राजस्थान: फेक डिग्री से आरक्षण के फरेब तक, कैसे भर्ती परीक्षाओं में हो रहा फर्जीवाड़ा?

फर्जीवाड़े के जाल ने राजस्थान की भर्ती व्यवस्था को हाइजैक करके असल परीक्षार्थियों की उम्मीदों का गला घोंट दिया, जिससे भर्ती परीक्षा की साख पूरी तरह से दांव पर है

Special News: Rajasthan Recruitment Exams
परीक्षार्थी अक्सर डॉक्टरों की मदद से नेत्रहीनता या बहरेपन के फर्जी प्रमाणपत्र बनाते हैं

अनगिनत युवा आकांक्षियों के लिए सरकारी नौकरी पाना सबसे बड़ा लक्ष्य होता है. यह स्थिरता, सम्मान और सुरक्षित भविष्य की गारंटी जो है. मगर राजस्थान में यह सपना धोखाधड़ी के बाजार में तितर-बितर हो गया है.

प्रश्न पत्रों का लीक होना, ब्लूटूथ की मदद से नकल, नकली परीक्षार्थी, जाली प्रमाणपत्र और कोटा घोटालों ने भर्ती की हर प्रक्रिया को तार-तार कर दिया है. प्रत्याशी, बिचौलिए और अंदरूनी लोगों ने मिलकर व्यवस्था को पलीता लगाया. इसकी भारी कीमत ईमानदार अभ्यर्थियों के साथ-साथ लोक सेवा की साख को भी चुकानी पड़ती है.

अगस्त में राजस्थान हाइकोर्ट ने पेपर लीक होने और एवजी उम्मीदवारों के सबूत मिलने के बाद 2021 की पुलिस सब-इंस्पेक्टरों की भर्ती को रद्द कर दिया. उसमें तकरीबन 7,97,000 उम्मीदवार 859 पदों की होड़ में थे, जो इसे राज्य के सबसे प्रतीकात्मक घोटालों में से एक बना देता है.

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के एक जांच अधिकारी ने कहा, ''हजारों मामलों में उम्मीदवारों ने बेईमान तरीके अपनाए. अगर कोई विभाग जांच के दायरे में नहीं है तो सिर्फ इसलिए कि वहां मामले अभी सामने नहीं आए हैं. (पूरे) कुएं में भांग (पड़ी) है.’’

पेपर लीक की अर्थव्यवस्था

राजस्थान के सबसे बड़े भर्ती घोटाले अक्सर एक भी सवाल का जवाब दिए जाने से पहले शुरू हुए. शिक्षक, कॉन्स्टेबल और राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र घंटों या दिनों पहले लीक हो गए. अक्सर उन्हें प्रिंटिंग प्रेस के अंदरूनी लोगों या भ्रष्ट अफसरों ने लीक किया. प्रतियां लाखों में बिकीं और उन्हें खरीदने वाले उम्मीदवारों को होटल के कमरों या यहां तक कि परीक्षा केंद्र जा रही बसों में सिखाया गया.

साल 2021 की एसआइ की परीक्षा को रद्द करते हुए हाइकोर्ट ने उन सबूतों का हवाला दिया जिनसे राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के मौजूदा और पूर्व सदस्यों के शामिल होने का संकेत मिलता है. 50 से ज्यादा प्रशिक्षु एसआइ गिरफ्तार किए गए तथा कई और उन लाखों रुपए से हाथ धो बैठे जो उन्होंने पर्चों के लिए दिए थे.

उनमें जयपुर ग्रामीण पुलिस में तैनात कॉन्स्टेबल राधिका सिंह भी थीं, जिन्हें 14 लाख रुपए में पर्चा खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. यह पर्चा उन्होंने परीक्षा हॉल के बाहर साथी उम्मीदवार प्रवीण कुमार खराड़ी को पढ़कर सुनाया. उन्होंने लिखित परीक्षा पास कर ली, मगर इंटरव्यू में फेल हो गईं. खराड़ी का चयन हो गया, मगर अब उन पर मुकदमा चल रहा है. 

जांचकर्ताओं ने यह भी पाया कि कम से 15 चयनित उम्मीदवारों ने इससे कहीं ज्यादा मुश्किल आरएएस की परीक्षा पहले ही पास कर ली थी. इससे पता चलता है कि एसआइ की परीक्षा के रद्द होने की सजा किस तरह योग्य उम्मीदवारों को भुगतनी पड़ी.

आरक्षण का फरेब

जब ब्यावर से भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत पर अपनी बहू सुनीता देवी को पति के साथ रहने के बावजूद तलाकशुदा महिला कोटे के तहत शिक्षक की नौकरी दिलवाने का आरोप लगा, तो ऐसे और मामले सामने आए. पता चला कि कॉन्स्टेबल कविता ने यह पद पाने के लिए तलाक के झूठे कागजों का इस्तेमाल किया. अब 50 से ज्यादा महिला कर्मचारी जांच के दायरे में हैं, जिनमें से कई या तो अब भी उसी पति के साथ रह रही हैं या उससे दोबारा शादी कर चुकी हैं जिनसे तलाक का दावा उन्होंने किया था. 

चार बार के विधायक के खिलाफ आरोप यहीं खत्म नहीं होते. उनकी बेटी कंचन चौहान 2024 में विकलांगता कोटे के तहत नायब तहसीलदार बनीं. बाद में पता चला कि कंचन ने 40 फीसद बहरेपन का झूठा दावा किया, जबकि उन्हें सुनने में सिर्फ 8 फीसद मुश्किल होती थी. रावत का कहना है कि सियासी विरोधियों उनके परिवार पर झूठी शिकायतें दर्ज कराई हैं.

सरकार ने विकलांगता कोटे के तहत भर्ती सभी कर्मचारियों की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं. अब तक सत्यापित 44 में से 38 के प्रमाणपत्र गलत पाए गए. कुछ कागजों पर डॉक्टरों के फर्जी दस्तखत थे, तो दूसरे मामलों में खुद डॉक्टरों की मिलीभगत थी. सिरोही में पता चला कि एक पूर्व मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी ने 2019 और 2025 के बीच कई विशेषज्ञताओं के साथ एक ही डॉक्टर के नाम का इस्तेमाल करके 5,177 विकलांगता प्रमाणपत्र जारी कर दिए, और उन डॉक्टरों तक का हवाला देकर जारी कर दिए जो वहां कभी पदस्थ ही नहीं थे.

फर्जी डिग्रियां

असल में शिक्षा विभाग 2022 की परीक्षा के बाद भर्ती किए गए 4,500 शारीरिक प्रशिक्षण अध्यापकों (पीटीआइ) की जांच कर रहा है. शिकायतें मिली थीं कि कइयों ने फर्जी या पिछली तारीख से जारी डिग्रियां जमा कीं. अभी तक 300 से ज्यादा एफआइआर दर्ज और 134 कर्मचारी बर्खास्त हो चुके हैं. एसओजी ने चयन की योग्यता पाने की खातिर पिछली तारीख की फर्जी डिग्रियों का प्रयोग करने के लिए राजसमंद जिले में पदस्थ पीटीआइ सुमन कुमार और उनके पति तथा एक और भर्ती शख्स बांसवाड़ा जिले के सौरभ कलाल को गिरफ्तार किया.

धोखाधड़ी की जड़ें और गहरी जाती हैं. कभी 12वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई न करने वाले आदित्य कुमार तिजारा को 2022 की आरपीएससी भर्ती में सहायक इंजीनियर बनने के लिए बी.टेक. की फर्जी डिग्री का इस्तेमाल करने के लिए गिरफ्तार किया गया. इस परीक्षा में उसने सातवीं रैंक तक हासिल कर ली थी. उसकी 'डिग्री’ का इंतजाम एक बिचौलिए ने अहमदाबाद से किया था. यह ज्यादा बड़े रैकेट का हिस्सा थी, जिसमें राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के विश्वविद्यालय शामिल थे.

एक और मामले में हरियाणा के सौरभ सिंह को जाली मार्कशीट और प्रमाणपत्र मुहैया कराने के लिए गिरफ्तार किया गया. उसका रेवाड़ी स्थित ई-मित्र केंद्र फर्जी क्यूआर कोड और विश्वविद्यालय की मोहर के साथ पक्के जाली दस्तावेज तैयार करता और स्थानीय एजेंटों के जरिए बेचता था. रैकेट राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश तक फैला था.

जांच से जालसाजी की नई परतें उजागर हुईं. आतंकवाद-विरोधी दस्ते (एटीएस) ने सितंबर में जयपुर में जाली पूर्व-सैनिक रैकेट का भंडाफोड़ किया, जिसमें सेवामुक्ति के फर्जी कागजात और पेंशन के फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) में सुरक्षा गार्ड की नौकरियां हासिल करने लिए 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जांचकर्ताओं ने एफसीआइ के 31 डिपो पर सभी गार्डों की जांच की. निजी सुरक्षा एजेंसियों ने प्रति उम्मीदवार 30,000 रुपए से 50,000 रुपए तक वसूल करके फर्जी आइडी कार्ड, कैंटीन के पास और सेवामुक्ति के प्रमाणपत्र बनाए थे.

उसी महीने एसओजी ने 'खेल कोटे’ के फर्जी प्रमाणपत्रों के रैकेट का पर्दाफाश करते हुए करौली जिले की हेमलता गुर्जर को गिरफ्तार किया, जिसने ग्रेड तीन शिक्षक पद पाने के लिए ताइक्वांडो के फर्जी प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया था. राजस्थान ताइक्वांडो एसोसिएशन के महासचिव दिनेश जगरवाल समेत आधा दर्जन लोगों पर राष्ट्रीय चैंपियनशिप नामावली में झूठी प्रविष्ठियां करवाने का आरोप है.

पदोन्नतियों में भी धोखाधड़ी का बोलबाल रहा. राजस्थान एपेक्स बैंक के 41 अफसर दो वेतनवृद्धि हासिल करने की खातिर पीजी की फर्जी डिग्रियों का इस्तेमाल करने के लिए जांच के दायरे में हैं.

डिजिटल धोखाधड़ी
भर्तियां ऑनलाइन होती गईं तो धोखाधड़ी भी उनके पीछे-पीछे चलती गई. जयपुर में राष्ट्रीय बीज निगम की परीक्षा के दौरान एसओजी ने पाया कि उम्मीदवार तो निठल्ले बैठे थे और 'सॉल्वर’ यानी प्रश्न पत्र हल करने वाले कंप्यूटर लैब में स्थापित स्क्रीन-शेयरिंग सॉफ्टवेयर के जरिए दूर बैठकर सवालों के जवाब दे रहे थे. ऐसी प्रयोगशालाएं चलाने के लिए दो इंजीनियरों जोगेंद्र कुमार सिंह और परमजीत कादियान को गिरफ्तार किया गया. जांचकर्ता पड़ताल कर रहे हैं कि इस नेटवर्क ने कितनी परीक्षाओं में घुसपैठ की थी.

ब्लूटूथ की मदद से नकल कराना सबसे उन्नत तरीकों में से एक बन गया है. उम्मीदवार कान के भीतर या मास्क में छिपे बहुत छोटे ईयरपीस लगाकर परीक्षा हॉल में आते हैं और रिसीवर बनियान या दुपट्टे में सिले होते हैं. हॉल के बाहर बैठे हैंडलर वाइ-फाइ हॉटस्पॉट या स्मार्टफोन के जरिए उत्तर बोलकर लिखवाते हैं.

सितंबर में 2022 की परीक्षा के दौरान कथित तौर पर ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल करने के लिए हाइकोर्ट के चार जूनियर क्लर्क—राम प्रकाश, सुनील बिश्नोई, राकेश जाखड़ और ओम प्रकाश जाट—गिरफ्तार किए गए. उनमें से हर ने कथित मास्टरमाइंड पौरव कलार को 5 लाख रुपए दिए. इसी तरह सितंबर में बीकानेर से मंजू कुमारी बिश्नोई को गिरक्रतार किया गया, जिन्होंने 2018 की परीक्षा में ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल करके महिला सशक्तीकरण सुपरवाइजर का पद हासिल किया था.

जाली उम्मीदवार
दूसरे की जगह परीक्षा देना बार-बार अपनाया जाने वाला तरीका है. धन के बदले परीक्षा देने वाले 'सॉल्वर’ जाली पहचानपत्रों या छेड़छाड़ की गई बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल करके दूसरों के लिए परीक्षा में बैठे. हाल के महीनों में एआइ-आधारित बायोमेट्रिक प्रणालियों ने बार-बार ऐसे अपराध करने वालों का पता लगाने में एसओजी और एटीएस की मदद की है. कॉन्स्टेबलों की भर्ती और डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन की दो अलग-अलग परीक्षाओं में वही 13 लोग छद्म उम्मीदवार के तौर पर परीक्षा देते पाए गए.

दौसा जिले के मूल निवासी और बीते साल जयपुर में डमी उक्वमीदवार का इस्तेमाल करने के लिए गिरक्रतार पहले प्रशिक्षु एसआइ डालू राम मीणा को इस साल अगस्त में उनकी पत्नी मौसम के साथ फिर गिरफ्तार किया गया. मौसम ने 2022 की वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा में कथित तौर पर दूसरे उम्मीदवार की जगह परीक्षा दी. मीणा पर आठ परीक्षाओं में रिश्तेदारों सहित दूसरों की ओर से परीक्षा में बैठने का आरोप है.

इंस्पेक्टर की पदोन्नति की परीक्षा के बाद सितंबर में एसआइ भंवर लाल बिश्नोई को जयपुर में गिरफ्तार किया गया. उनकी लिखावट 2014 में चुने गए एक कांस्टेबल की लिखावट से मिलती-जुलती पाई गई. एक और मामले में अजमेर जिले के पटवारी सागर मीणा ने 2021 में अपने एवजी के तौर पर रोशन लाल मीणा नाम के शख्स का इस्तेमाल किया. दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.

जोधपुर में तीन महिलाओं की ओर से 2021 की एसआइ परीक्षा देने के लिए शिक्षिका वर्षा को बर्खास्त कर दिया गया. एक और शिक्षिका सांचौर की चम्मी बाई को बाद में एसआइ बनी मंजू बिश्नोई की जगह परीक्षा देने के लिए गिरफ्तार किया गया.

सरकार की कार्रवाई उत्साह बढ़ाने वाली है, मगर असल बदलाव के बिना बेमतलब है. साख बहाल करने के लिए एकदम चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था, पारदर्शी मूल्यांकन और कड़े उपायों की जरूरत होगी. 

Read more!