संसद में रवि किशन के ‘छोटे और बड़े समोसे' के जिक्र से कांग्रेस क्यों हुई नाराज?
संसद में ऑपरेशन सिंदूर और कई विधेयकों पर गंभीर चर्चा के बीच BJP सांसद रवि किशन अचानक ‘छोटे और बड़े समोसे' का जिक्र करने लगे, जिससे कांग्रेस के कई सांसद नाराज हो गए

BJP सांसद और अभिनेता रवि किशन ने 31 जुलाई को संसद में छोटे और बड़े समोसे का जिक्र करते हुए खाने-पीने के चीजों की कीमतों का मुद्दा उठाया. उन्होंने सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ढाबों से लेकर पांच सितारा होटलों तक में मिलने वाले खाने-पीने की चीजों की कीमतों और मात्रा को नियंत्रित करने का अनुरोध किया.
गोरखपुर से सांसद ने कहा, "मुझे अब भी समझ नहीं आता कि किसी जगह समोसा छोटी प्लेट में मिलता है और किसी जगह बड़ी प्लेट में, लेकिन इनके दाम में कोई अंतर नहीं होता है. करोड़ों ग्राहकों वाला इतना बड़ा बाजार बिना किसी नियम-कानून के चल रहा है."
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से भाजपा सांसद ने कहा कि हर जगह खाने-पीने की चीजों की कीमतें, गुणवत्ता और मात्रा अलग-अलग हैं. उन्होंने कहा, "एकरूपता जरूरी है."
देश भर में खाद्य पदार्थों की कीमतों और मात्रा में एकरूपता की कमी की ओर इशारा करते हुए किशन ने कहा, "दाल तड़का कुछ दुकानों पर 100 रुपये में, कुछ पर 120 रुपये में और कुछ होटलों में 1,000 रुपये में मिलता है."
रवि किशन की मांग से विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भाजपा सांसद का मजाक उड़ाया और पूछा कि क्या वह "पीएम मोदी के मित्र गौतम अदाणी के हवाई अड्डों पर बिकने वाले महंगे समोसे की कीमत कम करने का मुद्दा उठा पाएंगे? उन्हें उस विषय पर भी बोलना चाहिए.
किशन का बचाव करते हुए भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस को सदन की कार्यवाही में कोई रुचि नहीं है, क्योंकि वे जनहित के मुद्दे का मजाक उड़ा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "उनका एकमात्र ध्यान शोर मचाना, कार्यवाही में बाधा डालना और जानबूझकर सदन में बाधा डालना है. जिन लोगों ने इस तरह के व्यवहार को आदत बना लिया है, वे स्वाभाविक रूप से आश्चर्यचकित होते हैं जब वास्तविक जनहित के मुद्दे उठाए जाते हैं."
उन्होंने आगे सवाल किया, "क्या समोसे या फूड स्टॉल जैसे मुद्दे जनहित से संबंधित नहीं हैं? ऐसे मामलों का मजाक उड़ाना और उन्हें उपहास का विषय बनाना, कितना उचित है?"