1983 से 2025 तक : हरमनप्रीत कौर ने विश्वकप जीतकर कैसे दोहराया चार दशक पहले का इतिहास?
महिला विश्व कप 2025 के फाइनल मैच में दक्षिण अफ्रीका टीम की आखिरी बल्लेबाज एन डी क्लार्क का कैच लपककर हरमनप्रीत ने 4 दशक पुराना इतिहास दोहराया है

2 अक्टूबर को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में महिला विश्व कप 2025 का फाइनल मैच खेला गया. दक्षिण अफ्रीका टीम को हराकर भारतीय महिला टीम ने ICC खिताब जीतने के अपने लंबे इंतजार को आखिरकार खत्म कर दिया.
दक्षिण अफ्रीका पर 52 रनों की शानदार जीत के साथ 2025 महिला विश्व कप भारत ने अपने नाम कर लिया. इस मैच के दौरान अपनी नेतृत्व क्षमता, संयम और सहज व्यवहार के कारण कप्तान हरमनप्रीत सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं.
हरमनप्रीत कौर ने दक्षिण अफ्रीकी बैटर एन डी क्लार्क का कैच लपककर भारत की जीत पक्की कर दी. कप्तान हरमनप्रीत ने पीछे भागते हुए जिस तरीके से एन डी क्लेर्क का कैच लपका उसने फिर साबित किया कि टीम इंडिया की फील्डिंग फाइनल मुकाबलों में कुछ हटकर होती है.
डी क्लार्क ने कवर पर एक तेज शॉट खेलने की कोशिश की, जिसमें वह आउट हो गईं. डी क्लार्क का तेज शॉट फील्डर के हाथ से निकल जाने वाला था, लेकिन हरमनप्रीत ने समय पर छलांग लगाकर गेंद को हवा में ही लपक लिया.
इस तरह एक शानदार कैच लपककर महिला विश्वकप को जीतने में कामयाब हो गईं. हरमनप्रीत के कैच लपकने पर जैसे ही उनकी साथी खिलाड़ी जश्न मनाने दौड़ीं, भारतीय कप्तान ने गेंद उठाई, मुस्कुराईं और चुपचाप उसे अपनी जेब में डाल लिया.
हरमनप्रीत ने ऐसा करके 1983 की यादें ताजा कर दी. दरअसल, लॉर्ड्स में भारत की पहली विश्व कप जीत के बाद गावस्कर ने इसी अंदाज में गेंद पॉकेट में डाल ली थी. 2 अक्टूबर को नवी मुंबई में हुए फाइनल मैच के बाद इंडिया टुडे से बात करते हुए गावस्कर ने हरमनप्रीत के इस भाव पर कमेंट किया है.
उन्होंने 1983 के अपने अनुभव और यादों को साझा किया और बताया कि कैसे ऐसी यादें एक क्रिकेटर के सफर का एक स्थायी हिस्सा बन जाती हैं.
गावस्कर ने कहा, "क्या आपने देखा कि हरमनप्रीत ने कैच लेते समय क्या किया? उन्होंने गेंद को अपनी जेब में डाल लिया, ठीक वैसे ही जैसे 1983 में किसी ने किया था. मुझे उम्मीद है कि वह अपनी सभी साथियों के ऑटोग्राफ लेंगी, शायद दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों के भी, क्योंकि यह एक ऐसी यादगार चीज होगी जिसे वह जीवन भर संजोकर रखेंगी."
फाइनल में कप्तान का शानदार प्रदर्शन
भारतीय क्रिकेट के लिए 2 अक्टूबर 2025 की रात ऐतिहासिक रही. कपिल देव की टीम के लॉर्ड्स में वेस्टइंडीज को हराने के चार दशक से भी ज्यादा समय बाद हरमनप्रीत कौर यह रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रही.
ऐसा करके कपिलदेव और एमएस धोनी के बाद हरमनप्रीत एकदिवसीय विश्व कप जीतने वाली तीसरी भारतीय कप्तान बन गईं.
हरमनप्रीत के रणनीतिक फैसलों और पूरी टीम के शानदार प्रयासों की बदौलत भारतीय महिला टीम का लंबा इंतजार खत्म हुआ. दीप्ति शर्मा के सधे हुए ऑलराउंड प्रदर्शन ने टीम को संभाला, शेफाली वर्मा के आक्रामक 87 रनों ने शुरुआती गति दी और गेंदबाजों ने संयमित और कुशल प्रदर्शन से 52 रनों से शानदार जीत दर्ज की.
फाइनल में हरमनप्रीत की रणनीतिक सूझबूझ भी उतनी ही अहम थी. अपनी सहज बुद्धि पर भरोसा करते हुए, उन्होंने गेंद शेफाली को थमाई, जिन्होंने टूर्नामेंट से पहले अपने वनडे करियर में सिर्फ 14 ओवर ही डाले थे.
यह कदम तुरंत कारगर साबित हुआ क्योंकि इस युवा खिलाड़ी ने सुने लुस और मारिजैन कैप को एक के बाद एक जल्दी-जल्दी आउट कर दक्षिण अफ्रीका के 299 रनों के लक्ष्य का पीछा करने की राह को एक अहम मोड़ पर रोक दिया. यह एक सोचा-समझा जोखिम था जो हरमनप्रीत के शांत नेतृत्व और जरूरत पड़ने पर साहसिक फैसले लेने की उनकी क्षमता को दर्शाता है.
जीत के बाद हरमनप्रीत ने कहा, "यह शुरुआत है. हम इस पल का इंतजार कर रहे थे. अब यह क्षण आ गया है. कई बड़े मौके आने वाले हैं, और हम लगातार सुधार करना चाहते हैं. यह अंत नहीं, बस शुरुआत है."