भारत पर टैरिफ और पाकिस्तान से समझौता; डोनाल्ड ट्रंप ने आखिर ऐसा फैसला क्यों लिया?
अमेरिका से एक ही दिन में दो बड़ी और हैरान करने वाली खबर सामने आई है. एक ओर भारत पर अमेरिका ने टैरिफ लगाया है तो दूसरी ओर पाकिस्तान से तेल समझौता किया है.

30 जुलाई की तारीख भारत के लिए काफी अच्छा नहीं रहा. इसके दो कारण थे- पहला, अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 25 फीसद टैरिफ लगाने की घोषणा की. दूसरा और ज्यादा चिंताजनक कारण यह था कि अमेरिका ने उसी दिन पाकिस्तान के साथ तेल भंडार बनाने के लिए बेहद अहम समझौता किया.
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने की घोषणा करते हुए अपने सोशल मीडिया पर लिखा,“ ऐसे समय में जब हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्याएं रोके, तब नई दिल्ली और चीन दोनों रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीद रहे हैं.” अगले पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "भारत और रूस दोनों देशों की इकोनॉमी डेड हो गई है और ये मिलकर उसे और नीचे ले जाना चाहते हैं."
इतना ही नहीं भारत पर टैरिफ लगाने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ तेल भंडार विकसित करने को लेकर एक अहम समझौता किया. इस समझौते के बाद ट्रंप ने भारत पर तंज करते हुए कहा, “पाकिस्तान और अमेरिका अपने विशाल तेल भंडारों को विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगे. कौन जाने, शायद किसी दिन भारत को पाकिस्तान से तेल खरीदना पड़े!”
ट्रंप के फैसले इसलिए भी हैरान करने वाले हैं क्योंकि पाकिस्तान से तेल पर समझौता करने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका ने भारत की 6 बड़ी तेल कंपनियों पर बैन लगा दिया. लेकिन, ट्रंप इस तरह के फैसले क्यों ले रहे हैं, भारत पर टैरिफ का कितना असर होगा और पाकिस्तान के साथ अमेरिका ने तेल को लेकर क्या समझौता किया है? इन सभी अहम सवालों के जवाब जानते हैं.
25 फीसद टैरिफ और पेनाल्टी की धमकी से भारत पर कितना असर होगा?
अमेरिका में भारत से आयातित वस्तुओं पर 25 फीसद टैरिफ और पेनल्टी लगाने की घोषणा 1 अगस्त 2025 से लागू होगा. इससे भारत पर निश्चित तौर पर काफी असर पड़ने वाला है.
अमेरिका भारतीय सामानों को बेचने के लिहाज से सबसे बड़ा बाजार है, इसलिए नए टैरिफ से अमेरिकी बाजार में सालाना लगभग 87 अरब डॉलर के सामानों की बिक्री प्रभावित हो सकती है.
इनमें सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, खासकर स्मार्टफोन और उसके कलपुर्जे प्रभावित होंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत हाल ही में अमेरिकी बाजार में iPhone का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है.
इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा फार्मास्यूटिकल क्षेत्र भी इससे प्रभावित होगा. इसकी वजह ये है कि भारत, अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग 25 फीसद जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करता है.
इतना ही नहीं अमेरिकी बाजार में सस्ता से लेकर महंगा तक, हर तरह का कपड़ा भारत से बनकर जाता है. ऐसे में टेक्सटाइल सेक्टर, जो लाखों भारतीय लोगों को रोजगार देता है, ज्यादा टैरिफ लगाए जाने से बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है.
ज्वैलरी और गहने को लेकर अगर बात करें तो अमेरिका के इस फैसले से विशेष रूप से हीरे और सोने के प्रोडक्ट वहां महंगे हो जाएंगे. ऑटोमोबाइल पार्ट्स और हल्की मशीनरी जैसे सामानों पर भी, नया टैरिफ लगाए जाने से अमेरिकी खरीदार हतोत्साहित होंगे. इन सबसे भारत पर काफी ज्यादा नुकसान होने की संभावना है.
ईवाई इंडिया के व्यापार नीति प्रमुख अग्नेश्वर सेन कहते हैं, "भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ को 25 फीसद तक बढ़ाने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, विशेष रूप से हाल के सालों में भारत और अमेरिका के बीच लगातार मजबूत होते रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए. अगर यह टैरिफ बरकरार रहता है, तो इसका सीधा असर समुद्री उत्पादों, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल्स, चमड़ा और ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर पड़ सकता है.”
एलारा कैपिटल की अर्थशास्त्री और कार्यकारी उपाध्यक्ष गरिमा कपूर के मुताबिक, अगर टैरिफ दर इसी स्तर पर बनी रहती है, तो इससे भारत की GDP ग्रोथ में 20 बेसिस पाइंट की कमी हो सकती है.
हालांकि, SBI ने हाल में जारी अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि अगर भारत अपनी इच्छानुसार व्यापार समझौता नहीं कर पाता है, तो भी इसका असर सीमित रहने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया, "भारत का सेवा निर्यात हर साल एक नए शिखर पर पहुंच रहा है, जो आईटी, वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं जैसे क्षेत्रों द्वारा 2024-25 में रिकॉर्ड 387.5 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, इसलिए हमारे कुल निर्यात पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है."
अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ क्या समझौता किया है?
अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एक नया व्यापार समझौता किया है, ताकि देश के विशाल तेल भंडार को दोनों मिलकर विकसित कर सके. ट्रंप का कहना है कि इस कदम से अंततः पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश भारत को तेल निर्यात कर सकेगा.
इसके साथ ही ट्रंप ने आगे कहा कि US प्रशासन वर्तमान में अमेरिका-पाकिस्तान ऊर्जा साझेदारी का नेतृत्व करने के लिए एक तेल कंपनी का चुनाव कर रहा है. हालांकि, ट्रंप ने इस रेस में शामिल कंपनियों का नाम नहीं बताया और न ही इस प्रोजेक्ट को शुरू होने की कोई समय-सीमा बताई.
यह पहला मौका नहीं है. अभी कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने अपने 17,000 करोड़ रुपये के क्रिप्टो कारोबार के लिए ट्रंप परिवार से जुड़ी 'वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल' से करार किया था.
आखिर ट्रंप भारत के खिलाफ इस तरह के फैसले क्यों ले रहे हैं?
दक्षिण एशिया विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन अमेरिका के इस फैसले से हैरान हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "भारत उन पहले देशों में से एक था, जिसने ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार वार्ता शुरू की. इसने टैरिफ में कटौती सहित कई शुरुआती रियायतें दीं. भारत सालों से अमेरिकी वस्तुओं के आयात को बढ़ा रहा है और अमेरिका में निवेश कर रहा है. ट्रंप भारत को अपना मित्र कहते हैं. फिर भी भारत पर 25% टैरिफ लगाया गया है."
ट्रंप के इस तरह के फैसलों को लेकर बीबीसी को दिए इंटरव्यू में जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में प्रोफेसर हैप्पीमॉन जैकब कहते हैं कि भारत पर टैरिफ और पाकिस्तान से डील जैसे कदम अमेरिकी विदेश नीति में सेल्फ-गोल साबित हो सकते हैं.
उधर गेटवे हाउस ऑफ इंडिया की फेलो नयनिमा बासु का मानना है कि ट्रंप की प्राथमिकता अब ट्रेड है, न कि पारंपरिक सुरक्षा साझेदारी.
हालांकि, ट्रंप ने भारत पर 25 फीसद टैरिफ लगाने के पीछे तीन अहम वजह बताई है. पहला- भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा काफी ज्यादा है. दूसरा- अमेरिकी सामानों पर भारत काफी टैक्स वसूलता है. तीसरा- रूस के साथ भारत ज्यादा सामानों की खरीद-बिक्री करता है.
अमेरिका के इस फैसले पर भारत ने क्या प्रतिक्रिया दी है?
इस मामले पर भारत सरकार ने अब तक सावधानी बरती है. उसने निराशा तो जताई, लेकिन कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की है. अधिकारियों का कहना है कि वे अभी भी इस कदम के आर्थिक प्रभाव का आकलन कर रहे हैं और समझौते के लिए बातचीत जारी रखेंगे.
हालांकि, पर्दे के पीछे, भारतीय उद्योग जगत में काफी चिंता है. एक्सपोर्ट यूनियनों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ जीडीपी वृद्धि को 0.2 से 0.5 फीसद तक कम कर सकता है. कुछ को डर है कि इससे सामानों को खरीदने और बेचने का जो चैनल बना था, वह दूसरे देश ट्रांसफर हो सकता है.
संसद में भारत सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच चार दौर की द्विपक्षीय बैठकें हुईं. समझौते को अंतिम रूप देने के लिए कई अहम बैठकें हुईं. आयात पर 10 से 15 फीसदी टैरिफ की बात थी. द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बात हुई थी. कई वर्चुअल बैठकें भी हुईं. हम अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करेंगे. देशहित में जरूरी हर कदम उठाएंगे.
भारत के लिए ट्रंप का फैसला ज्यादा चिंता की वजह क्यों है?
भारत के लिए ट्रंप का यह फैसला और ज्यादा चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि अमेरिका ने यूरोपीय देशों और ब्रिटेन पर 15 फीसद, जापान पर 10 फीसद और दक्षिण कोरिया पर केवल 5 फीसद टैरिफ लगाया है. जबकि भारत पर एकमुश्त 25 फीसद टैरिफ लगा दिया है. इतना ही नहीं पेनल्टी की भी धमकी दी है.
इन फैसलों से ऑटोमोबाइल पार्ट्स और हल्की मशीनरी जैसे सामानों के अमेरिकी खरीदार भारतीय सामानों को खरीदने में हतोत्साहित होंगे. उन्हें भारत से सस्ता सामान वियतनाम या मेक्सिको जैसे दूसरे देशों से मिल जाएगा. ऐसे में अमेरिकी व्यपारी इन देशों से खरीद-बिक्री करने के लिए मजबूर होंगे.