शख्सियतः लाकडाउन में डोर-टू-डोर डिलिवरी का आलोक
यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त और अपर मुख्य सचिव, वाणिज्यकर विभाग के पद पर तैनात आलोक सिन्हा लाकडाउन में जरूरत के सामानों की सप्लाई चेन बनाए रखने के मुख्य सूत्रधार हैं.

पिछले वर्ष दिसंबर में यूपी के वाणिज्य कर विभाग में अपर मुख्य सचिव आलोक सिन्हा ने एक अभियान चलाकर प्रदेश में चल रहे सभी व्यवसायिक और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का सर्वे शुरू किया था तो यह अंदाजा ही नहीं था कि चार महीने बाद यह काम सरकार के बड़े काम आएगा.
वाणिज्य कर विभाग ने इस वर्ष फरवरी तक युद्ध स्तर पर काम करके एक-एक प्रतिष्ठान की जानकारी जुटाई. यह देखा गया कि प्रदेश में जीएसटी पंजीकरण की स्थिति क्या है? तीन महीने चले इस अभियान के बाद विभाग को यह आंकड़े मिल गए कि किस जगह पर कौन सा प्रतिष्ठान, दुकान चल रही है? उसके मालिक कौन हैं? उनका नंबर क्या है?
फरवरी में जब यह सर्वे अपने अंतिम पड़ाव पर था कि तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आलोक को कृषि उत्पादन आयुक्त (एग्रीकल्चर प्रोडक्शन कमिशनर-एपीसी) का पद भी सौंप दिया. मार्च में लाकडाउन की घोषणा होते ही मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों की अपनी टीम-11 बनाई और इसमें आलोक को घरों में सामान पहुंचाने वाली कमेटी की अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. लाकडाउन के लागू होते ही सरकार के सामने बड़ी चुनौती सप्लाई चेन बनाने की थी. लोग बाहर न निकलें, उन्हें घर बैठे ही सब्जी, राशन, दवाएं समेत सभी जरूरी चीजें मिल जाएं.
अब वाणिज्यकर विभाग की जुटाई गई जानकारी आलोक के काम आ गई. ऐसी ही सूचनाएं प्रदेश की सभी मंडियों के बारे में भी जुटाई गईं. आलोक ने सभी जिलाधिकारियों, मंडी और वाणिज्यकर से जुड़े अधिकारियों को आदेश जारी कर डोर-टू-डोर डिलिवरी का एक सिस्टम लागू करने को कहा. समस्या सामान की सप्लाई करने की थी.
ऐसे में स्थानीय नगर निगम में रजिस्टर्ड ई-रिक्शा चालकों की जानकारी जुटाई गई. लाकडाउन की हालत में ये सभी बेरोजगार बैठे थे. इन्हें सामान ले जाकर बेचने की अनुमति दी गई. स्थानीय स्तर पर डोर स्टेप डिलिवरी करने वाले लोगों का भी कई आनलाइन डिलिवरी कंपनियों के जरिए इंतजाम हुआ.
वहीं दूसरी ओर लाकडाउन के लागू होते ही आलोक ने विधान भवन में मौजूद कृषि उत्पादन आयुक्त के कार्यालय में अपने कक्ष के ठीक सामने 24 घंटे चलने वाला एक कंट्रोल रूम स्थापित किया. इसका नंबर 0522-2213030, 0522-2213131 को सभी जिलों के अधिकारियों को भेजा गया.
यह खास कंट्रोल रूम जनता की शिकायतों को सुनने के लिए नहीं था बल्कि एपीसी कार्यालय से जिलों के अधिकारियों से सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए था. इस कंट्रोल रूम को सीएम हेल्पलाइन 1070 और राहत आयुक्त कार्यालय का हेल्पलाइन नंबर 1076 से भी जोड़ा गया. इसके जरिए जिलों के कामकाज की निगरानी की गई. मॉनिटरिंग का एक प्रारूप बनाया है. अलग-अलग फार्म बनाए गए.
हर जिले से रोज आने वाली रिपोर्ट इसी कंट्रोल रूम में कंपाइल होती है. इसे आलोक को भेजा जाता है. और आलोक इसे मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज देते हैं. किस-किस जिले में कितने ई-रिक्शा, ठेले वाले फल सब्जी की सप्लाई में लगे हुए हैं? 8 मई तक की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे प्रदेश में 43,786 लोग फल-सब्जी बेच रहे थे. इसमें 14 हजार ई-रिक्शा थे और 29 हजार ठेले वाले थे.
इसके साथ दूध की सप्लाई पर नजर रखने के लिए भी एक प्रारूप बनाया गया. हर जिले में कितना दूध कलेक्ट किया गया, कितना दूध बांटा और कितने लोगों ने बांटा? इसकी भी रोज जानकारी जुटाई जाती है. आलोक के मोबाइल पर 8 मई की शाम हर जिले से आई कंपाइल्ड रिपोर्ट के मुताबिक इस दिन 21,455 लोग पूरे प्रदेश में दूध की सप्लाई में लगे हुए थे.
8 मई को पूरे प्रदेश में 34 लाख लीटर दूध बांटा गया और 54 लाख लीटर कलेक्ट किया गया.
पूरे प्रदेश में 8 मई को 23,693 किराना स्टोर से सामान की सप्लाई की गई और इसमें 51 हजार डोर स्टेप डिलिवरी ब्वाय लगे हुए थे. इसी दिन पूरे प्रदेश में 918 निजी किचेन और 717 सरकारी किचेन काम कर रहे थे.
इनसे एक दिन में 10 लाख 24 हजार लोगों को भोजन बांटा गया. इस तरह अब तक साढ़े चार करोड़ से अधिक लोगों को पूरे प्रदेश में भोजन बांटा जा चुका है. भोजन बांटने के लिए एपीसी कार्यालय ने हर जिले में नोडल अधिकारी तैनात किए.
इन्हें हर शाम को भोजन बांटने की पूरी रिपोर्ट निर्धारित फार्म पर भेजने की जिम्मेदारी भी दी गई. इसी तरह राशन बांटने की भी पूरी प्रक्रिया की भी रिपोर्ट मंगाई गई. बांटे जाने वाले भोजन और राशन की शिकायतों पर नजर रखने के लिए सभी कमिश्नर को जिम्मेदारी सौंपी गई.
आलोक ने सभी कमिश्नर का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिसके जरिए सभी जरूरी सूचनाएं फौरन इन्हें भेजी जाने लगीं. सबसे ज्यादा समस्या घरों में बंद लोगों के पास सामान खरीदने के लिए कैश की कमी होने की आने लगी. इनमें से ज्यादातर वे लोग थे इनके घर से एटीएम दूर पड़ता था.
ऐसे लोगों की सहूलियत के लिए आलोक ने डोर-टू-डोर माइक्रो-एटीएम की सुविधा शुरू करवाई. डाक विभाग और बैंकों के सहयोग से शुरू की गई माइक्रो-एटीएम सेवा आधार बेस्ड थी जिसमें अंगूठा लगाकर पैसा निकाला जा सकता है. यूपी में अबतक 13 लाख लोगों ने अपने घर पर माइक्रो-एटीएम के जरिए पैसे निकाले हैं.
लाकडाउन लागू होने के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर यूपी में आए हैं. इसके अलावा प्रदेश में रह रहे कई लोगों के सामने भी रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. इससे निबटने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि उत्पादन आयुक्त के तौर पर आलोक सिन्हा को सौँपी है.
आलोक अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के तौर-तरीकों पर मंथन कर रहे हैं. यह महज संयोग नहीं है कि कृषि उत्पादन आयुक्त कार्यालय के कक्ष में आलोक सिन्हा की कुर्सी के ठीक पीछे महात्मा गांधी का चित्र टंगा है. आलोक, गांधी जी की ग्राम स्वराज की अवधारणा को पूरी मजबूती के साथ हकीकत में उतारने की तैयारी में हैं.
ग्रामीण इलाकों में असंघटित महिला समूहों को संघटित करके इन्हें ऐसे उत्पादन कार्यों में लगाने की योजना तैयार हो रही है जिससे छोटे से लेकर बड़े स्तर पर लोगों को दैनिक जरूरत की चीजें मिल सके. इसके लिए आचार, पापड़ बनाना, मसाले तैयार करना जैसे करीब 70 ट्रेड चिन्हित किए गए हैं जिनमें इन महिला समूहों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की योजना है.
आलोक पंचायत राज और उद्योग विभाग के सहयोग से एक एपेक्स संस्था के गठन की भूमिका बना चुके हैं जो इन महिला समूहों के उत्पादों की स्थानीय और बड़े शहरों में मार्केटिंग करके बाजार मुहैया कराएगी. इसके अलावा बाहर से आने वाले मजदूरों की भी स्किल मैपिंग की जा रही है ताकि इन्हें किसी कार्य में लगाया जा सके.
बाहर से आने वाले जिन लोगों के पास कोई स्किल नहीं हैं उन्हें कौशल विकास मिशन से जोड़ा जाएगा. कुटीर उद्योग, खादी ग्रामोद्योग, मध्यम, लघु, सूक्ष्म उद्योग (एमएसएमई) की पहले से चल रही योजनाओं के जरिए बाहर से आए मजदूरों और ग्रामीण लोगों को काम दिलाने की योजना है.
इस दिशा में काम करने वाले विभागों का कनवर्जेंस किया जाएगा. मई में ही हर जिले में लोन मेला लगाकर लोगों को स्वयं के कार्य शुरू करने को भी प्रेरित किया जाएगा. गर्मी के मौसम में जल स्रोतों के विकास के जरिए “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” (मनरेगा) के तहत बारिश का मौसम शुरू होने से पहले बड़ी संख्या में लोगों को काम में लगाना शुरू हो गया है.
जल स्रोत दुरुस्त हो जाने से बारिश के दौरान इनमें पानी का संचयन बड़े पैमाने पर किया जा सकेगा. “फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन” (एफपीओ) के जरिए गांव में “कैश क्राप” पर काम शुरू किया जाएगा ताकि किसानों की आय बढ़ सके, आलोक की योजना है कि गांव में रहने वाला हर परिवार या कई परिवार मिलकर एक कुटीर उद्योग की तरह काम करे. इन्हें जरूरी उपकरण और अन्य सुविधाएं दिलाने के लिए हर पचास महिला समूहों के बीच एक “कॉमन फेसिलिटी सेंटर” की स्थापना की जाएगी.
लाकडाउन में छोटी-छोटी रोजगार की संभावनाएं तलाशने में लगे आलोक सिन्हा मथुरा के रहने वाले हैं इनके पिता पशुपालन विभाग में नौकरी करते थे. राजकीय इंटरमीडियट कालेज (जीआइसी) मथुरा से इंटरमीडियट करने के बाद आलोक का चयन “इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी” (आइआइटी) दिल्ली में फिजिक्स में “मास्टर इन सांइस” (एमएस) के पांच सालाना कोर्स में हो गया.
वर्ष 1986 में आलोक का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ. पहली पोस्टिंग बलिया जिले में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के तौर पर हुई. उत्तरकाशी, देहरादून और इटावा में जिलाधिकारी रहे. वर्ष 1999 में आलोक केंद्र सरकार के “फुटवेयर डिजायन एंड डेवलेपमेंट इस्टीट्यूट” में पांच साल प्रबंध निदेशक रहे. यहां से यूपी लौटने के बाद आलोक पश्चिमांचल विद्युत निगम लिमिटेड में एमडी बने.
इसी दौरान प्रदेश में पहली बार बिजली चोरी पकड़ने के लिए ट्रांसफारमर के जरिए “एनर्जी एकाउंटिंग” का सिस्टम लागू हुआ. इसके बाद फिर वर्ष 2009 में आलोक प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार में पहुंचे और सिविल एविएशन मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी तैनात हुए. सिविल एविशन में तैनाती के दौरान ही आलोक ने एयरलाइंस के संचालन का एक सिस्टम तैयार किया जिसमें इनके लेट होने की संभावना बिल्कुल कम हो गई.
हवाइ जहाज जब खड़ा होता है तो पहिए के नीचे एक ब्लाक लगाया जाता है जिससे वह हिले नहीं. जब जहाज चलने के लिए तैयार होता है तो पायलट टावर से ब्लाक हटाने की अनुमति मांगता है. टावर की अनुमति मिलते ही ब्लाक हटाया जाता है और यह समय टावर दर्ज कर लेता है. इसे ही “आफ ब्लाक टाइम” कहा जाता है.
कई बार जहाज अपनी पूरी तैयारी किए बिना ही आफ ब्लाक टाइम ले लिया करते थे. एक जहाज के आफ ब्लाक टाइम ले लेने के बाद दूसरा कोई भी जहाज रनवे पर उड़ान भरने के लिए नहीं जा सकता चाहे वह पहले से ही तैयार क्यों न खड़ा हो. इसी आफ ब्लाक टाइम लेने की गड़बड़ी के कारण जहाज के उड़ान का शिड्यूल ठीक से लागू नहीं हो पा रहा था. कई बार जहाज के निर्धारित समय में काफी देरी हो जाती थी.
आलोक ने जहाज के उड़ने के लिए रेग्युलेशन जारी कर सभी जहाज के उड़ान भरने के 45 मिनट पहले काउंटर बंद करने का नियम बना दिया. इसके बाद से जहाज पकड़ने वाले सभी यात्रियों को 45 मिनट पहले एयरपोर्ट पहुंचना अनिवार्य हो गया.
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद कमिश्नर मेरठ, प्रमुख सचिव उद्योग विभाग बने. जनवरी 2018 में आलोक सिन्हा प्रोन्नत होकर अपर मुख्य सचिव उद्योग बने. दो महीने बाद इन्हें अपर मुख्य सचिव के तौर पर वाणिज्यकर विभाग की जिम्मेदारी मिल गई. इसी वर्ष 14 फरवरी को आलोक को यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई.
एपीसी और अपर मुख्य सचिव वाणिज्यकर के रूप में आलोक के ऊपर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस आदेश को हकीकत में उतारने की जिम्मेदारी हैं जिसमें प्रवासी मजदूर यूपी में रहकर अपना जीवकोपार्जन करेंगे.
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