मो. यूनुस के 'लैंडलॉक्ड' बयान के बाद भारत कैसे बांग्लादेश को बायपास करने की तैयारी में जुटा है?
बांग्लादेश को बायपास करने की भारत की रणनीति का केंद्र कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट है, जो म्यांमार के रास्ते कोलकाता को मिजोरम से जोड़ेगा

इसी मार्च-अप्रैल महीने में अपने चीन के दौरे पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने भारत के 'लैंडलॉक्ड' पूर्वोत्तर राज्यों का जिक्र किया था. उन्होंने बांग्लादेश को इस इलाके में समंदर का एकमात्र संरक्षक बताते हुए चीन से अपने यहां आर्थिक गतिविधि बढ़ाने की अपील भी की थी.
मो. यूनुस के उस बयान के बाद भारत अब बांग्लादेश पर जवाबी कार्रवाई करता दिख रहा है. भारत ने जमीनी मार्गों से होने वाले कुछ बांग्लादेशी निर्यातों पर प्रतिबंध लगा दिया, और बांग्लादेश को दरकिनार करते हुए पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक मल्टी-मॉडल कॉरिडोर को रिवाइव (पुनर्जीवित) करने पर काम कर रहा है.
अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से भारत को एक ऐसे बांग्लादेश का सामना करना पड़ रहा है जिसके साथ संबंध बहुत दोस्ताना नहीं हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि अब वही ताकतें सत्ता में हैं जो मानती रही हैं कि भारत ने शेख हसीना सरकार की काफी मदद की.
मोहम्मद यूनुस समेत पड़ोसी मुल्क के कई नेताओं ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहज संबंधों के खिलाफ टिप्पणियां कीं. यूनुस के पूर्वोत्तर राज्यों पर की गई टिप्पणी इस कड़ी में ताजा उदाहरण है. इसके अलावा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उन भारत विरोधी आवाजों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जो हसीना के जाने के बाद मुख्यधारा में जगह बना चुकी हैं.
भारत ने बांग्लादेशी वस्तुओं, खासकर कपड़ों के आयात पर प्रतिबंध लगाया है. यह कदम ऐसे समय उठाया गया, जब अप्रैल में भारत ने एक ट्रांसशिपमेंट समझौते को रद्द कर दिया था. इसके तहत बांग्लादेशी वस्तुओं को तीसरे देशों को निर्यात के लिए भारत से होकर गुजरने की अनुमति दी गई थी.
ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके चलते 5.50 करोड़ रुपये मूल्य के कपड़ों से लदे 36 ट्रक बेनापोल सीमा पर फंसे रह गए हैं.
इसके साथ ही, भारत ने कोलकाता को म्यांमार के सितवे बंदरगाह के रास्ते मिजोरम से जोड़ने वाले कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMMTTP) पर काम तेज कर दिया है. यह प्रोजेक्ट, जो कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच की दूरी को काफी कम करता है, आंशिक रूप से पूरा हो चुका है और अब भारत बाकी हिस्सों को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है.
भारत ने बांग्लादेश के साथ ट्रांसशिपमेंट समझौते को रद्द किया
इसी साल अप्रैल में भारत ने 2020 के एक ट्रांसशिपमेंट समझौते को खत्म कर दिया, जिसके तहत बांग्लादेशी निर्यात, खासकर कपड़े भारत के रास्ते तीसरे देशों में भेजे जाते थे.
पिछले हफ्ते, भारत ने जमीनी रास्तों से होकर जाने वाले बांग्लादेशी सामानों पर भी प्रतिबंध लगाए. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, इससे लगभग 770 मिलियन डॉलर (करीब 65 अरब रुपये) के सामान पर असर पड़ेगा, जो कुल द्विपक्षीय आयात का करीब 42 फीसद है.
इन कदमों के साथ-साथ, भारत बांग्लादेश को बायपास करके अपने पूर्वोत्तर राज्यों को सीधे देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने की लंबी अवधि की रणनीति पर ध्यान दे रहा है, क्योंकि बांग्लादेश साफ तौर पर विस्तारवादी चीन की ओर झुक रहा है.
फिलहाल, सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे "चिकन नेक" कहा जाता है, पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र जमीनी मार्ग है. बाकी सभी लैंड रूट बांग्लादेश से होकर गुजरते हैं.
भारत लंबे समय से साउथ एशिया में, खासकर बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर सतर्क है, जहां चीन अपने "लोन ट्रैप" बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के जरिए अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है.
भारत ने पूरा किया कलादान प्रोजेक्ट का भारतीय हिस्सा: मिजोरम के गवर्नर वीके सिंह
भारत की बांग्लादेश को बायपास करने की रणनीति का केंद्र है कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMMTTP), जो 500 मिलियन डॉलर (41.94 अरब रुपये) की परियोजना है और कोलकाता को म्यांमार के रास्ते मिजोरम से जोड़ने का लक्ष्य रखती है.
25 अप्रैल को मिजोरम के गवर्नर जनरल वीके सिंह ने घोषणा की कि कलादान प्रोजेक्ट का भारतीय हिस्सा पूरा हो चुका है. पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए शिलांग-सिलचर हाई-स्पीड कॉरिडोर से KMMTTP को और मजबूती मिलेगी, जो मिजोरम के आइजोल से असम और मेघालय के शिलांग तक पहुंचेगा.
नेशनल हाईवे और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) के एक अधिकारी ने कहा, "यह कॉरिडोर पूरे पूर्वोत्तर के लिए एक प्रमुख कनेक्टिविटी लिंक बनेगा और भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के लिए एक अहम मील का पत्थर होगा." NHIDCL इस प्रोजेक्ट को बनाने वाली संस्था है.
NHIDCL के एक अधिकारी ने कहा, "कलादान प्रोजेक्ट की मदद से बिना बांग्लादेश पर निर्भर रहे विजाग और कोलकाता से पूर्वोत्तर तक माल पहुंचेगा. हाई-स्पीड कॉरिडोर इसके बाद सड़क मार्ग से माल ढुलाई सुनिश्चित करेगा, जिससे इलाके में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी."
शिलांग-सिलचर हाई-स्पीड कॉरिडोर को मिजोरम के जोरिनपुरी तक विस्तारित किया जाएगा, जहां KMMTTP का रास्ता भारत में प्रवेश करता है, और फिर यह आइजोल में समाप्त होगा.
दिसंबर 2024 में, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि KMMTTP के जुलाई 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है. यह रास्ता न केवल कोलकाता से पूर्वोत्तर तक के रेल और सड़क मार्गों को बायपास करेगा, बल्कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर के जरिए माल ढुलाई की जरूरत को भी खत्म करेगा.
क्या है कलादान प्रोजेक्ट और यह बांग्लादेश को कैसे बायपास करेगा?
KMMTTP, भारत और म्यांमार द्वारा 2008 में शुरू की गई एक मल्टीमॉडल परियोजना है, जिसमें समुद्री, नदी और सड़क परिवहन शामिल हैं.
फिलहाल, कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच लोग या तो लंबे सिलीगुड़ी कॉरिडोर से या बांग्लादेश के रास्ते ट्रेवल करते हैं. बांग्लादेश रूट में कोलकाता से ढाका तक सड़क और रेल लिंक, साथ ही अखौरा-अगरतला कनेक्टिविटी शामिल है.
इसलिए, KMMTTP मौजूदा परिस्थितियों के लिहाज से सिलीगुड़ी कॉरिडोर की तुलना में काफी छोटा रूट प्रदान कर सकता है. KMMTTP पूरा होने पर जहाज कोलकाता से म्यांमार के रखाइन प्रांत में सितवे बंदरगाह तक, पहले हुगली नदी और फिर बंगाल की खाड़ी के रास्ते यात्रा करेंगे. सितवे से सामान कलादान नदी के रास्ते चिन राज्य के पालेटवा शहर तक ले जाया जाएगा.
पलेतवा से 109 किमी की सड़क भारत-म्यांमार सीमा पर मिजोरम के जोरिनपुरी शहर तक जाएगी. पूरा होने पर, KMMTTP कोलकाता और पूर्वोत्तर के बीच ट्रेवल टाइम और दूरी को बांग्लादेश रूट की तुलना में काफी कम कर देगा.
द वीक में दिसंबर 2024 में छपे एक लेख के अनुसार, भारतीय हिस्से पर सिविल कार्य और सितवे बंदरगाह का निर्माण, पलेतवा में नदी टर्मिनल और कलादान नदी की ड्रेजिंग पूरी हो चुकी है. भारतीय हिस्से पर निर्माण पूरा होने की पुष्टि मिजोरम के गवर्नर जनरल वीके सिंह ने भी की है.
न्यूज पोर्टल PSU वॉच के मुताबिक, फरवरी 2022 में रेल मंत्रालय के अधीन एक कंपनी IRCON को म्यांमार के पलेतवा से मिजोरम के जोरिनपुरी तक 109 किमी सड़क बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
लेकिन, म्यांमार के रखाइन प्रांत में राजनीतिक अस्थिरता, लॉजिस्टिक समस्याओं और सुरक्षा चिंताओं के कारण पलेतवा और जोरिनपुरी के बीच की सड़क अभी पूरी नहीं हुई है.
दरअसल, म्यांमार के गृहयुद्ध के दौरान पलेतवा शहर भारी युद्ध का गवाह बना, जहां विद्रोही गुट जुंटा और अराकान सेना के बीच हिंसक संघर्ष चल रहा है.
इन मुश्किलों के बावजूद, अप्रैल 2025 में म्यांमार में भारतीय राजदूत अभय ठाकुर ने कहा कि कलादान प्रोजेक्ट के म्यांमार वाले हिस्से पर काम चल रहा है और इसे पूरा करने की उम्मीद है.
ठाकुर ने ANI को बताया, "म्यांमार, 'नेबरहुड फर्स्ट' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियों के तहत, भारत का एक अहम विकास साझेदार है. हम कई रणनीतिक परियोजनाओं में लगे हैं, जिनमें कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और भारत-थाईलैंड ट्राइलेटरल हाईवे प्रोजेक्ट शामिल हैं."
बांग्लादेश के चीन की ओर झुकने और भारत के व्यापार पर सख्ती करने के साथ, कलादान प्रोजेक्ट न केवल एक वैकल्पिक मार्ग है, बल्कि नई दिल्ली का एक बड़ा कूटनीतिक कदम है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर भारत न केवल पूर्वोत्तर के लिए एक नया मार्ग बनाएगा, बल्कि सभी चुनौतियों के बावजूद क्षेत्र में विकास का रास्ता भी खोलेगा.
- सुशीम मुकुल.