केरल: निकाय चुनाव BJP के लिए 2026 का लिटमस टेस्ट क्यों है?

केरल में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में अपने संख्या बल से राजनीतिक बदलाव का वादा करने वाली BJP फिलहाल कुछ मुश्किलों से जूझ रही है

चंद्रशेखर तिरुवनंतपुरम में 'विकासिता अनंतपुरी' रैली की अगुआई करते हुए

यह बिला वजह नहीं है कि केरल में 9 और 11 दिसंबर को तय स्थानीय निकाय (एलएसजी) चुनावों को 'सेमीफाइनल' कहा जा रहा है. लड़ाई में हमेशा की तरह मुख्य तौर पर माकपा की अगुआई में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस की अगुआई वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ही हैं, लेकिन बिहार की शानदार जीत के जोश में भाजपा कुछ चौंकाने वाले कारनामे करने की उम्मीद कर रही है.

पार्टी पूरी तैयारी में जुटी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर की अगुआई में राज्य इकाई ने चुनाव के मद्देनजर जुलाई के अंत में ही सभी जिला कार्यालयों में 100-दिवसीय 'मिशन काउंटडाउन 2025' शुरू कर दिया था. पार्टी के लिए उसके बाद तीन महीने सदस्यता और मतदाता पंजीकरण अभियान, पार्टी कार्यशालाएं, नई वार्ड समितियां बनाने में काफी व्यस्तता भरे रहे हैं.

2020 के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा ने 10 ग्राम पंचायतों (कुल 941) और दो प्रमुख नगर पालिकाओं पालक्काड और पंडालम में जीत हासिल की थी. इससे भी बढ़कर यह है कि भाजपा पांच में से दो निगमों—कोल्लम और राजधानी तिरुवनंतपुरम में दूसरे स्थान पर रही थी. इस बार पार्टी खासकर राजधानी में बड़ी ताकत दिखा रही है. तिरुवनंतपुरम नगर निगम के लिए 'वीआइपी उम्मीदवारों' में पूर्व डीजीपी आर. श्रीलेखा और अर्जुन पुरस्कार विजेता पद्मिनी थॉमस हैं.

भाजपा में 2024 के आम चुनाव में 19.2 फीसद वोट और पहली बार एक लोकसभा सीट त्रिशूर जीतने के बाद जोश है. राज्य भाजपा सचिव वी.वी. राजेश तिरुवनंतपुरम में पार्टी के गढ़ कोडुंगन्नूर वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं. वे कहते हैं, ''हमने सबसे अच्छे नेताओं को मैदान में उतारा है, जो राजनैतिक नब्ज पहचानते हैं. एलडीएफ और यूडीएफ दोनों को करारा झटका मिलने वाला है.''

भाजपा सूत्रों का कहना है कि उनकी नजर तिरुवनंतपुरम और त्रिशूर नगर निगमों में जीत और पिछली बार की तरह पालक्काड और पंडालम नगर पालिकाओं को बरकरार रखने पर है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन उससे भी बड़ा लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, ''हम केरल में सियासी तख्तापलट की योजना बना रहे हैं, हम 100 से ज्यादा पंचायतों, 10 नगर पालिकाओं और दो नगर निगमों पर कब्जा करेंगे.''

आगे हैं खतरे
दो महीने पहले शायद ही कोई इन दावों पर सवाल उठाता. लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से भाजपा एक के बाद एक कई घोटालों में उलझती जा रही है. उसमें राजधानी में पार्टी से जुड़ी खुदकुशी की घटनाओं का सिलसिला भी है. पहले 20 सितंबर को वरिष्ठ नेता तथा तिरुमाला वार्ड के पार्षद के. अनिल कुमार के फांसी लगा लेने की खबर आई.

उन्होंने सुसाइड नोट में भाजपा नेताओं पर उनके संचालन में चल रही एक सहकारी समिति का कर्ज न चुकाने का आरोप लगाया गया. उसके बाद युवा तकनीकी पेशेवर पार्टी कार्यकर्ता अनंतु अजी की खबर आई. अजी के 6 अक्तूबर के सुसाइड नोट में और भी गंभीर आरोप थे कि संघ के शिविरों में कई आरएसएस नेताओं ने उनका यौन शोषण किया था.

आत्महत्या या आत्महत्या करने के प्रयास का यह सिलिसिला यहीं नहीं रुका. 15 नवंबर को एक और चौंकाने वाली खुदकुशी की खबर आई. भाजपा के गढ़ त्रिक्कण्णपुरम में लंबे समय से आरएसएस से जुड़े स्थानीय व्यवसायी आनंद के. थम्पी ने कथित तौर पर टिकट न मिलने के कारण फांसी लगा ली. अगले दिन एक और बुरी खबर आई जब भाजपा महिला मोर्चा की नेता शालिनी अनिल ने खुदकशी की कोशिश की.

32 वर्षीया शालिनी ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में प्रचार शुरू किया था, लेकिन बाद में उन्हें अंतिम सूची से हटा दिया गया. शालिनी रोते हुए कहती हैं, ''स्थानीय आरएसएस नेताओं ने मेरे खिलाफ चरित्र हनन अभियान शुरू किया तो मैं अपमानित महसूस कर रही थी और उसे बर्दाश्त नहीं कर सकी.''

शर्मिंदगी के इस दौर से राजधानी में भाजपा इकाई को रक्षात्मक रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है. पालक्काड और पंडालम से आ रही खबरों से भी हालात बुरे हुए हैं. पालक्काड में उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद हंगामा हुआ, जबकि पंडालम में ऊंची जाति की नायर सेवा समिति (एनएसएस) अब भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन नहीं कर रहा है. अभी तो नहीं, लेकिन स्थानीय निकाय के चुनाव के बाद पार्टी की स्थिति अगर खराब होती है, तो राज्य इकाई के प्रभारी राजीव चंद्रशेखर को बस कुछ ही महीनों में होने वाले केरल विधानसभा चुनाव में छिपने की शायद कोई जगह न मिले.

खास बातें

> बिहार चुनाव में जीत के बाद भाजपा में उत्साह बढ़ गया है और सब स्थानीय चुनाव के लिए तैयार हैं.

> पार्टी कार्यकर्ताओं ने पिछले तीन महीने में सदस्यता अभियान जोर-शोर से चलाया.

> पिछले दो हफ्तों से भाजपा खुद को मुसीबत में घिरी पा रही है.

> भाजपा के अनेक नेताओं ने कई तरह के आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली या उसका प्रयास किया.

Read more!