हर औरत के भीतर छिपी होती है एक पद्मावती -दीपिका पादुकोण
दीपिका पादुकोण कहती हैं, पद्मावत मेरे करियर के लिए एक टर्निंग प्वाइंट है.

दीपिका पादुकोण बेहद खूबसूरत अदाकारा हैं. सादगी में भी उनकी अदाकारी मोहित करती है. उनकी छवि बॉलीवुड की रानी की बन गई हैं. वे मानती हैं कि इस ओहदे को पाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है. उन्होंने त्याग भी किया है. अब वे इस पल का आनंद ले रही हैं. यह रानी फिलहाल फिल्म `पद्मावत’ को लेकर विवादों में रही हैं और इसका विरोध पूरी तरह से थमा नहीं है. वे इसका मुकाबला रानी पद्मावती की रणनीति की तरह ही कर रही हैं. वे शांत और सौम्य हैं और कोई उत्तेजक बात नहीं कर रही हैं.
अपने एक दशक के करियर के सफर को लेकर वे कहती हैं, `पद्मावत’ मेरे करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट है. मैं मानती हूं कि इंडियन सिनेमा के लिए भी यह बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट होगा. जिस तरह से हम इस फिल्म को पेश कर रहे हैं और अंत में रिलीज के बाद औरतों के लिए क्या होगा? हम हीरोइनों के लिए बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है.
अपने पिता प्रकाश पादुकोण की तरह बैडमिंटन को करियर न बनाकर अभिनय की दुनिया में तहलका मचाने वाली दीपिका शुरू से ही फिल्मकार संजय लीला भंसाली से प्रभावित रही हैं. वे कहती हैं, `10 साल पहले `सांवरिया’ और `ओम शांति ओम’ एक साथ रिलीज हुई थी.
मुझे याद है कि मैं अपने आपसे पूछती थी कि क्या मै भंसाली की हीरोइन कभी नहीं बन पाउंगी? लेकिन मैं लकी हूं कि उन्होंने मुझे तीन स्ट्रांग फीमेल कैरेक्टर दिए, चाहे वो लीला हो, मस्तानी हो या पद्मावती हो. मैं प्राउड महसूस कर रही हूं.’
गैरफिल्मी परिवार से आने वाली दीपिका को अच्छे निर्देशकों का साथ मिला, अच्छी फिल्में मिलीं. ढेर सारे अवार्ड्स भी जीते. बीच में उनका करियर थोड़ा डगमगाया भी था. लेकिन उन्होंने `कॉकटेल’ से खुद को संभाल लिया. अपने बेहतर करियर के लिए वे सबसे पहले खुद को क्रेडिट देती हैं.
उनका मानना है कि सफलता आसमान से यूं ही नहीं टपकता है. इसके लिए उन्होंने मेहनत की है. जिन निर्देशकों के साथ काम किया उन्होंने कैरेक्टर को निभाने के लिए अच्छे रोल दिए. फैंस ने उनके काम को पसंद किया. अब लोग उन्हें ग्लैमरस हीरोइन नहीं बल्कि घरेलू बेटी की तरह भी देखते हैं? इस पर वे कहती हैं, `यह सुनकर बहुत अच्छा लगता है. मेरे मां-बाप तो खुशी महसूस कर रहे होंगे.’
वे मानती हैं कि बदलते समाज और सोच के बावजूद आज भी औरतों के प्रति लोगों का नजरिया बदलने की जरूरत है. सिनेमा तो समाज का प्रतिबिंब है. संजय जैसे नारीवादी विचारधारा के निर्देशक महिला प्रधान फिल्में बना रहे हैं. ऐसे निर्देशकों को पता है कि औरतों को किस तरह से पेश करना है जिससे उनकी मान और मर्यादा में कोई कमी न आए.
`पद्मावत’ करने के लिए मैं इसलिए तैयार हुई क्योंकि मैं उनकी वीरता से प्रभावित हुई. हरेक औरत के अंदर एक पद्मावती छुपी हुई है. वे कहती हैं, `फिलहाल मैं इमोशनली बहुत थक गई हूं. इससे बाहर आने के लिए पीकू या जवानी दीवानी जैसी फिल्में करना चाहती हूं.
लेकिन वे एक बार फिर इरफान खान के साथ एक फिल्म करने वाली हैं जिसके निर्माता विशाल भारद्वाज हैं और हनी त्रेहन इसका निर्देशन करेंगे. यह फिल्म माफिया वर्ल्ड के एक आदमी की कहानी पर आधारित है. 32 वर्षीया दीपिका को अपना भविष्य अच्छा दिख रहा है.