उपचुनाव 2025 : इंडिया ब्लॉक की शानदार जीत कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी क्यों?
चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे 23 जून को जारी हुए, जिनमें 'इंडिया' ब्लॉक ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए चार सीटें जीती

जून की 19 तारीख को चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. 23 जून को इसके नतीजे जारी हुए, जिनमें 'इंडिया' गठबंधन ने मजबूत प्रदर्शन करते हुए पांच में से चार सीटों पर जीत हासिल की.
कांग्रेस खास तौर पर केरल में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) से नीलांबुर सीट जीतने का जश्न मना रही है, हालांकि पार्टी में वरिष्ठ नेता शशि थरूर से जुड़े आंतरिक मतभेद थे.
अभी भी यह साफ नहीं है कि थरूर को किनारे किया गया या उन्होंने खुद प्रचार से दूरी बनाए रखी. हालांकि, जिस चीज ने देश भर का ध्यान खींचा, वो गुजरात के विसावदर में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत थी. गुजरात में अभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार है, और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य भी है.
इस साल फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में 'आप' को करारी हार मिली, जहां अरविंद केजरीवाल को अपनी सीट भी गंवानी पड़ी थी. लेकिन हालिया संपन्न उपचुनावों में पार्टी ने दो सीटें जीती. 'आप' ने विसावदर के अलावा पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट जीती, जहां पार्टी सत्ता में है. यह जीत केजरीवाल को राजनीतिक वापसी की कुछ उम्मीद देती है.
हालांकि, 4-1 के स्कोर की चमक के पीछे 'इंडिया' ब्लॉक के लिए तस्वीर उतनी अच्छी नहीं है. यह विस्तार के बजाय अपनी स्थिति को मजबूत करने की कहानी है, और जीत में भी कांग्रेस के लगातार कमजोर होने की.
'इंडिया' ब्लॉक की चार में से तीन जीत उन राज्यों में आईं, जहां गठबंधन के सहयोगी पहले से सत्ता में हैं. असल में, इन चार में से तीन जीत में सहयोगी दलों ने बीजेपी के वोटों में सेंध लगाने की बजाय कांग्रेस के वोटों को ही हड़प लिया.
बीजेपी सिर्फ गुजरात में सत्ता में है, पश्चिम बंगाल में दूसरे स्थान पर है और पंजाब व केरल में उसका प्रभाव कम है. उपचुनावों में, 'आप' ने पंजाब में अपनी स्थिति बरकरार रखी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में ऐसा ही किया, और कांग्रेस ने केरल में खास परिस्थितियों में एक सीट जीती. ये नतीजे बीजेपी के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कोई बड़ी सेंधमारी का संकेत नहीं देते.
गुजरात में बीजेपी ने कादी में अपनी वोट हिस्सेदारी 53 से बढ़ाकर 59 फीसद कर ली और सीट आसानी से बरकरार रखी. विसावदर में, जहां वह 'आप' से हारी, बीजेपी की वोट हिस्सेदारी केवल थोड़ी कम हुई - 40.36 से 39.24 फीसद. इस सीट पर बीजेपी का प्रदर्शन 2012 से ऐतिहासिक रूप से कमजोर रहा है, क्योंकि तब से वह इसे जीत नहीं पाई.
पश्चिम बंगाल के कालीगंज में टीएमसी ने अपनी मजबूती और बढ़ाई, और वोट हिस्सेदारी 53.35 से बढ़ाकर 55.15 फीसद कर ली. बीजेपी यहां मुख्य प्रतिद्वन्द्वी है, उसकी वोट हिस्सेदारी 30.91 फीसद से थोड़ा कम होकर 28.21 फीसद हो गई. इससे अगले साल विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आत्मविश्वास बढ़ेगा.
पंजाब के लुधियाना वेस्ट में भी यही रुझान दिखा. 'आप' ने अपनी वोट हिस्सेदारी 34.8 फीसद से बढ़ाकर 39.01 फीसद कर ली. लेकिन यह बढ़त मुख्य रूप से कांग्रेस की कीमत पर आई, न कि बीजेपी की. कभी कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर पार्टी ने 2012 और 2017 में 50 फीसद से अधिक वोट हासिल किए थे, लेकिन अब यह 27.22 फीसद पर है, जो 2022 के 28.3 फीसद से थोड़ा कम है.
गुजरात में कांग्रेस का पतन और भी साफ दिखता है. विसावदर में, 2017 में इसके पास 54.69 फीसद वोट थे, जो 2022 में 11.57 फीसद तक गिर गए, और अब यह 'आप' और बीजेपी दोनों से पीछे 3.7 फीसद पर है. कादी में, पार्टी की वोट हिस्सेदारी लगातार कम हुई है, 2017 में 46.2 फीसद से 2022 में 39.37 फीसद और अब 35.9 फीसद. इस बीच, बीजेपी की वोट हिस्सेदारी लगातार बढ़कर 59.39 फीसद हो गई है.
नीलांबुर में कांग्रेस की जीत भी कुछ शर्तों के साथ आई. 2021 में एलडीएफ के पी.वी. अनवर ने इस सीट पर मामूली अंतर से कांग्रेस को मात दी थी. तब अनवर को 46.9 फीसद वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 45.34 फीसद वोट मिले.
ताजा उपचुनाव में कांग्रेस ने 44.17 फीसद वोटों के साथ जीत हासिल की, हालांकि वोट शेयर में गिरावट आई, क्योंकि अनवर एलडीएफ छोड़ कर टीएमसी में चले गए थे. इस तरह उनके 11.23 फीसद कांग्रेस विरोधी वोट इधर-उधर बंट गए, जिससे एलडीएफ का वोट प्रतिशत घटकर 37.88 फीसद रह गया और अनजाने में कांग्रेस को सीट जीतने में मदद मिली.
अगले साल की शुरुआत में असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव होंगे. इंडिया ब्लॉक के ज्यादातर राज्यों में एकजुट होकर चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है. सिर्फ तमिलनाडु में गठबंधन मजबूत रह सकता है, जहां द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) बीजेपी से स्पष्ट रूप से आगे है. पश्चिम बंगाल में टीएमसी का दबदबा बरकरार है.
कांग्रेस के लिए दांव सबसे बड़ा है. केरल में एक दशक बाद जीत से पार्टी का हौसला बढ़ेगा और उसे कर्नाटक व तेलंगाना सहित तीन दक्षिणी राज्यों का नियंत्रण मिलेगा. लेकिन ऐसी जीत सिर्फ कांग्रेस तक सीमित रहेगी और इंडिया ब्लॉक का राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगा.
सिर्फ असम और पुडुचेरी में ही कांग्रेस सीधे तौर पर बीजेपी को चुनौती दे सकती है. इन दो राज्यों में ही 'इंडिया' ब्लॉक के पास राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को रोकने का असली मौका है, लेकिन यह पूरी तरह से कांग्रेस की क्षमता पर निर्भर करता है.