कैसे चुने जाते हैं गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि?

भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि हैं

मैक्रॉन के साथ प्रधानमंत्री जब मोदी बैस्टिल दिवस समारोह में भाग लेने के लिए जुलाई 2023 पेरिस गए थे/तस्वीर - नरेंद्र मोदी एक्स
मैक्रों के साथ प्रधानमंत्री जब मोदी बैस्टिल डे में भाग लेने के लिए जुलाई 2023 पेरिस गए थे/तस्वीर - नरेंद्र मोदी एक्स

एलीसी फ्रेंच प्रेसिडेंशियल पैलेस यानी फ्रांस के राष्ट्रपति भवन ने 2023 के 22 दिसंबर को एक बयान जारी करते हुए बताया था कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 2024 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे.

बाद में भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी एक आधिकारिक बयान में इस बात पर अपनी मुहर लगाई थी. लेकिन फ्रांसीसी राष्ट्रपति ही क्यों? और वो क्या पैमाना है जिसके आधार पर यह तय होता है कि 26 जनवरी को होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में कौन मुख्य अतिथि होगा?

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर, फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रों 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भारत आएंगे". साफ है कि जब प्रधानमंत्री खुद आपको मुख्य अतिथि बनने का न्योता दें तो किसी विदेशी अतिथि के लिए ये बुलावा देश का सबसे ऊंचा सम्मान होगा. गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि को राष्ट्रपति भवन में 'सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर' दिया जाता है जिसके बाद वो एक विशेष समारोह में हिस्सा लेते हैं जिसमें भारत के राष्ट्रपति खुद मेजबान होते हैं.

शाम में राष्ट्रपति के समारोह में शिरकत करने से पहले मुख्य अतिथि के लिए भारत के प्रधानमंत्री भी एक लंच का आयोजन करते हैं जिसमें उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मुलाकात उनसे होती है. गार्ड ऑफ ऑनर के अलावा गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि अमूमन नई दिल्ली में राजघाट पर जाकर महात्मा गांधी को पुष्पांजलि भी अर्पित करते हैं. 

गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि को चुने जाने की प्रक्रिया लगभग 6 महीने पहले ही शुरू हो जाती है. इस चुनाव प्रक्रिया में कई बातों का ध्यान रखा जाता है जिसमें सबसे अहम होती है - भारत और मुख्य अतिथि के देश के बीच के द्विपक्षीय रिश्ते. राजनीतिक, व्यावसायिक और सैनिक स्तर पर दोनों देशों के बीच के संबंधों पर गौर करते हुए विदेश मंत्रालय अपने अंतिम फैसले तक पहुंचता है. यही कारण है कि भारत की ओर से गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि का न्योता दोनों देशो के बीच मजबूत दोस्ती को भी दर्शाता है. 

मुख्य अतिथि के संबंध में सब सोच-विचार लेने के बाद विदेश मंत्रालय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की अनुमति लेता है. अनुमति मिलने के बाद भारतीय राजदूत गुप्त तरीके से उस देश के संभावित व्यक्तियों की तलाश में जुटते हैं जिन्हें मुख्य अतिथि बनाया जा सकता है. कई बार ऐसा होता है कि राष्ट्राध्यक्षों या अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के पहले से कैलेंडर फुल होते हैं जिनसे छेड़-छाड़ करना संभव नहीं होता. इसीलिए विदेश मंत्रालय अक्सर एक से अधिक व्यक्तियों को पहले मुख्य अतिथि के न्योते के लिए चुनता है ताकि अगर कोई व्यस्त रहे तो दूसरे विकल्प भी मौजूद रहें. 

जब आखिर में मुख्य अतिथि का चुनाव हो जाता है तब विदेश मंत्रालय 'चीफ ऑफ प्रोटोकॉल' दौरे की प्लानिंग और पूरा ब्यौरा अपने विदेशी समकक्ष के साथ साझा करता है. इस प्लानिंग में भारत सरकार, मुख्य अतिथि के देश की सरकार और अपने देश की वो राज्य सरकारें सक्रिय होती हैं जिन राज्यों में मुख्य अतिथि जाने वाले हों. अब सवाल उठता है कि 2024 के गणतंत्र दिवस के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों को क्यों चुना गया?

फ्रांस में पूर्व भारतीय राजदूत रहे मोहन कुमार ने इंडिया टुडे की रिपोर्टर गीता मोहन से बातचीत में बताया, "यह फ्रांस की भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी के प्रति बिना शर्त प्रतिबद्धता है. यह उनकी (मैक्रों) ओर से उदारता का भी संकेत है क्योंकि, जैसा कि आपने कहा, उन्होंने इसे शॉर्ट नोटिस पर स्वीकार कर लिया. उनकी तरफ से इस पर सहमति बैस्टिल डे पर प्रधानमंत्री मोदी की पेरिस यात्रा के ठीक बाद आई है. इसे देखने का केवल एक ही तरीका है, और वह यह कि यह फ्रांस भारत के साथ साझेदारी के लिए बिना शर्त प्रतिबद्धता है." 

हाल के वर्षों में, चाहे वह आतंकवाद से निपटने का मामला हो या फिर समुद्री सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, रेन्यूएबल एनर्जी और सतत विकास, डिजिटलीकरण और साइबर सुरक्षा, भारत-फ्रांस साझेदारी विस्तृत ही होती गई है. बदलती दुनिया, जटिल जियो-पॉलिटिकल माहौल और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति में साझेदारी का महत्व बढ़ रहा है. ऐसे में फ्रांसीसी राष्ट्रपति का गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होना संकेत करता है कि भारत और फ्रांस की इस करीबी साझेदारी में दूर-दूर तक कोई अड़चन नहीं है. 

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