सीधा-सादा जीवन
आर.के. नारायण (1906-2001) लेखक जिसने अंग्रेजी को भारतीय किस्से बयान करने का माध्यम बना दिया

आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष
रसिपुरम कृष्णस्वामी नारायणस्वामी ने एक बार द हिंदू अखबार के प्रकाशक और उनके जीवनीकार एन. राम से कहा था, ''हर आदमी खुद को जिस गंभीरता से लेता है, उसे देखकर हैरत होती है.'' द हिंदू के लिए नारायण ने अरसे तक साप्ताहिक स्तंभ लिखा.
कुछ इसी तरह का रवैया कार्टूनिस्ट और उनके भाई आर.के. लक्ष्मण के कार्टून 'कॉमन मैन' में भी झलकता था. नारायण के बहुतेरे किरदार ऐसे हैं, जिन्हें अपने भीतर से वह आंतरिक ऊर्जा, वह शक्ति नहीं मिल पाई, जिसके बूते वे अपना अस्तित्व बचाए रख सकें. उनकी त्रासदी यह है कि उनकी जिंदगी के अपने छोटे-बड़े सपनों के कुंठित होने से उपजे हालात से वे सामंजस्य नहीं बिठा पाते. बतौर एक लेखक नारायण की महानता इस बात में दिखती है कि उनके किरदारों की कुंठा और निराशा मजाक का मजमून नहीं बनती बल्कि यूं कहें कि उसे बड़ी आत्मीयता के साथ बरता जाता है.
वे एक अग्रणी लेखक इसलिए बने क्योंकि अंग्रेजी को भारतीय कहानियां कहने के माध्यम के रूप में तब्दील कर देने वाले वे पहले लेखक थे. लेकिन बतौर लेखक उनकी सच्ची महानता तो इस बात में उभरकर आती है कि उन्होंने हमारी नाकामियों, हमारे छल-छद्म और पाखंड को बड़े वास्तविक और संवेदनशील ढंग से उकेरा.
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