शेख हसीना को फांसी की सजा, जानिए बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री ने अदालत के फैसले पर क्या कहा?

फैसला सुनाए जाने से पहले बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा, " मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि मेरे खिलाफ कथित अपराधों पर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) क्या फैसला सुनाएगा."

बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना  (Photo: ITG)
बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना (Photo: ITG)

17 नवंबर को बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री आसदुज्जमान खान कमाल को फांसी की सजा सुनाई गई है. बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया है.

शेख हसीना ने फैसले पर कहा, "यह फैसला गलत, पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित है. मेरा पक्ष सुने बिना यह फैसला सुनाया गया है. यह फैसला एक ऐसे ट्रिब्यूनल का है, जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है."

इसके साथ ही पूर्व IGP अल ममून जो सरकारी गवाह बन गए थे, उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई है. इस फैसले का लाइव टेलीकास्ट पूरे देश में किया गया. कोर्ट ने उन्हें छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड कहा है.

ICT के जज ने कहा, "जुलाई-अगस्त 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए और लगभग 24,000 घायल हुए. शेख हसीना सरकार ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों का इस्तेमाल किया."

आईसीटी के जज ने एक जांच रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा, "खुद शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए हेलीकॉप्टरों और घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था. इतना ही नहीं अस्पतालों में भी घायलों को चिकित्सा सहायता और इलाज देने से इनकार कर दिया गया था."

इस फैसले से पहले अवामी लीग समर्थकों को भेजे एक ऑडियो संदेश में शेख हसीना ने कहा कि वह अपने रुख पर कायम हैं और उन्हें इस फैसले की कोई परवाह नहीं है. 78 वर्षीय शेख हसीना ने सभी आरोपों को झूठा बताया है.

इसके साथ ही हसीना ने बांग्लादेश में अराजकता के लिए अपने मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया है. 16 नवंबर को जारी ऑडियो संदेश में हसीना ने कहा, "उन्हें जो भी फैसला सुनाना है, सुनाने दीजिए. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अल्लाह ने मुझे यह जिंदगी दी है और केवल वही इसे खत्म कर सकता है. मैं अब भी अपने लोगों की सेवा करूंगी."

उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार जानबूझकर अवामी लीग को खत्म करने की कोशिश कर रही है. बता दें कि यूनुस सरकार ने विद्रोह के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हिंसक हमलों के आरोप में इस राजनीतिक पार्टी को आतंकवादी संगठन करार देकर प्रतिबंधित कर दिया गया है.

बांग्लादेश के सरकारी वकील के मुताबिक, हसीना के खिलाफ पांच गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें हत्या, अपराध रोकने में नाकामी और मानवता के खिलाफ अपराध सबसे अहम हैं. सरकारी वकील ने हसीना के लिए मृत्युदंड की मांग की है, जो अभी भारत में हैं. उन पर और उनके सह-आरोपी तथा पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल पर उनकी अनुपस्थिति में बांग्लादेश की विशेष अदालत में मुकदमा चलाया गया है.

मामले की सुनवाई कर रही अदालत ने हसीना को ढाका में मुकदमे में उपस्थित होने का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने सम्मन अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद ही अदालत ने 17 नवंबर को फैसले की तारीख तय की है. इसे लेकर देशभर में हिंसा भड़क उठी है. सरकार ने हाई अलर्ट की घोषणा कर दी है.

पिछले 4 दिनों में कई जगहों पर गाड़ियों में आगजनी, धमाके, पथराव और सड़क जाम की घटनाएं हुई हैं. लोगों ने पेड़ गिराकर हाईवे जाम कर दिया. अंतरिम सरकार ने सेना और पुलिस के अलावा सीमा रक्षकों को तैनात किया है.

ढाका में पुलिस को हिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया है. शनिवार देर रात से रविवार सुबह तक ढाका में दो बसों को आग लगा दी गई. फैसले के बाद हिंसा और बढ़ने की आशंका को देखते हुए देशभर में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

हसीना ने यूनुस और उनकी सरकार पर पुलिसकर्मियों, पत्रकारों, वकीलों और अवामी लीग कार्यकर्ताओं की हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वालों को बचाने का आरोप लगाया. उनके अनुसार, इन लोगों को माफी दे दी गई है, जिससे पीड़ित परिवारों के लिए "न्याय के द्वार बंद" हो गए हैं.

ICT के कानून के तहत हसीना केवल गिरफ्तारी की स्थिति में ही अपील कर सकती हैं या 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण कर सकती हैं. अंतरिम सरकारी सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि फैसले का नतीजा कुछ भी हो, उसे लागू किया जाएगा.

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