क्या शराब घोटाले के चक्रव्यूह को तोड़ पाएंगे केजरीवाल; किन 5 रणनीतियों से BJP को दे रहे कड़ी टक्कर?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में BJP शराब घोटाले को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है. हालांकि, ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल को इसका पहले से ही अंदाजा था और उन्होंने 5 रणनीतियों के जरिए इन चुनौतियों का सामना करने की तैयारी कर रखी थी

अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव के तारीखों की घोषणा हो चुकी है. हर बार की तरह इस बार भी तीन मुख्य पार्टियां BJP, AAP और कांग्रेस चुनावी मैदान में है. अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार अपनी पार्टी और साख दोनों बचाने की चुनौती है. 2023-2024 में AAP की टॉप थ्री लीडरशिप अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल में थे.

कथित शराब घोटाले में फंसी आम आदमी पार्टी पर बैन लगाए जाने की संभावना जताई जा रही थी. ऐसा लगा कि AAP शराब घोटाले के चक्रव्यूह में फंस गई है, लेकिन 177 दिन के बाद 13 सितंबर 2024 को केजरीवाल जेल से बाहर आए तो चीजें बदलने लग गई. शांत और सुस्त पड़ चुके AAP कार्यकर्ताओं का एक बार फिर जोश नजर आने लगा. 

इस स्टोरी में पढ़ते हैं कि क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में शराब घोटाले के चक्रव्यूह को तोड़ पाएंगे अरविंद केजरीवाल और किन 5 तरीके से वो दिल्ली में BJP के लिए सिरदर्द बने हुए हैं? 

शराब घोटाले में फंसने के बाद कैसे बिखरने के कगार पर पहुंच गई थी AAP? 

जेल में टॉप थ्री लीडरशिप: 17 अगस्त 2022 को LG वीके सक्सेना की मांग पर CBI ने इस मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. 26 फरवरी 2024 को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने के कुछ समय बाद CBI ने केजरीवाल को भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. दिल्ली सरकार के मंत्री और केजरीवाल के करीबी सत्येंद्र जैन पहले से जेल में बंद थे. इस तरह AAP की टॉप थ्री लीडरशिप जेल के अंदर बंद हो गई. हालांकि, इस बुरे वक्त में केजरीवाल की पत्नी सुनीत केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज और आतिशी मार्लेना जैसे नेताओं ने पार्टी को संभाला.

ये उस वक्त की तस्वीर है, जब केजरीवाल को गिरफ्तार कर ED की टीम उनको लेकर कोर्ट पहुंची थी

BJP ने AAP के मंत्री तक को अपनी पार्टी में शामिल कराया: केजरीवाल अभी जेल से बाहर ही आए थे कि BJP ने उनकी पार्टी के कद्दावर नेता कैलाश गहलोत और उससे पहले राजकुमार आनंद को उनकी पार्टी से तोड़ दिया. जब केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देने की बात कही तो आतिशी के अलावा कैलाश गहलोत को भी सीएम बनाने की संभावना जताई गई थी. वह पार्टी की टॉप लीडरशिप में आते थे. परिवहन मंत्री का पोर्टफोलियो भी लंबे समय से उन्हीं के पास था. गहलोत के इस्तीफा देकर BJP ज्वॉइन करने को केजरीवाल के लिए बड़ा झटका माना गया था. 

कैलाश गहलोत AAP छोड़ BJP में शामिल हुए

AAP पर बैन लगाने की मांग की गई: 14 मई को दिल्ली हाईकोर्ट में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी. इस दौरान ED के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल वी राजू ने जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा से कहा था कि अब मामले में AAP को भी आरोपी बनाया जाएगा. 

3 दिन बाद 17 मई को ED ने जब दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में शराब नीति केस में 8वीं चार्जशीट दायर की, तो इस बात पर मुहर भी लग गई थी. AAP को आरोपी बनाकर मुकदमा चलाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा था कि शराब नीति में जो बदलाव किए गए थे, उसके लिए साउथ ग्रुप ने AAP को कुल 100 करोड़ की रिश्वत दी थी. इनमें से 45 करोड़ रुपए का इस्तेमाल AAP की ओर से 2022 गोवा चुनाव के दौरान हुआ था. 

इसी वजह से AAP पर बैन लगाने की मांग उठने लगी थी. हालांकि, यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है. साफ है कि AAP पार्टी बिखरने के कगार पर पहुंच चुकी थी.

केजरीवाल ने जेल से निकलकर कैसे अपने 5 फैसलों से खेल पलट दिया…

1. महिला कार्ड: CSDS ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2020 विधानसभा चुनाव में 49% दिल्ली के पुरुष वोटरों की तुलना में 60% महिला वोटरों ने केजरीवाल को वोट दिया था. यानी पुरुषों से 11% ज्यादा महिलाओं ने AAP को वोट दिए. इसी वजह से केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के महज 8 दिन बाद एक महिला आतिशी मार्लेना को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया. 

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई का कहना है कि केजरीवाल को ये अच्छी तरह से पता था कि पिछले विधानसभा चुनाव में महिलाओं के भरोसे ही उन्हें इतनी बड़ी जीत मिली है. इसी वजह से उन्होंने महिलाओं के बीच शराब घोटाले की चर्चा और असर को कम करने के लिए आतिशी को सीएम बनाने का फैसला किया.

केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देकर आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहकर हर किसी को हैरान कर दिया

2. धार्मिक कार्ड: जेल से रिहा होने के अगले ही दिन 14 सितंबर को केजरीवाल अपनी पत्नी के साथ कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे. यहां हनुमान चालीसा पाठ करके केजरीवाल ने दिल्ली में BJP से हिंदुत्व की राजनीति करने के मौके को ही छीन लिया. 

साथ ही विधानसभा चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चुनाव जीतने पर मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18 हजार रुपए प्रति माह की सम्मान राशि देने का ऐलान किया. इसकी जानकारी खुद अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर दी. 

3. मुफ्त की योजनाओं का ऐलान: केजरीवाल ने मध्य प्रदेश, झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम का एनालिसिस किया. उन्होंने देखा कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना और लाडकी बहिन योजना जैसी स्कीम का फायदा सत्ताधारी पार्टी को मिल रहा है. ऐसे में केजरीवाल ने भी बिना देर किए इसी तर्ज पर दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए देने का वादा किया.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट के मुताबिक फ्री बस, बिजली, पानी, शिक्षा के बाद इस ऐलान ने महिलाओं के बीच केजरीवाल की इमेज को शराब घोटाले के बाद दोबारा से स्थापित करने का काम किया. 

4. चुनावी स्ट्रैटजी बदलीं: अरविंद केजरीवाल अच्छी तरह से जानते हैं कि 10 साल से ज्यादा समय से सत्ता में रहने की वजह से दिल्ली में उनके खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है. उन्होंने इस एंटी इनकम्बेंसी को काटने के लिए BJP की चाल चली है. जैसे BJP ने मध्य प्रदेश और हरियाणा में चुनाव जीतने के लिए कई सारे सिटिंग विधायकों को टिकट नहीं दिया. उनका ये फॉर्मूला सक्सेसफूल रहा था. 

अब केजरीवाल ने इसी फॉर्मूले को कॉपी करते हुए दिल्ली में अपने 20 सिटिंग विधायकों को टिकट नहीं दिए. जबकि पहली ही लिस्ट में 11 में से दूसरे दलों से आए 6 नेताओं को टिकट देकर हर किसी को हैरान कर दिया. माना जा रहा है कि वह इस नई चुनावी रणनीति के जरिए BJP को कड़ी टक्कर दे सकते हैं.

5. 'शीशमहल' के जवाब में वोटों के घोटाला का आरोप: भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल ने CM हाउस रेनोवेट कराने में घोटाला और उसे शीशमहल बना दिया. टेंडर ₹8 करोड़ का था, पेमेंट 4 गुना ज्यादा किया. जवाब में AAP ने PM आवास को 2700 करोड़ का राजमहल बताया है.

इसके अलावा केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि नई दिल्ली विधानसभा सीट पर काफी सारे लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं. हालांकि, 7 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. 

क्या इन 5 फॉर्मूले से विपक्ष को मात दे पाएंगे केजरीवाल? 

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं, "इसमें कोई दो राय नहीं कि जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल ने जो ये 5 बड़े फैसले किए हैं, इससे उनकी पार्टी में नई जान आ गई है. ज्यादातर राजनीतिक विशेषज्ञ ये मान रहे हैं कि दिल्ली में इस बार भी केजरीवाल की सरकार बननी तय है. मुझे भी लगता है कि सीटें घटेंगी, लेकिन AAP 45 से 50 के बीच सीटें लाकर सरकार बना लेगी." 

यह पहला मौका है, जब BJP कांग्रेस के भरोसे दिल्ली की चुनाव लड़ रही है. उसे लगता है कि कांग्रेस AAP से जो वोट काटेगी, उससे BJP को फायदा होगा. केजरीवाल के सामने BJP और कांग्रेस दोनों ही दलों के पास दिल्ली में कोई चेहरा नहीं है. हालांकि, AAP की एक चुनौती ये है कि झारखंड और मध्य प्रदेश की तरह पूरी तरह से तंत्र यानी सिस्टम हाथ में नहीं है. 

ज्यादातर अधिकारियों की पोस्टिंग केंद्र सरकार करती हैं. ऐसे में सरकार के फैसले के साथ ये अधिकारी रहेंगे यह जरूरी नहीं है. पिछले 5 सालों से जारी केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच के उठापटक से ये बात दिल्ली की जनता समझ चुकी है. देखना ये है कि इस बार जनता किसका साथ देती है. 

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