उत्तर प्रदेश: क्या SIR के बहाने 2027 चुनाव का शंखनाद हो चुका है?

यूपी में मतदाता सूची के बहाने राजनीतिक बिसात बिछने लगी है. BJP बूथ पर पकड़ मजबूत कर रही है और सपा ने इसे राजनीतिक साजिश बताकर अपनी टीम मैदान में उतारी है

गोरखनाथ मंदिर में SIR फॉर्म भरकर अधिकारियों को सौंपते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश में इस समय चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया, यानी एसआइआर, कागज पर भले ही मतदाता सूची को सही करने की एक प्रशासनिक कवायद है, लेकिन जमीन पर यह अगले विधानसभा चुनाव की शुरुआती दस्तक बन गई है. सत्ता हो या विपक्ष, हर दल के लिए मतदाता सूची सिर्फ नामों की गिनती नहीं, बल्कि अपने आधार को मजबूत करने का पहला हथियार है. यही वजह है कि जैसे ही एसआइआर शुरू हुआ, पूरे प्रदेश में राजनैतिक हलचल बढ़ गई और दलों के संगठन अचानक चुनाव वाले ढर्रे में उतर आए.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद गोरखनाथ मंदिर परिसर जाकर 18 नवंबर को अपना सत्यापन फॉर्म भर कर यह संकेत दे दिया कि सरकार इस प्रक्रिया को बेहद गंभीरता से ले रही है. मुख्यमंत्री गोरखनाथ इलाके के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय स्थित बूथ पर मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं. सत्यापन के बाद उन्होंने लोगों से अपील की, ''हर नागरिक को अपने नाम और विवरण की जांच जरूर करनी चाहिए.''

इसके बाद मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे अपने प्रभार वाले जिलों में लगातार भ्रमण करें और एसआइआर को शीर्ष प्राथमिकता दें. बैठक में मौजूद एक मंत्री ने बताया, ''मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम सूची से नहीं छूटना चाहिए. वहीं, गलत या अपात्र व्यक्ति का नाम नहीं रहना चाहिए. हमें खुद जनता से संवाद कर यह काम देखना होगा.'' सत्ता पक्ष ने इस पूरी प्रक्रिया को सिर्फ प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं रहने दिया.

भाजपा ने इसे अपने बूथ स्तर के ढांचे को मजबूत करने के बड़े अभियान से जोड़ दिया है. पूरे प्रदेश के लगभग 1.62 लाख मतदान केंद्रों के लिए बूथ प्रतिनिधि (बीएलए) नियुक्त कर दिए गए हैं. इनमें दो तरह के प्रतिनिधि, बीएलए-1 और बीएलए-2, तैनात किए जा रहे हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ''हमें स्पष्ट निर्देश है कि हर बूथ पर पूरी सक्रियता रखनी है. संवेदनशील इलाकों पर खास नजर रखने को कहा गया है.

पिछले चुनावों में जहां पहचान को लेकर विवाद हुए थे, उन जगहों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया है.'' भाजपा कार्यकर्ताओं को साल 2003 की मतदाता सूची भी उपलब्ध कराई गई है, ताकि नए और पुराने नामों का मिलान किया जा सके. एक पदाधिकारी ने कहा, ''पुरानी सूची हमारे लिए संदर्भ बिंदु है. इससे हमें पता चलता है कि कहां गड़बड़ी हुई और कहां सुधार की जरूरत है.'' भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा, ''हर व्यक्ति और हर दल का कर्तव्य है कि असली और सटीक मतदाता सूची बने. हम इस काम में पूरा योगदान देंगे. अगर सूची सही होगी तो लोकतंत्र भी मजबूत होगा.''

सपा प्रमुख अखिलेश यादव 12 नवंबर को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान

भाजपा प्रदेश में विधानसभा स्तर से लेकर जिला स्तर तक अपने कार्यालयों में 'वॉर रूम' बना चुकी है. बूथ प्रतिनिधि यानी बीएलए रोजाना अपने बूथों की रिपोर्ट भेजेंगे. एक जिला पदाधिकारी ने बताया, ''किसी बीएलए को कोई परेशानी हो तो उसी दिन जिले और प्रदेश स्तर पर उसकी जानकारी पहुंच जाएगी. पूरी व्यवस्था ऐसे बनाई गई है कि बूथ का सबसे छोटा कार्यकर्ता भी अकेला महसूस न करे.''

पार्टी के एक प्रदेश महामंत्री बताते हैं, ''हमारा मकसद यह है कि किसी भी पात्र मतदाता को नाम न होने की वजह से मतदान से न चूकना पड़े. साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि कहीं नाम दोबारा न जुड़ गया हो या गलत ढंग से शामिल न किया गया हो.'' भाजपा के लिए यह अभ्यास 2027 के चुनाव की तैयारी का पहला चरण है. जिन क्षेत्रों में संगठन कमजोर था, वहां अब मजबूत मौजूदगी दर्ज करने का मौका मिल रहा है. दलित, पिछड़ा और गैर-यादव पिछड़ा वर्ग भाजपा की प्राथमिकता में है. 

बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफेसर सुशील पांडेय कहते हैं, ''मतदाता सूची पर जोर देकर भाजपा अपने समर्थक समुदायों में विश्वास बढ़ाना चाहती है, विशेषकर उन वर्गों में जो जनसांख्यिकीय बदलाव, सुरक्षा और अवैध घुसपैठ जैसे मुद्दों को गंभीरता से देखते हैं.''

विपक्ष ने भी एसआइआर को बराबर गंभीरता से लिया है. समाजवादी पार्टी पिछले कुछ समय से यह आरोप लगा रही है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी की आशंका है. एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, ''हम हर बूथ की निगरानी कर रहे हैं ताकि किसी अपात्र व्यक्ति का नाम सूची में न रहे और किसी पात्र मतदाता का नाम हटे भी नहीं.'' सपा ने भी अपने बूथ प्रतिनिधियों की नियुक्ति शुरू कर दी है. जिला अध्यक्षों को एक विशेष पोर्टल की आइडी दी गई है, जहां रोजाना प्रगति दर्ज करनी होती है. कई जिलों में 'मतदान प्रभारी' भी नियुक्त किए गए हैं. सपा के एक प्रदेश सचिव बताते हैं, ''हमारे जिला प्रभारी बीएलए के काम की निगरानी कर रहे हैं.

गांवों में कई लोग ऐसे काम लेने से कतराते हैं, इसलिए हम ऐसे कार्यकर्ताओं को चुन रहे हैं जो अपने बूथ के लोगों को अच्छी तरह जानते हों.'' सपा के वरिष्ठ नेता सुधीर पवार ने बताया, ''हमारी प्राथमिकता यही है कि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग का कोई भी मतदाता सूची से न हटे. हमारे कार्यकर्ता घर-घर जा रहे हैं और फॉर्म भरने में लोगों की मदद कर रहे हैं.'' अखिलेश यादव खुद जिलाध्यक्षों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं ताकि एसआइआर की प्रक्रिया पर सख्त निगरानी बनी रहे.

बहुजन समाज पार्टी, जो पिछले कुछ चुनावों से जमीन पर कम सक्रिय दिख रही थी, एसआइआर के जरिए फिर से संगठन को जागृत करने में जुट गई है. मायावती ने अपने पदाधिकारियों के साथ मिलकर तीन पन्नों की आसान भाषा वाली बुकलेट तैयार की है. एक बसपा नेता ने कहा, ''हमारे कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश है कि दलित, पिछड़े और मुसलमान समुदाय के लोग इस प्रक्रिया को ठीक से समझें और फॉर्म भरने के मामले में परेशान न हों.'' कांग्रेस, जिसके नेता राहुल गांधी एसआइआर के सबसे मुखर आलोचकों में से एक रहे हैं, ने अपने बूथ प्रतिनिधियों के व्हॉट्सऐप ग्रुप बनाए हैं, जिनकी निगरानी जिले के पदाधिकारी कर रहे हैं. 

लखनऊ में प्रदेश मुख्यालय में बड़ा कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां से पूरी निगरानी की जा रही है. कांग्रेस ने वोटर लिस्ट की पारदर्शिता के साथ-साथ अपने कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमों को भी इस मुद्दे से जोड़ दिया है. पार्टी ने 360 तहसीलों में अधिवक्ताओं को 'न्याय योद्धा' बनाने का निर्णय लिया है. ये न सिर्फ वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने का काम करेंगे, बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मुकदमों की पैरवी भी करेंगे. इस तरह एसआइआर ने हर दल को यह मौका दिया है कि वे अपने बूथ स्तर के ढांचे को दुरुस्त करें, कमजोरियां पहचानें और वहां नई ऊर्जा भरें. यही वजह है कि भले ही चुनाव 2027 में हों, लेकिन राजनैतिक दौड़ अभी से शुरू हो चुकी है.

खास बातें

> यूपी में एसआइआर 4 नवंबर से 1,62,486 बूथों पर चल रहा है. मतदाता सूचियों के प्रारूप का प्रकाशन 7 दिसंबर को होगा.

> चुनाव आयोग ने हर बूथ पर एक बीएलओ तैनात किया है. 7 फरवरी को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा.

> मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे अपने प्रभार वाले जिलों में एसआइआर को शीर्ष प्राथमिकता दें.

> सपा ने कई जिलों में नियुक्त किए मतदान प्रभारी, बसपा ने कार्यकर्ताओं को बांटी तीन पन्नों की बुकलेट.

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