क्या डिप्टी सीएम हर्ष सांघवी गुजरात में BJP के नए उत्तराधिकारी हैं?
गुजरात में उपमुख्यमंत्री बनाए गए हर्ष सांघवी को लेकर दावा किया जा रहा है कि वह प्रदेश BJP में नंबर 2 कद के नेता बनकर उभरे हैं

महात्मा मंदिर के अधिवेशन हॉल में हर्ष सांघवी के गुजरात के उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही लोग हैरान रह गए. हीरे का कारोबार करने वाले संपन्न जैन परिवार से जुड़े और बेहद कर्मठ राज्यमंत्री तथा कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे सांघवी की कैबिनेट स्तर पर पदोन्नति लगभग तय थी.
उससे एक दिन पहले ही 16 मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था और यह दूसरी बार था जब गुजरात में मंत्रिमंडल का सामूहिक इस्तीफा हुआ. 2021 में विजय रूपाणी मंत्रिमंडल भंग हुआ तो उसमें मुख्यमंत्री भी शामिल थे.
इस बार भूपेंद्र पटेल बच गए. मगर 17 अक्तूबर को नए मंत्रिमंडल के गठन के दौरान उनकी बगल में 40 वर्षीय नए मंत्री को देखकर सभी हैरान रह गए.
कनिष्ठ मंत्री से राज्य का नंबर दो मंत्री बनने पर नई स्थिति में ढलने में उन्होंने ज्यादा वक्त नहीं लिया. शपथ ग्रहण के बाद जब 25 अन्य मंत्री मुख्यमंत्री के पास आए तो पटेल ने खड़े होकर सबका अभिवादन किया. सांघवी बैठे रहे और दशकों वरिष्ठ सहयोगियों से बस औपचारिक ढंग से हाथ मिलाया. इस तरह एक नया सत्ता समीकरण कायम हुआ. अभी सबसे ज्यादा तवज्जो पाने वाले इस नेता पर अगले कुछ वर्षों तक नजरें टिकी रहेंगी.
पूर्व राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से यह फेरबदल कम से कम छह माह से अटका था. यह कदम कुछ पार्टी पदाधिकारियों के बेहतर प्रदर्शन न कर पाने से उभरे असंतोष के मद्देनजर उठाया गया. कम से कम तीन मंत्री वित्तीय घोटालों में पुलिस जांच का सामना कर रहे हैं. पार्टी व्यापक क्षेत्रीय और जातिगत प्रतिनिधित्व के साथ पाला बदलकर आने वालों को भी पुरस्कृत करना चाहती थी.
युवा चेहरा
पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने माना, ''भाजपा के 27 वर्ष के शासन के बाद सत्ता-विरोधी भावना तीव्र होती जा रही है. युवा खराब आर्थिक स्थितियों से असंतुष्ट हैं. उन्होंने कभी कांग्रेस शासन नहीं देखा और भाजपा के लाए बदलावों के बारे में नहीं जानते. इसलिए सभी समस्याओं के लिए हमें दोषी ठहराते हैं. पटेल किसी विवाद में घिरे नहीं हैं, मगर उन्हें कुछ खास सक्रिय नहीं माना जाता.'' उद्योग जगत में किसी तरह की आशंकाएं न उपजें इसलिए निरंतरता का संकेत देना जरूरी था.
यहीं पर सांघवी की भूमिका अहम हो जाती है—सौम्य, आकर्षक, महत्वाकांक्षी, और सबसे बड़ी बात यह कि उन्हें आप नेता गोपाल इटालिया की काट माना जाता है. इटालिया के भाषण बेचैन युवाओं को उत्साहित कर रहे हैं. उन्हें प्रमुख जैन व्यापारियों का समर्थन हासिल है और वे खासे कुशल और लोकप्रिय हैं. साथ ही, वे नरेंद्र मोदी, अमित शाह और सी.आर. पाटील के करीबियों में शुमार हैं और पार्टी अभियानों में लंबे वक्त से जुड़े रहे हैं.
अमूमन गृह मंत्रालय जैसे विभाग मुख्यमंत्री के पास रहते हैं, पर इसे सांघवी को दे दिया गया. उन्हें खेल मंत्रालय भी मिला है, जो 2030 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए गुजरात की तैयारी और ओलंपिक 2036 के मद्देनजर बेहद अहम जिम्मेदारी है.
खास बातें
> महज नौवीं कक्षा तक पढ़े होने के बावजूद 40 वर्षीय सांघवी बेहद कुशल हैं. वे हीरा कारोबारी जैन परिवार से ताल्लुक रखते हैं और मोदी-शाह के करीबी माने जाते हैं.
> युवाओं के बीच असंतोष को कम करने के मकसद से उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.