इसरो और नासा का संयुक्त मिशन निसार आज होगा लॉन्च; यह भारत के लिए क्यों है इतना खास?
निसार की सफलता से असम में बाढ़ की भविष्यवाणी करने से लेकर हिमालय पर ग्लेशियरों के पिघलने तक की जानकारी हासिल करना आसान हो जाएगा

जुलाई की 30 तारीख को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और नासा का संयुक्त मिशन नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) लॉन्च होने जा रहा है. श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम के करीब 5 बजकर 30 मिनट पर इस मिशन को लॉन्च किया जाएगा.
निसार को लॉन्च करने के लिए इसरो के GSLV-F16 रॉकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस रॉकेट की मदद से उपग्रह को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजा जाएगा.
यह शक्तिशाली उपग्रह पृथ्वी का अभूतपूर्व तस्वीर लेने में सक्षम होगा. इतना ही नहीं यह सतह के ऊपर और नीचे होने वाली सबसे शांत हलचलों को भी पकड़ेगा.
निसार को इतना खास क्या बनाता है?
NISAR प्रत्येक 97 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा. इसके अलावा मात्र 12 दिनों के भीतर पूरे ग्रह की तस्वीर लेने में सक्षम होगा. बर्फ से ढकी सतह से लेकर धरती और समुद्र का यह मानचित्र तैयार कर सकेगा.
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका डेटा ओपन सोर्स होगा और शोधकर्ताओं के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा. इसके कारण वैज्ञानिकों, जलवायु विशेषज्ञों और आपदा प्रबंधकों के लिए यह बेहद उपयोगी सोर्स बन जाएगा.
NISAR को सबसे अलग बनाता है इसका दुनिया का पहला दोहरी आवृत्ति वाला सिंथेटिक अपर्चर रडार, जो नासा के L-बैंड रडार और इसरो के S-बैंड रडार को मिलाकर बनाया गया है. इसके कारण में इन दोनों रडार की खूबियां हैं. यह अनूठा सेटअप इसे बादलों, जंगलों, धुएं और अंधेरे के पार देखने में भी सक्षम बनाता है. इतना ही नहीं यह पृथ्वी की सतह पर कुछ मिलीमीटर तक के सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगाने में इसे सक्षम बनाता है.
इस क्षमता के साथ, NISAR ग्लेशियर की गतिविधियों पर नजर रख सकता है. भूकंप से पहले भूगर्भ में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी कर सकता है. भूजल में बदलाव व दबाव के कारण शहरों में भूमि के धंसाव को पहले ही भांप सकता है.
निसार से भारत को क्या लाभ होगा?
नासा और इसरो के बीच निसार प्रोजेक्ट पर कुल 1.5 बिलियन डॉलर (12,500 करोड़ रुपये) खर्च करने का प्लान है. जबकि भारत सरकार इसपर महज 788 करोड़ रुपये (करीब 96 मिलियन डॉलर) खर्च कर रही है. यह सुनने में भले ही बहुत छोटी सी रकम लगती है, लेकिन यह एक रणनीतिक निवेश है जिसके सफल होने पर देश को भारी मुनाफा हो सकता है.
यह निवेश पूरी दुनिया से जुड़े डेटा तक भारत की पहुंच को मुफ्त और आसान बना देगा. इतना ही नहीं इसके जरिए देश में आने वाले बाढ़, भूकंप और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक आपदाओं को लेकर समय से पहले जानकारी हासिल करना आसान हो जाएगा.
यह ग्लेशियर निगरानी, कृषि से जुड़े कामों और जल संसाधन प्रबंधन में भी भारत को सक्षम बनाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भारत की वैश्विक वैज्ञानिक विश्वसनीयता को मजबूत करता है.