ने गोयल की टिप्पणियों के बाद एक बयान में कहा, "ऐसा हर दिन नहीं होता कि सरकार फाउंडर्स से बड़े सपने देखने के लिए कहे. मैं वहां था. मैंने पूरा भाषण सुना. पीयूष गोयल जी संस्थापकों के खिलाफ नहीं हैं. उन्हें हम पर विश्वास है. उनका कहना सीधा था: भारत बहुत आगे बढ़ चुका है, लेकिन दुनिया का नेतृत्व करने के लिए...हमें और ऊंचे लक्ष्य रखने होंगे."

'भारत बनाम चीन: स्टार्टअप रियलिटी चेक' बोर्ड ने मामले को और दी हवा

भारत मंडपम के बाहर लगा 'इंडिया बनाम चीन' का बोर्ड

3 अप्रैल को गोयल के बयान के बाद बहस-मुबाहिसों का दौर चल ही रहा था कि इसे और भड़काने का काम भारत मंडपम के बाहर लगे एक बोर्ड ने किया. इस बोर्ड पर लिखा था - "भारत बनाम चीन: स्टार्टअप रियलिटी चेक".

इसमें बताया गया कि चीन के स्टार्टअप इलेक्ट्रिक वाहनों, एआई, सेमीकंडक्टर और रोबोटिक्स में अग्रणी हैं. जबकि भारत में फूड डिलीवरी, इन्फ्लुएंसर कल्चर और फैंटेसी क्रिकेट स्टार्टअप हैं.

जल्द ही इस बोर्ड की तस्वीर 'एक्स' पर वायरल हुई, जिसे 'इंडियन टेक एंड इंफ्रा' ने शेयर किया था. एक यूजर ने पलटवार करते हुए कहा, "भारत के उपभोक्ता ऐप शॉर्ट-टर्म ग्रोथ और नौकरियों को बढ़ावा देते हैं. चीन ने भी बुनियादी बातों से शुरुआत की थी-इसे मत भूलना."

एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, "यह कड़वा है लेकिन सच है. हम हलचल का जश्न मनाते हैं लेकिन हार्डवेयर को अनदेखा करते हैं." एक तीसरे एक्स यूजर ने टिप्पणी की, "हमें और अधिक फैंटेसी लीग की जरूरत नहीं है. हमें कारखानों, डीप टेक और विजन की आवश्यकता है."

डीप टेक स्टार्टअप्स : भारत बनाम चीन

जहां तक ​​डीप टेक स्टार्ट-अप्स का सवाल है, यह एक ऐसा सेक्टर है जहां चीन की कंपनियां भारतीय कंपनियों के मुकाबले काफी आगे हैं. चीन के डीप टेक सेक्टर में 6,000 से ज्यादा कंपनियां शामिल हैं, जिन्होंने वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी के जरिए सामूहिक रूप से करीब 100 बिलियन डॉलर जुटाए हैं. इनमें से 100 से ज्यादा कंपनियां पब्लिक भी हो चुकी हैं.

वहीं, इस सेक्टर में भारतीय स्टार्ट-अप को फंडिंग की कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि निवेशक उन पर दांव लगाने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि वे उन्हें बहुत जोखिम भरा जुआ मानते हैं. भारत ने जरूर ई-कॉमर्स में फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी, मिंत्रा, ब्लिंकिट और जेप्टो जैसी बड़ी कंपनियों को बनाने में कामयाबी हासिल की है. इनमें से कुछ कंपनियां पब्लिक भी हैं. हालांकि, ये स्टार्ट-अप मुख्य रूप से घरेलू हैं, और इनका अधिकांश कारोबार भारत में ही होता है.

इसके विपरीत, चीन ऑनलाइन सेवाओं और उपभोक्ता इंटरनेट क्षेत्र में वैश्विक स्तर के व्यवसाय बनाने में कामयाब रहा है, जिसमें बाइटडांस की टिकटॉक और ई-रिटेलर शीन और अलीबाबा जैसी कंपनियां दुनिया भर के यूजर्स को सेवाएं दे रही हैं.

मैन्यूफैक्चरिंग में भी चीन ने खुद को दुनिया के कारखाने के रूप में स्थापित किया है, खासकर टेक मैन्यूफैक्चरिंग में. भारत, जिसने इस क्षेत्र में देर से शुरुआत की, ने देश में स्मार्टफोन असेंबली को सफलतापूर्वक लोकल बनाने के बाद इस क्षेत्र में कुछ प्रगति की है, हालांकि अभी भी यह चीनी निर्मित सामानों पर बहुत अधिक निर्भर है.

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