शिकार पर निकला भगवा दल
राज्यसभा चुनाव के ऐन पहले भाजपा गुजरात में कांग्रेस के विधायकों को अपने साथ क्यों मिला रही है.

यह मामला जितना दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा गहरा है. राज्यसभा में अपनी संख्या बढ़ाने के लिए भाजपा निरंतर विपक्ष के विधायकों को तोड़ने में लगी है. भाजपा ने गुजरात में पिछले ढाई साल के दौरान कांग्रेस के 18 विधायकों को तोड़कर उसे काफी कमजोर बना दिया है. यह रुझान अभी तक बना हुआ है क्योंकि भगवा दल ने पिछले ही हफ्ते कांग्रेस के तीन और विधायकों को तोड़ लिया और गुजरात से अपने लिए राज्यसभा में एक और सीट पक्की कर ली. कुछ महीने पहले तक यह काम नामुमकिन सा लग रहा था.
गुजरात कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा उसके विधायकों को मोटे पैसे से रिझा रही है—पक्ष बदलने के एवज में उन्हें 10-15 करोड़ रु. की पेशकश कर रही है. लेकिन भगवा दल को इसकी परवाह नहीं है. मुमकिन है कि भाजपा आला कमान ने राजनैतिक नफा-नुक्सान को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया हो क्योंकि यह पार्टी राज्य में 2017 में चुनाव से पहले से ही इस खेल में शामिल है. उस वक्त दल बदलकर आए सात विधायकों में से छह चुनाव हार गए थे.
अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा एक बार फिर इतना क्यों गिर गई है. क्या पार्टी किसी बड़े संवैधानिक संशोधन की फिराक में है, जिसके लिए उसे ऊपरी सदन में बहुमत की जरूरत है? क्या इसका वास्ता नरेंद्र मोदी-अमित शाह की भारत के लोकतंत्र को संसदीय व्यवस्था से राष्ट्रपति वाली व्यवस्था में बदलने की योजना से है? (पार्टी के अंदरूनी लोगों के मुताबिक, भाजपा आला कमान का मानना है कि देश की राजनैतिक व्यवस्था को बदलकर वे अगले कुछ दशकों तक सत्ता में रह सकते हैं क्योंकि उनका मानना है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ अगर एक-दूसरे का अनुसरण करें तो उनमें एक के बाद दूसरा चुनाव जीतने का माद्दा है.)
कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा संविधान से ‘समाजवादी, सेकुलर' शब्द हटाना चाहती है, जिसे इंदिरा गांधी ने एक संशोधन के जरिए 1976 में जोड़ा था. दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा स्कूल चलाने जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के विशेषाधिकारों को खत्म करना चाहती है. हालांकि पार्टी के नेता इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन भाजपा पर लंबे समय से नजर रखने वाले लोग इनमें से किसी भी संभावना से इनकार नहीं करते. वे पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य में अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने जैसे कदम का हवाला देते हैं. इस बीच, गुजरात में कांग्रेस के लिए परिस्थितियां गंभीर हो गई हैं. राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले तीन विधायकों को तोड़कर भाजपा ने अपने राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी की हालत संगीन बना दी है. राज्यसभा चुनाव 19 जून को है.
तीन विधायकों—करजन से अक्षय पटेल, कपराडा से जीतू चौधरी और मोर्बी से बृजेश मेर्जा—ने एक-एक करके राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. चौधरी ने कहा कि वे पार्टी की भीतरी लड़ाई से तंग आ गए हैं. मेर्जा ने कहा कि वे कांग्रेस से बाहर रहकर लोगों की सेवा करने की बेहतर स्थिति में होंगे. उनमें से अभी तक कोई भी भाजपा में शामिल नहीं हुआ है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावडा इसका दोष पूरी तरह भगवा पार्टी पर मढ़ते हैं, ‘‘भाजपा गंदा खेल खेल रही है. पैसे का दुरुपयोग करके लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. लोकतंत्र खतरे में है.'' लेकिन गुजरात भाजपा के प्रमुख जीतूभाई वाघानी कहते हैं, ‘‘कांग्रेस विधायकों की बगावत उनकी अपनी आंतरिक समस्या की वजह से है. हमारा इससे कोई सरोकार नहीं है.''
भाजपा की तोड़-फोड़ की वजह से कांग्रेस अपने 65 विधायकों को तीन अलग-अलग जगहों पर ले जाने के लिए मजबूर हो गई है, जिनमें से एक राजस्थान में है. इन तीन विधायकों से पहले मार्च में पांच अन्य विधायक पार्टी छोड़ गए थे. वे पांच भी अभी तक भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं. मात्र तीन महीने के अंदर कांग्रेस आठ विधायकों के पार्टी छोड़ने की वजह से यह तय हो गया है कि भाजपा राज्यसभा की तीसरी सीट जीत लेगी, जिसे पार्टी ने वरिष्ठ भाजपा नेता और गुजरात के उपमुख्यमंत्री नरहरि अमीन को आवंटित किया है. भाजपा के दो अन्य प्रत्याशी हैं—अभय भारद्वाज और रामिलाबेन बारा. कांग्रेस ने दो सीटों के लिए प्रत्याशी तय किए हैं—वरिष्ठ पार्टी नेता शक्तिसिंह गोहिल और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख भरत सोलंकी, जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट बांटा था.
पिछले सप्ताह पार्टी के तीन विधायकों के इस्तीफे से पहले तक कांग्रेस को दोनों सीटें निकाल लेने की उम्मीद थी लेकिन अब उसके पास केवल एक सीट जीतने लायक ही वोट हैं. माना जाता है कि पार्टी के कई विधायक ओबीसी क्षत्रीय सोलंकी के प्रति वफादार हैं और वे गोहिल के मुकाबले उन्हें बढ़त हासिल है. अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस आला कमान के विरुद्ध बगावत हो जाएगी, जिसकी प्राथमिक उम्मीदवार गोहिल हैं.
यह भी अफवाह है कि तीन सीटों पर जीत पक्की करने के बाद भाजपा अपने विधायकों के जरिए सोलंकी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करा सकती है, जिससे गोहिल को हराया जा सके. गोहिल भाजपा के दुश्मन नंबर एक हैं क्योंकि उन्होंने कुछ वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ निरंतर अभियान छेड़ रखा है. जाहिर है, गुजरात में कांग्रेस की दशा खराब है, लेकिन भाजपा की तोड़-फोड़ का उद्देश्य उससे कहीं बड़ा है.
अनुवादः मोहम्मद वक़ास
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