राजस्थान में 5 साल पुराना 'पायलट प्रकरण' एक बार फिर चर्चा में क्यों है?
कोर्ट के एक आदेश के बाद हाल के दिनों में राजस्थान की सियासत के सबसे विवादास्पद घटनाक्रमों में से एक पायलट प्रकरण एक बार फिर से चर्चा में है

यह एक छोटा सी बात होनी चाहिए थी, एक तरह से औपचारिक समाप्ति. लेकिन कोर्ट के एक आदेश ने हाल के दिनों में राजस्थान की सियासत के सबसे विवादास्पद घटनाक्रमों में से एक को फिर चर्चा में ला दिया है. यह घटनाक्रम था: 2020 में सचिन पायलट की बगावत, जिसने तब की अशोक गहलोत सरकार को लगभग तोड़ दिया था.
'पायलट कांड' को लेकर फिर तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है. फिर आरोप-प्रत्यारोप के दौर चलने लगे हैं; न केवल कांग्रेस के विभिन्न गुटों के बीच बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के बड़े नेताओं के बीच भी खंडन-मंडन के दौर जारी हैं, लीक ऑडियो क्लिपों और फोन टैपिंग के आरोपों ने शोर को और कर्कश बना दिया है.
महीनों पहले राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जिसमें कहा गया था कि रिश्वतखोरी, विधायकों की खरीद-फरोक्त या गहलोत सरकार को गिराने की साजिश का कोई सबूत नहीं मिला है. ब्यूरो ने कहा कि दावे की पुष्टि के लिए जिन फोन कॉल को इंटरसेप्ट किया गया था, उनमें केवल 'सामान्य राजनैतिक बातचीत' थी. फाइल एसीबी कोर्ट में पड़ी हुई थी. लेकिन राजस्थान हाइकोर्ट ने 16 सितंबर को क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और दो आरोपियों की एफआइआर रद्द करने की मांग वाली याचिका को निरर्थक कहकर खारिज कर दिया. अब, निचली अदालत यह तय करेगी कि क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की जाए या नहीं.
फिर भी, कई लोगों की नजर में एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट इसका सबूत है कि भाजपा और पायलट की कथित साजिश हकीकत कम और फसाना ज्यादा थी और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री की आंतरिक बगावत को कुचलने के लिए गहलोत ने यह जादू किया था. गहलोत का जवाब? तब दर्ज कई एफआइआर में से सबसे गंभीर एफआइआर एसीबी के पास लंबित है. इसमें गहलोत के तब के ओएसडी (और अब कटु आलोचक) लोकेश शर्मा की ओर से प्रसारित एक ऑडियो क्लिप शामिल है. इसमें आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कांग्रेसियों—तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, विधायक भंवरलाल शर्मा (अब दिवंगत)—के अलावा व्यवसायी संजय जैन से बात कर रहे हैं. अब इस मामले में हाइकोर्ट के आदेश ने विवाद का पिटारा फिर खोल दिया है.
जहां तक गहलोत खेमे की बात है तो चुनिंदा मामलों को बंद करने से लगता है कि यह उन्हें कमजोर करने की भाजपा की रणनीति हो, शायद पायलट को कांग्रेस के भीतर उनके लिए चुनौती बनाए रखने का उद्देश्य हो. यह सच हो या न हो, कांग्रेस के अंदरूनी समीकरणों पर नजर रखने की जरूरत होगी.
खास बातें
> हाइकोर्ट ने एफआइआर रद्द करने की अर्जी को निराधार कहकर खारिज कर दिया क्योंकि क्लोजर रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में लंबित है.
> इससे अदावत बढ़ गई और गहलोत खेमे ने आरोप जड़ा कि भाजपा उन्हें कमजोर करने की साजिश रच रही है.