चीन से टैरिफ पर टकराव के बाद भारत का साथ क्यों चाहता है अमेरिका?
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट को उम्मीद है कि रेयर अर्थ मटेरियल्स की कमी से निपटने में भारत और यूरोप उनका समर्थन करेंगे

अमेरिका में दूसरी बार ट्रंप सरकार बनने के बाद एक अजीब-सी कूटनीति देखने को मिल रही है. अमेरिका एक ओर तो टैरिफ बढ़ाकर टकराव पैदा करता है, वहीं दूसरी तरफ मदद मांगता है. एक बार फिर ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है.
10 अक्टूबर को अमेरिका ने चीन पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की. यह टैरिफ 1 नवंबर के बाद से चीनी सामानों पर लगेगा. फिलहाल चीन पर 30 फीसदी अमेरिकी टैरिफ लागू हैं. ऐसे में 1 नवंबर के बाद से चीनी सामानों पर कुल 130 फीसदी टैरिफ लगेगा.
चीन ने इसके जवाब में कहा है कि अगर अमेरिका लड़ना चाहता है, तो हम आखिर तक लड़ेंगे, अगर बातचीत करना चाहता है, तो धमकियां देना बंद कर दे. दरअसल, चीन ने कई रेयर अर्थ मटेरियल (वे दुर्लभ खनिज जिनकी प्रोसेसिंग में चीन सबसे आगे हैं और सबसे ज्यादा निर्यात करता है) को लेकर नए नियम जारी किए हैं. इन नियमों के तहत कोई भी कंपनी चीन से रेयर अर्थ मटेरियल्स खरीदकर बाहर बेचना चाहती तो पहले चीनी सरकार से लाइसेंस लेना पड़ेगा.
इस टैरिफ टकराव के बढ़ने पर अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत से मदद की उम्मीद जताई है. बेसेंट ने कहा है कि उन्हें रेयर अर्थ मटेरियल्स के मामले में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत व यूरोपीय देशों से समर्थन मिलने की उम्मीद है. उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगा रहा है.
बेसेंट ने फॉक्स न्यूज़ से कहा, "हमें भारत और यूरोपीय देशों से समर्थन मिलने की उम्मीद है." हालांकि, अमेरिका के व्यापारिक रुख को देखते हुए कई लोगों को अमेरिकी वित्त मंत्री का यह बयान व्यंग्यात्मक लगा.
एक ओर अमेरिका ने भारत पर 50 फीसद टैरिफ लगा दिया है, जबकि वह दूसरी ओर भारत को दुनिया के सप्लाई चेन को सही रखने में अपना साझेदार बताता है. भारत के पास रेयर अर्थ मटेरियल्स का सीमित भंडार है. भारत को रेयर अर्थ मटेरियल्स के प्रोडक्शन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
इसके बावजूद बेसेंट जोर देकर कहते हैं कि यह एक वैश्विक लड़ाई है. उन्होंने कहा, "रेयर अर्थ मटेरियल्स के मामले में चीन बनाम दुनिया है. चीन ने इसको लेकर पूरी दुनिया के सप्लाई चेन को प्रभावित किया है. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे."
उन्होंने चीन पर उकसावे वाली हरकतें करने और दुनिया के अलग-अलग हिस्से में चल रहे युद्धों में फंडिग करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि चीन के रेयर अर्थ मटेरियल्स पर प्रतिबंधों से न केवल अमेरिका, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी खतरा है. उन्होंने कहा, "अमेरिका दुनिया में शांति के लिए प्रयास कर रहा है, जबकि चीन जंग के लिए फंडिंग कर रहा है."
पिछले हफ्ते, बीजिंग ने अमेरिकी जहाजों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया. रेयर अर्थ मटेरियल्स निर्यात पर चीन के नए प्रतिबंधों ने अमेरिका की चिंताएं बढ़ा दी हैं. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इस कदम से अमेरिकी रक्षा उद्योग पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा, इस महीने के आखिर में दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली बातचीत में चीन को बढ़त मिल सकती है. ऐसे में ये संभव है कि इसी मुलाकात के कारण अमेरिका ने 1 नवंबर तक के लिए टैरिफ को टाल दिया है.