महाराष्ट्र: अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के RSS बैठक में शामिल होने पर क्यों मचा हंगामा?
महायुति में राकांपा अपने धर्मनिरपेक्ष आदर्शों पर अड़ी रही है, लेकिन यह आदर्श अब उसके राजनैतिक आधार के लिए खतरा पैदा कर रहा है

अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) महायुति के साथ है पर उसके दाग-धब्बों से दूर; उन्होंने भाजपा के बहुसंख्यकवादी एजेंडे से हमेशा दूरी बनाए रखी. लेकिन यह पेचीदा खेल अब उनके सामाजिक और राजनैतिक आधार को ही खतरे में डाल रहा है.
इसे और हवा दी भाजपा की स्टार सांसद कंगना रनौत के हाल के ही एक ट्वीट ने, जिसमें अजित की पत्नी, राज्यसभा सदस्य सुनेत्रा पवार आरएसएस की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति की एक बैठक में दिखाई दे रही हैं.
महाराष्ट्र में इस घटना से हलचल मची. अजित पवार के भतीजे और प्रतिद्वंद्वी राकांपा (शरद पवार) के विधायक रोहित पवार ने फौरन अपने चाचा पर 'दोहरे मापदंड' का आरोप जड़ दिया कि खुद को 'प्रगतिशील' बताने वाले भगवा बिरादरी की संगत करते हैं. उनका कहना है कि अब राकांपा को पूरी तरह झुकना पड़ेगा. सूत्रों का दावा है कि सोलापुर में अवैध रेत खनन मामले में अजित पवार के महिला आइपीएस अफसर से नोकझोंक वाले वायरल वीडियो को भाजपा ही हवा दे रही है, ताकि उन्हें घेरा जा सके.
सुनेत्रा का दावा है कि रनौत की बैठक में उनकी उपस्थिति गैर-राजनैतिक थी. अजित ने भी जोर देकर कहा कि राकांपा शिवाजी, फुले और आंबेडकर से निकले मराठी सिद्धांतों से जुड़ी है और 'कभी समझौता नहीं करेगी.' राकांपा का आधार गैर-ब्राह्मण, खासकर मराठा हैं. आरएसएस का तंत्र ब्राह्मणवादी सोच से जुड़ा माना जाता है. 2023 से भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद अजित और उनके साथी महायुति के दूसरे नेताओं के विपरीत नागपुर, आरएसएस मुख्यालय जाने से बचते रहे हैं.
धर्मनिरपेक्षता के पहरेदार
राकांपा को मुसलमानों के एक वर्ग का भी वोट मिलता है, इसलिए पुणे के यवत में हुए सांप्रदायिक दंगों ने उसके कार्यकर्ताओं में बेचैनी पैदा कर दी है. मंत्री नितेश राणे और गोपीचंद पडलकर जैसे भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों ने उसे भड़काया है. अजित के निर्वाचन क्षेत्र बारामती में 60,000 मुसलमान हैं. राज्य के 10 मुस्लिम विधायकों में से दो राकांपा के हैं. राज्य मंत्रिमंडल में भी इकलौता मुस्लिम चेहरा—मेडिकल शिक्षा मंत्री हसन मुश्रिफ है.
'बेमेल' दोस्ती
जब कुरैशी कसाई समुदाय ने कथित गौरक्षकों के उत्पीड़न का हवाला देकर भैंसों को खरीदने और काटने से इनकार कर हड़ताल की थी, तो अजित ही बीच बचाव के लिए आगे आए थे. लेकिन अब ये रिश्ते तनाव में हैं. राकांपा विधायक संग्राम जगताप के बयानों ने इस तनाव को और बढ़ा दिया. अजित की चेतावनियों के बावजूद ऐसा हुआ, जो राकांपा में पहले कभी नहीं देखा गया. भाजपा के साथ उनकी 'बेमेल' दोस्ती अब असर दिखा रही है. अगर ऐसा है, तो इसकी कीमत, पहचान, विचारधारा और रोजगार तीनों मोर्चों पर चुकानी पड़ सकती है.
एक नेता मानते हैं कि राकांपा का बड़ा वोट-बेस पुराने कांग्रेस समर्थकों की पीढ़ीगत निष्ठा से आता है. उनका कहना है, ''गोरक्षा की राजनीति ने दलितों, मुसलमानों की रोजी-रोटी पर सीधा असर डाला है. बारामती इलाके में इनकी मजबूत उपस्थिति है और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में ये वोट दूसरी तरफ जा सकते हैं...वहीं ग्रामीण इलाकों में बेसहारा हो चुके आवारा मवेशी एक बड़ी समस्या हैं.''
राकांपा के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि महायुति में अभी भी रणनीतिक गुंजाइश है. एक नेता ने कहा, ''हमारे बीच वैचारिक मतभेद से असहजता हो जाती है लेकिन अजितदादा ने मुसलमानों को बता दिया है कि वे उनके साथ हैं.'' हालांकि शक करने वाले भी हैं, जिनमें पुणे के कार्यकर्ता भी शामिल हैं. वे कहते हैं कि भाजपा नगरपालिका वार्डों को अपने पक्ष में कर रही है. उनके लिए यह पूरा खेल या तो सब कुछ या कुछ नहीं का है.
खास बातें
> अजित पवार की सांसद-पत्नी सुनेत्रा पवार आरएसएस के महिला विंग के कार्यक्रम में दिखीं, सियासत में हंगामा मचा.
> राकांपा (शरद पवार) ने अजित पर लगाया 'दोहरे मापदंड' का आरोप. कहा, जल्द राकांपा भगवा के आगे झुक जाएगी.
> राकांपा का आधार अधिकतम मराठा. मुस्लिम और दलित भी शामिल.