लाल किला ब्लास्ट: दिल्ली में 11 घंटे घूमती रही विस्फोटक भरी कार; इंटेलिजेंस एजेंसियां कहां चूकीं?

लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास जिस कार में धमाका हुआ, वह यहां पहुंचने से पहले दिल्ली के करीब 13 थाना क्षेत्रों और कम से कम 6 पुलिस चेक पोस्ट से होकर गुजरी

दिल्ली कार ब्लास्ट की तस्वीर
दिल्ली कार ब्लास्ट की तस्वीर

10 नवंबर. सुबह करीब 8 बजकर 13 मिनट पर एक हुंडई i20 कार फरीदाबाद से दिल्ली में एंट्री करती है. करीब 11 घंटे तक दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में घूमने के बाद शाम 6 बजे यह कार लाल किला पहुंचती है.

6 बजकर 52 मिनट पर लाल किले के सामने चांदनी चौक गुरुद्वारे के पास इस कार में तेज ब्लास्ट होता है. ब्लास्ट इतना तेज कि कुछ मीटर दूर खड़े लोग भी जमीन पर गिर जाते हैं.

एक चश्मदीद अभिजीत सिंह ने मीडिया को बताया कि उन्होंने एक आदमी के चीथड़े उड़ते देखे. कहीं किसी का पैर था, तो कहीं किसी का हाथ. शुरुआती जांच के बाद कार में भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक होने की बात सामने आई. लेकिन, सवाल ये है कि जब विस्फोटक लिए कार 11 घंटे दिल्ली में घूमती रही, तब पुलिस-प्रशासन कहां था? 

इतनी बड़ी घटना की जानकारी हासिल करने में इंटेलिजेंस एजेंसियां कहां चूक गईं? इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं-

विस्फोटक कार ने 11 घंटे में कहां से कहां तक और कितनी दूरी तय की

  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 10 नवंबर की सुबह करीब 7:30 बजे फरीदाबाद के एशियन अस्पताल के बाहर इस कार (HR-26 CE 7674) को CCTV फुटेज में देखा गया.
  • सुबह 8:13 बजे कार बदरपुर टोल प्लाजा पार कर दिल्ली में दाखिल हुई. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जब कार ने दिल्ली में एंट्री की तब उसमें सिर्फ मोहम्मद उमर ही सवार था. हालांकि, अभी इसकी पुष्टि पुलिस ने नहीं की है.
  • सुबह 8:20 बजे इस कार को ओखला औद्योगिक क्षेत्र के पास एक पेट्रोल पंप के पास देखा गया.
  • कार दोपहर 3:19 बजे लाल किला परिसर के पास पार्किंग क्षेत्र में दाखिल हुई, जहां वह लगभग तीन घंटे तक खड़ी रही.
  • शाम 6:22 बजे पार्किंग क्षेत्र से बाहर निकली और लाल किले की ओर बढ़ी और करीब 24 मिनट बाद शाम 6 बजकर 46 मिनट पर यह कार लाल किला के पास पहुंच गई. शुरुआत में तो ड्राइवर का चेहरा स्पष्ट दिखाई देता है, लेकिन कार आगे बढ़ती है, तो केवल एक नकाबपोश व्यक्ति ही गाड़ी चलाता हुआ दिखाई देता है.
  • शाम 6:52 बजे लाल किले के सामने चांदनी चौक गुरुद्वारे के पास लाल बत्ती पर कार की रफ्तार कम होती है और फिर गाड़ी के पिछले हिस्से में एक शक्तिशाली विस्फोट होता है.

अब अगर इस हिसाब से देखें तो दिल्ली में एंट्री करने से लेकर विस्फोट करने तक कार करीब 10 घंटे 39 मिनट यानी करीब 11 घंटे रही. कार बदरपुर में एंट्री के बाद ओखला होते हुए आउटर रिंग रोड से लाल किला पहुंची.

गूगल सीधे-सीधे बदरपुर से आउटर रिंग रोड के रास्ते लाल किला की दूरी 21 किलोमीटर बताता है. मतलब साफ है कि विस्फोटक लदी कार ने दिल्ली में कम से कम 21 किलोमीटर का सफर तय किया.

13 थाने और 6 चेक पोस्ट के एरिया से गुजरी विस्फोटक कार

इंडिया टुडे ने विस्फोटक कार के रूट को देखने के बाद बदरपुर से लेकर लाल किला तक के सभी थानों के नाम निकाले. इस 22 किलोमीटर की रूट पर कुल 13 पुलिस थाने और चौकी हैं.

दिल्ली ब्लास्ट

इसके अलावा, इस रूट पर कुल 6 से 8 पुलिस चेक पोस्ट हैं. इनमें बदरपुर बॉर्डर चेक पोस्ट, ट्रैफिक कंट्रोल पॉइंट; ORR जंक्शन के पास तुगलकाबाद चेक बैरियर, ओखला चेक पोस्ट, आश्रम चेक पोस्ट, ITO चेक बैरियर, दरियागंज ट्रैफिक पोस्ट, लाल किला गेट चेक पोस्ट. विस्फोटक लदी कार इन सभी जगहों से गुजरी, लेकिन कहीं भी गहन जांच नहीं हुई.

दिल्ली में IB और NIA के हजारों अधिकारी-फील्ड एजेंट, लेकिन नहीं लगी भनक

2021 में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी (NIA) में कुल 850 कर्मचारी हैं. इनमें से करीब 70 फीसद कर्मचारियों की दिल्ली में पोस्टिंग है. वहीं, इंटेलीजेंस ब्यूरो में 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं. इनमें से 50 फीसद कर्मचारी दिल्ली में पोस्टेड हैं. इन दोनों एजेंसियों का काम देशभर में होने वाले किसी तरह के हमलों के बारे में पता करना है. लेकिन, देश की राजधानी में हुई यह घटना इंटेलीजेंस एजेंसियों की नाकामी है.

सुरक्षा विश्लेषक प्रवीण स्वामी ने इंडिया टुडे से कहा, "दिल्ली में 10 घंटे से ज्यादा समय तक विस्फोटक कार की आवाजाही मानवीय और तकनीकी खुफिया जानकारी की विफलता को दर्शाती है. यह घटना 26/11 की याद दिलाती है."

पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस. दुलत ने द हिंदू से बात करते हुए कहा, "फरीदाबाद मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बावजूद फिदायीन हमले को अंजाम देने के लिए संदिग्ध का दिल्ली भागना दिखाता है कि एजेंसियां गुप्त खुफिया जानकारी हासिल करने में कहीं-न कहीं चूक गईं. अगर समय रहते जानकारी जम्मू-कश्मीर से दिल्ली पहुंचती और यहां अलर्ट जारी होता तो यह घटना रोकी जा सकती थी. हमें रियल-टाइम फ्यूज़न केंद्रों को अपग्रेड करने की जरूरत है.”

दरअसल, फ्यूजन केंद्र अलग-अलग राज्यों में किसी खतरे की खुफिया जानकारी का विश्लेषण करने में मदद करती हैं.

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