दिल्ली में ममता, अखिलेश का केजरीवाल को समर्थन; विपक्षी दलों के कांग्रेस विरोध की क्या है वजह?

दिल्ली चुनाव में 5 विपक्षी दलों के नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ बयान दिया है. इनमें से ज्यादातर INDIA गठबंधन के बड़े नेता हैं. इसी साल दिल्ली के बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में इन विपक्षी नेताओं का स्टैंड और स्टेटमेंट बेहद अहम है

ममता बनर्जी ने दिल्ली में कांग्रेस के बजाय AAP को समर्थन किया
ममता बनर्जी ने दिल्ली में कांग्रेस के बजाय AAP को समर्थन किया

फरवरी की 5 तारीख को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और सपा ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया है. तृणमूल कांग्रेस से मिले समर्थन के बाद अरविंद केजरीवाल ने सोशल साइट एक्स पर कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से ममता दीदी का आभारी हूं. हमारे अच्छे और बुरे समय में हमेशा हमारा साथ देने और आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद दीदी.” 

INDIA गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस भी अकेले दम पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है, लेकिन उसे INDIA ब्लॉक की किसी पार्टी ने समर्थन नहीं दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि INDIA ब्लॉक के विपक्षी दल कांग्रेस के बजाय AAP को समर्थन क्यों कर रहे हैं और भविष्य में इसका INDIA गठबंधन पर क्या असर पड़ेगा? 

INDIA गठबंधन के किन-किन दलों ने केजरीवाल का समर्थन किया है?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और AAP एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने 8 जनवरी को कहा कि दिल्ली में AAP हमारी विरोधी है और केजरीवाल जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि उनकी पार्टी दोबारा चुनाव जीतेगी. इस बयान पर केजरीवाल ने तुरंत जवाब दिया. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का सीक्रेट गठबंधन उजागर हो गया है.

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बना INDIA अलायंस राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर के करीब 37 दलों का गठबंधन है. इनमें से 5 मुख्य विपक्षी दलों के नेताओं ने दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ बयान दिया है. इनमें से तीन दलों ने तो खुलकर कांग्रेस के बजाय AAP का समर्थन किया है. 

1. तृणमूल कांग्रेस: टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने 8 जनवरी को केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा, "हम विभिन्न स्तरों पर आपस में बात कर रहे हैं. हम एनजीओ नहीं बल्कि राजनीतिक दल हैं और हमारा साझा लक्ष्य भाजपा को हराना है."

2. शिवसेना (उद्धव): शिवसेना UBT नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा ने चुनाव से पहले प्रोजेक्ट लॉन्च किए और फिर 5 साल कुछ नहीं किया। दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल के साथ है.

3. सपा: सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है. साथ ही उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. अरविंद केजरीवाल ने भी समर्थन के लिए अखिलेश यादव का आभार जताया है. 

इन तीन दलों के AAP को समर्थन देने के बाद जब INDIA गठबंधन को लेकर विवाद बढ़ा तो RJD नेता तेजस्वी यादव ने 8 जनवरी 2024 को कहा कि इंडिया ग्रुप केवल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बनाया गया था. इसी बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी कहा है कि इंडिया ब्लॉक को पूरी तरह से भंग कर देना चाहिए. इस तरह साफ है कि ज्यादातर विपक्षी दलों का समर्थन AAP को मिल रहा है. 

आखिर कांग्रेस से ज्यादा AAP को विपक्षी दलों के समर्थन मिलने की क्या वजह है? 

विपक्षी दलों के नेताओं ने नाम नहीं बताने की शर्त पर ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस के विरोध और AAP को समर्थन देने की 3 वजहें बताई हैं…

1. कांग्रेस अपने सबसे मजबूत पकड़ वाले राज्यों में चुनाव हारी: हरियाणा में कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी. हालांकि, कांग्रेस इस सही मौके का फायदा नहीं उठा पाई और यहां उसे हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह महाराष्ट्र चुनावों में भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी की उम्मीद से भी ज्यादा बड़ी हार हुई. 

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में जहां कांग्रेस का मजबूत संगठन है. इसके बावजूद पार्टी अपना स्ट्राइक रेट में सुधार करने और भाजपा के खिलाफ सीटें जीतने में कामयाब नहीं हो पाई. 

ऐसे में क्षेत्रीय दलों का अब कांग्रेस से दिलचस्पी कम होने लगी है. यही वजह है कि क्षेत्रीय दल राज्यों के चुनाव में अब दूसरे क्षेत्रीय दलों का समर्थन कर रही हैं. 

2. कांग्रेस को सख्त संदेश देने की कोशिश: इंडिया ब्लॉक के एक अन्य नेता ने कहा,  "मजबूत क्षेत्रीय दलों ने फैसला किया है कि छोटे-छोटे दलों के समूह को मजबूत करके कांग्रेस को एक तरह से सख्त राजनीतिक संदेश दिया जाएगा. इसके लिए जरूरी है कि सभी क्षेत्रीय दल एक-दूसरे के समर्थन में साथ आएं. दिल्ली का प्रयोग अपनी तरह की पहली स्थिति है."

3. हर राज्य में मजबूत सहयोगी को समर्थन: INDIA ब्लॉक बनने के पहले से ही TMC प्रमुख ममता बनर्जी कहती आई हैं कि INDIA के सभी घटकों को प्रत्येक राज्य में सबसे मजबूत सहयोगी का समर्थन करना चाहिए. इसी वजह से तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली में AAP को समर्थन देने का फैसला किया है. 

दिल्ली चुनाव से पहले INDIA ब्लॉक में ये अंदरूनी कलह क्यों देखने को मिल रही है?

दिल्ली चुनाव से पहले INDIA ब्लॉक में अंदरूनी कलह की 3 मुख्य वजह हो सकती हैं…

1. INDIA गठबंधन के कोई व्यावहारिक उद्देश्य नहीं: पॉलिटिकल एक्सपर्ट और लेखक रशीद किदवई के मुताबिक INDIA गठबंधन का गठन आम चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया था. चुनाव के बाद अब इस गठबंधन के पास कोई व्यावहारिक उद्देश्य नहीं बचे हैं. यही वजह है कि चुनाव खत्म होते ही वैचारिक समानता की कमी वाले इस गठबंधन ने अपनी एकजुटता खो दी है. 

2. क्षेत्रीय दलों के बीच राजनीतिक विरोधाभास: INDIA ब्लॉक में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. यह एक तरह से कांग्रेस को ही सपोर्ट करने के उद्धेश्य से बनाया गया था. अब वही कांग्रेस भाजपा के साथ आमने-सामने की लड़ाई में राज्यों में विफल हो जा रही है. अब इन क्षेत्रीय दलों को लगने लगा है कि कांग्रेस को आगे बढ़ाना है तो हमें अपनी ताकत से समझौता करना होगा. यही वजह है कि क्षेत्रीय दल अब और ज्यादा अपने हितों को दांव पर लगाए बिना राज्यों में खुद के दम पर चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरे क्षेत्रीय दल इन्हें समर्थन कर रहे हैं. 

3. राहुल का कद बढ़ा, लेकिन बाकी नेताओं की महत्वाकांक्षा पर चोट: विपक्षी दलों में कई पार्टियों के नेता राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं. इनमें TMC प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव जैसे नेता शामिल हैं. हालांकि, इन दलों को लगता है कि इनकी मदद से राहुल का कद बढ़ा है. वे लोकसभा में विपक्ष के नेता बन गए, लेकिन इससे बाकी दलों के नेताओं की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को चोट पहुंची है. 

क्या भविष्य में INDIA गठबंधन पर इसका कोई असर पड़ेगा? 

2029 में अगला लोकसभा चुनाव है. यह गठबंधन लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही बनाया गया था. ऐसे में फिलहाल दिल्ली चुनाव से पहले विपक्षी दलों में मची फूट से  INDIA गठबंधन पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा. 

2025 में दिल्ली और बिहार में दो बड़े राज्यों में चुनाव हैं. फरवरी में होने वाले दिल्ली चुनाव में AAP अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है. इससे पहले हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने भी AAP को नजरअंदाज कर दिया था. इसलिए अब दोनों अकेले ही चुनाव के मैदान में है. 

इसी साल अक्टूबर या नवंबर में बिहार में चुनाव होना है. यहां भाजपा-जद(यू)-लोजपा गठबंधन से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस-राजद-वामपंथ का क्षेत्रीय महागठबंधन पहले से ही मौजूद है. देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी बिहार में RJD के साथ एक जूनियर पार्टनर है और यहां उसकी कोई बड़ी भूमिका नहीं है. 

अब अगर 2026 की बात करें तो इस साल 4 राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में चुनाव होने हैं. असम में कांग्रेस भाजपा के लिए चुनौती है, जबकि पश्चिम बंगाल में वह एक छोटी पार्टी है. ऐसे में मुख्य मुकाबला यहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने की संभावना है.

अब अगर तमिलनाडु की बात करें तो कांग्रेस डीएमके की जूनियर पार्टनर है और उसे डीएमके को दी गई सीटों से ही संतोष करना पड़ेगा. केरल में कांग्रेस, सीपीआई-एम को सत्ता से बेदखल करना चाहती है, जहां पिछले दो कार्यकाल से सत्ता विरोधी लहर है. ऐसे में यहां INDIA के दो घटक दलों के बीच ही लड़ाई है. खास बात तो ये है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी केरल में BJP के बजाय INDIA के दो घटक दल सीपीएम और कांग्रेस एक-दूसरे से भिड़ गए थे.

मतलब साफ है कि आने वाले दो साल में राज्यों के चुनाव में क्षेत्रीय दल कांग्रेस के बजाय खुद के दम पर चुनाव में जाना चाहती है. इसीलिए फिलहाल इस कलह का गठबंधन पर कुछ खास राजनीतिक असर नहीं दिखेगा. 

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