पोलिंग बूथ की CCTV फुटेज देखने से क्यों रोक रही मोदी सरकार? कानून में क्या बदलाव हुआ?
चुनाव आयोग की मांग पर मोदी सरकार ने मतदान केंद्र के वीडियो फुटेज को जारी करने पर रोक लगाने के लिए कानून में बड़ा बदलाव किया है

दिसंबर की 20 तारीख को चुनाव आयोग की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने चुनाव संचालन नियम- 1961 में बड़े बदलाव किए हैं. वोटर्स यानी आम जनता के लिए अब पोलिंग बूथ से जुड़े CCTV फुटेज पब्लिक नहीं किए जाएंगे.
अधिकारियों के मुताबिक, इस बात की संभावना होती है कि AI के जरिए फुटेज में छेड़छाड़ करने के बाद फेक नैरेटिव फैलाया जाए. इसलिए सरकार ने इस तरह की फेक खबरों को रोकने के लिए ये कदम उठाया है.
अब कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 5 सवालों में जानते हैं कि मोदी सरकार ने किस कानून में क्या बदलाव किए और इसपर हंगामा क्यों मचा है?
सवाल- 1: सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश मानने के लिए किस कानून में बदलाव किया?
जवाब: केंद्र सरकार ने चुनाव संचालन नियम- 1961 के भाग- 93 (2)(A) में संशोधन किया है. सरकार के इस फैसले से चुनावों के दौरान पोलिंग बूथ के CCTV कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स डॉक्यूमेंट्स को शेयर करने पर रोक लग जाएगी.
इस कानून में पहले लिखा था- ‘चुनाव से जुड़े दस्तावेज पब्लिकली उपलब्ध होंगे.’ अब कानून में बदलाव कर इसे लिखा गया है- ‘चुनाव से से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स नियमानुसार पब्लिकली मौजूद रहेंगे.’ यहां ‘नियमानुसार’ शब्द अलग से जोड़ा गया है.
सवाल- 2: क्या कैंडिडेट्स से भी वीडियो और इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स नहीं शेयर किए जाएंगे?
जवाब: हां, कैंडिडेट्स के साथ ये सभी डॉक्यूमेंट्स शेयर किए जाएंगे. अगर किसी कैंडिडेट को किसी पोलिंग बूथ से जुड़े CCTV फुटेज चाहिए तो उनके लिए ये सारे डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध होंगे.
अगर किसी आम नागरिक को फुटेज या डॉक्यूमेंट्स चाहिए तो उसे इसके लिए कोर्ट में अपील करनी होगी. पहले आम लोग भी सीधे निर्वाचन अधिकारी के पास अपील कर फुटेज की मांग कर सकते थे.
सवाल- 3: अभी मोदी सरकार को इस कानून में बदलाव की जरूरत क्यों हुई?
जवाब: हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद वकील महमूद प्राचा ने विधानसभा चुनाव से संबंधित सीसीटीवी फुटेज, फॉर्म 17-सी समेत कई अहम जानकारी शेयर करने की मांग की थी.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता को शेयर करने का निर्देश दिया था.
कोर्ट ने ये फैसला नियम 93 (2) के तहत सुनाया था. तब चुनाव आयोग ने कहा था कि इस कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स नहीं आते. बाद में आयोग ने इस कानून में स्पष्टता लाने और बदलाव करने की मांग केंद्र सरकार से की थी.
अब केंद्र सरकार ने इस कानून में बदलाव करके चुनाव आयोग की मांग मान ली है.
सवाल- 4: कानून में बदलाव को लेकर चुनाव आयोग ने क्या कहा है?
जवाब: चुनाव आयोग ने कहा है कि नामांकन फॉर्म, चुनाव एजेंटों की नियुक्ति, चुनाव रिजल्ट, इलेक्शन अकाउंट स्टेटमेंट जैसे डॉक्यूमेंट्स ही सिर्फ कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल के तहत शेयर किए जा सकते हैं.
इसके अलावा CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसा इलेक्ट्रॉनिक डेटा इस कैटेगरी में नहीं आते हैं. सरकार से इसीलिए इस कानून में स्पष्टता लाने की अपील की गई थी.
सवाल- 5: विपक्षी दलों ने इस कानून में बदलाव के बाद मोदी सरकार पर क्या आरोप लगाए हैं?
जवाब: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि पहले मोदी सरकार ने CJI को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से हटा दिया था और अब वो चुनाव की जानकारी जनता से छिपाना चाहते हैं. इसे सरकार की ‘सोची-समझी साजिश’ बताते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर हमला किया है. वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाया है कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से इतना डरता क्यों है? हम जल्द सरकार के इस कदम को कोर्ट में चुनौती देंगे.
मंगलवार दोपहर सरकार के फैसले को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।