संबलपुर लोकसभा क्षेत्रः मोदी के बूते बीजद के गढ़ में दस्तक

ओडीशा के संबलपुर में बीजद और भाजपा के बीच कांटे की लड़ाई होती दिख रही है. मोदी ने यहां किसानों के मुद्दे उठाकर समां बांधने की कोशिश की.

फोटो सौजन्य-आज तक
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संबलपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबलपुर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में काफी कुछ कामयाब रहे. प्रत्याशी नीतेश गंगदेव के प्रचार में तेजी आ गई. लगने लगा है कि कि बीजू जनता दल (बीजद) के इस गढ़ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दिलचस्प टक्कर देने की स्थिति में आ गई है. कांग्रेस प्रत्याशी बाहरी होने के कारण जनता के बीच बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे हैं. पर पारंपरिक वोटों के साथ ही उन्होंने अंतिम दौर में गति पकड़ी है. यहां बीजद और भाजपा के बीच कांटे की लड़ाई होती दिख रही है. मोदी ने यहां किसानों के मुद्दे उठाकर समां बांधने की कोशिश की. पेयजल सिंचाई और किसानों को मिलने वाली आर्थिक सहायता सीधे उनके खाते में भेजने की बात कहकर संबलपुर की नब्ज टटोलने में कुछ हद तक सफल रहे. संबलपुर में 23 अप्रैल को तीसरे चरण में मतदान होने हैं.

तीनों ही प्रत्याशी बाहरी

बीजद ने अपने सांसद नगेंद्र प्रधान का टिकट काटकर पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के चीफ इंजीनियर रहे नलिनी प्रधान को लोकसभा का टिकट दिया है जबकि भाजपा ने 2014 में बीजद से हारे सुरेश पुजारी को बरगढ़ से टिकट देकर यहां पर देबगढ़ से एमएलए रहे नीतेश गंगदेव को उतारा है. मजे की बात तो यह है कि तीनों ही संबलपुर टाउन के निवासी नहीं है. कांग्रेस छात्र नेता रहे बलंगीर निवासी शरत पटनायक को टिकट दिया है. नीतेश गंगवार देबगढ़ और नौकरी से वीआरएस लेकर चुनाव लड़ रहे नलिनी प्रधान अट्टामलिक के रहने वाले हैं.

इस लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें बीजद लड़ाई में है. संबलपुर विधानसभा क्षेत्र में विधायक रही डा.रासेश्वरी पाणिग्रही की सीधी लडाई भाजपा के जयनारायण मिश्रा से है. रेंगाली में भाजपा उम्मीदवार को बीजद टक्कर दे रही है. रेढाकॉल में बीजद के रोहित पुजारी के प्रतिस्पर्धी उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस को पीछे छोड़ चुके हैं. कोई करिश्मा ही नतीजे पलट सकता है. कुचिंडा विधानसभा सीट पर भाजपा के एमएलए रविनारायण को बीजद के किशोर नायक टक्कर देते दिख रहे हैं. कांग्रेस भी हाथपांव मार रही है. अट्ठमलिक क्षेत्र में बीजेडी व बीजेपी के बीच संघर्ष है. देबगढ़ से भाजपा के एमएलए नीतेश गंगदेव को संबलपुर लोस सीट का प्रत्याशी बना दिया गया है. बीजेपी के सुभाष पाणिग्रही बीजद के रोमांचरंजन से लड़ रहे हैं. लोग विधानसभा और लोस के अलग-अलग वोटिंग की बात कर रहे हैं. सात में से पांच विस सीटें बीजेडी ने 2014 में जीती थीं.

तीनों बाहरी प्रत्याशी

लोकसभा सीट पर तीनों प्रत्याशियों के कनेक्शन संबलपुर से जरूर रहे हैं. यहां प्रमुख मुद्दा हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना का है जिस पर कांग्रेस प्रत्याशी दुविधा में फंस गए हैं. वह बेंच बलंगीर में स्थापित करने की मांग करते रहे हैं. बीजद प्रत्याशी नलिनी प्रधान के टेक्नोक्रेट होने के कारण प्रोजेक्टों में गड़बड़ी के आरोपों में बीजेपी घेरने में लगी है. मतदान का दिन आते-आते यहां पर बीजद और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई के आसार हैं. बीजद के नलिनी प्रधान के पक्ष में एक बात जरूर जाती है कि वह किसानों की कम्युनिटी चसा समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. इससे पहले नगेंद्र प्रधान भी इसी समुदाय से आते थे।.अमर प्रधान, कृपासिंधु भुइ भी चसा समुदाय से आते रहे हैं. इसका लाभ उन्हें मिल सकता है.

क्या है राजनीतिक इतिहास

संबलपुर लोकसभा सीट 1998 से बीजू जनता दल का गढ़ बना है. हालांकि आजादी के बाद 1952 और 62 के लोकसभा चुनाव में गणतंत्र परिषद और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का इस सीट पर कब्जा रहा. 1967 में इस सीट पर पहली बार कांग्रेस जीती. 1971 में भी कांग्रेस को जीत मिली, लेकिन 1977 में इंदिरा विरोधी लहर के दौरान कांग्रेस को ये सीट गंवानी पड़ी और जनता पार्टी के गणनाथ प्रधान चुनाव जीते. 1980 और 84 के चुनाव में मतादाताओं का मिजाज फिर बदला और कांग्रेस के कृपासिंधु भोई चुनाव जीते. 1989 के चुनाव में जनता दल की एक बार फिर वापसी हुई और भवानी शंकर होता विजयी हुए.

1991 में कांग्रेस के टिकट परकृपासिंधु ने दमदार वापसी की. उनकी जीत का सिलसिला 1996 में भी जारी रहा. 1997 में जब बीजद वजूद में आई तो इस सीट का समीकरण बदल गया. 1998 के लोकसभा चुनाव में प्रसन्न आचार्य बीजेडी के टिकट पर चुनाव जीते. 1998 के बाद 99 और 2004 में भी बीजद के टिकट पर उनकी जीत हुई. 2009 में इस सीट पर कांग्रेस के अमरनाथ प्रधान चुनाव जीते. 2014 मेंबीजेडी ने इस सीट से नागेंद्र प्रधान को यहां की जनता ने जिताया.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजद और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर हुई थी. हालांकि कांग्रेस ने भी इस सीट पर अच्छी खासी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की. बीजद के नगेन्द्र प्रधान को 3 लाख 58 हजार 618 वोट मिले. जबकि बीजेपी के सुरेश पुजारी 3 लाख 28 हजार 42 वोटलाकर दूसरे स्थान पर रहे. नगेंद्र प्रधान ने इस सीट पर 30 हजार 576 वोटों से जीत हासिल की. कांग्रेस के अमरनाथ प्रधान 2 लाख 42 हजार 131 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे. 2014 में यहां मतदान का प्रतिशत 75.92 रहा था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

संसद में नागेन्द्र कुमार प्रधान के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो वह लोकसभा की 321 बैठकों में 293 दिन सदन में मौजूद रहे.16वीं लोकसभा में उन्होंने लगातार सवाल पूछे. उनके द्वारा कुल 557 सवाल पूछे गए. सदन की 46 डिबेट्स में उन्होंने हिस्सा लिया. उनके द्वारा एक निजी बिल सदन में पेश किया. सांसद निधि फंड की बात करें तो उन्हें 5 साल में कुल 12.99 करोड़ रु. विकास के अलग-अलग कार्यों पर खर्च किए. बीजद ने नगेंद्र प्रधान का टिकट काट दिया था.

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