पश्चिम बंगाल: 6 मौतों के बाद SIR पर क्यों बरपा हंगामा?

ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने एक विशाल रैली में खुदकुशी समेत छह मौतों के लिए 'राजनीति प्रेरित' SIR को जिम्मेदार बताया है, जबकि BJP इसे ड्रामेबाजी बता रही है

ममता बनर्जी और अभिषेक 4 नवंबर को पैदल मार्च की अगुवाई करते हुए

राजनीति बंगाल के मन में बसती है. कोलकाता में रेड रोड पर आंबेडकर की मूर्ति से लेकर कविगुरु टैगोर की जन्मस्थली जोड़ासांकू तक 4 नवंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चार किलोमीटर लंबे मार्च में हजारों की भीड़ थी.

उन्होंने इस दौरान संविधान और प्रांतीय गरिमा की दो मोटी लकीरें खींचने की कोशिश की. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के विरोध को बड़ी लड़ाई में बदलना फायदेमंद लगता है.

ममता ने मंच के आगे हजारों की भीड़ के मूड को बखूबी बयान किया, ''जिन लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम की लौ जगाई थी, अब उनसे अपनी पहचान साबित करने को कहा जा रहा है.''

इस विरोध मार्च में एसआइआर को लेकर हफ्तों से बढ़ते तनाव का चरम इजहार था. टीएमसी का आरोप है कि 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले असली मतदाताओं, खासकर अल्पसंख्यकों, प्रवासियों और गांव के गरीबों के नाम काटने के लिए चुनाव आयोग यह कवायद कर रहा है. टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने एसआइआर को 'साइलेंट इनविजिबल रिगिंग' यानी गुपचुप अदृश्य छेड़छाड़ कहा और दावा किया कि उससे पूरे बंगाल में दहशत फैल गई है.

अब यह डर जानलेवा भी हो गया है. छह मौतें हो गईं. उनके बारे में टीएमसी का दावा है कि ये मौतें मतदाता सूची से नाम कट जाने के डर से जुड़ी हैं. मसलन, आगरपाड़ा के 57 वर्षीय प्रदीप कर ने एक नोट में 'एनआरसी' और 'मतदाता सत्यापन' के डर का जिक्र किया; डानकुनी की 60 वर्षीय हसीना बेगम को कथित तौर पर पुरानी सूची से नाम गायब होने के बाद दिल का दौरा पड़ा; और बर्दवान के प्रवासी मजदूर बिमल संतरा की मौत तमिलनाडु में कथित तौर पर एसआइआर के डर से हो गई.

भारी भीड़ देखकर अभिषेक ने कहा, ''एसआइआर की घोषणा के बाद सात दिनों में ही हमने अपने कई लोगों को खो दिया. उनके परिवार आज इस मंच पर मौजूद हैं.'' उन्होंने भीड़ को उन 13 युवाओं की याद दिलाई, जो 1993 में ममता की मताधिकार के लिए युवा कांग्रेस की रैली के दौरान मारे गए थे. वे बोले, ''चाहे हमें फिर अपनी जान की बलि चढ़ानी पड़े, हम सिर्फ पश्चिम बंगाल के दस करोड़ लोगों के आगे सिर झुकाएंगे, दिल्ली के आगे नहीं.''

अभिषेक ने पार्टी कार्यकर्ताओं को एसआइआर के दौरान हर मोहल्ले, वार्ड और पंचायत में डटे रहने को कहा है. जांच के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) के साथ रहने को कहा है. उसने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं जिनमें आरोप लगाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बीएलओ को धमका रहे हैं, जिससे चुनाव आयोग को चेतावनी जारी करनी पड़ी है.

आत्महत्या करने वाले प्रदीप कर

जवाब में मजाक
भाजपा ने इसे नौटंकी बताया है. राज्य प्रमुख समिक भट्टाचार्य का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस ''अपनी असुरक्षाओं को छिपाने के लिए डर पैदा कर रही है.'' पार्टी ने चुनाव आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है कि जन्म और जाति प्रमाण पत्र धड़ल्ले से जारी किए जा रहे हैं, और किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए इन दस्तावेजों को जारी करने वालों पर सख्त आदेश देने की मांग की है. इसके अलावा, अविश्वास पैदा करने के लिए खिल्ली उड़ाना भी उनकी रणनीति का अहम हिस्सा है.

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कथित आत्महत्याओं को 'झूठा' बताकर खारिज कर दिया. मजाक उड़ाने के अंदाज में उन्होंने कहा, ''प्रदीप कर के दाहिने हाथ में चार उंगलियां भी नहीं थीं. वह सुसाइड नोट कैसे लिख सकता है?'' भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक मृत बाघ का मीम प्रसारित किया, जिसके बगल में एक नोट था जिसमें उसकी मौत के लिए 'एनआरसी' को जिम्मेदार ठहराया गया था. यह सब हंसी में उड़ा देने की कोशिश जैसा है. फिर भी, एक सचाई से जूझना तो पड़ ही सकता है कि इन मौतों ने राजनैतिक माहौल को गरम कर दिया है.

खास बातें

> छह लोगों की मौत का मामला उठाने के लिए टीएमसी ने कोलकाता में रैली की.

> अपने जोशीले भाषण में ममता ने इसे बंगाल की आत्मा की लड़ाई करार दिया.

> भाजपा ने चुनाव आयोग में शिकायत की है कि पहचान पत्र धड़ल्ले से बनाए जा रहे.

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