पूर्व CM नवीन पटनायक के साथ पांडियन को देख ओडिशा की राजनीति में क्यों मची हलचल?
पिछले साल विधानसभा चुनाव में हार के बाद दोनों नेताओं को हाल में एक साथ पहली बार देखा गया. इसके बाद पांडियन के फिर से BJD में सक्रिय भूमिका निभाने की चर्चा तेज हो गई है

अगस्त की 20 तारीख को जब 79 वर्षीय पूर्व सीएम नवीन पटनायक अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वापस नवीन निवास लौटे तो उनका हाथ पकड़े वैराब कार्तिकेयन पांडियन की तस्वीर ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी.
दो दिन बात 22 अगस्त को एक और तस्वीर सामने आई. इस बार डॉक्टरों को नवीन के बड़े भाई प्रेम पटनायक को उनके स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए दिखाया गया. इस दौरान भी पांडियन मौजूद थे. इन दृश्यों ने उन लोगों की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया, जो मानते थे कि पांडियन की भूमिका नवीन के आंतरिक घेरे में खत्म हो चुकी है. इसके उलट, इन तस्वीरों ने उनकी प्रासंगिकता और मौजूदगी पर चर्चाओं को फिर से हवा दे दी.
ओडिशा काडर के पूर्व आइएएस अधिकारी पांडियन ने 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय में नवीन पटनायक के निजी सचिव के रूप में जॉइन किया था. 2012 में तथाकथित सत्तापलट को रोकने के बाद उन्होंने बीजद सुप्रीमो पटनायक को 2014 और 2019 के चुनावों में सत्ता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति लेकर खुद को नवीन और बीजद के प्रति समर्पित कर दिया.
साल 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी की कमान संभाली. अबकी नवीन ने कांटाबांजी और हिंजली, दो सीटों से चुनाव लड़ा. चर्चा थी कि नवीन अगर दोनों सीटें जीत जाते हैं तो एक सीट पर बाद में पांडियन को चुनाव लड़ा कर बतौर डिप्टी सीएम बागडोर सौंपने की ओर कदम बढ़ाएंगे. हालांकि, कांटाबांजी से उन्हें भाजपा से हार का सामना करना पड़ा.
पांडियन ने चुनावी सभा में वादा किया था कि अगर बीजद हारती है तो वे राजनीति छोड़ देंगे. लगातार 24 साल तक सीएम रहने के बाद नवीन पटनायक को कुर्सी छोड़नी पड़ी. लोगों ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें एक ओडिया की जगह गैर-ओडिया नेता नहीं चाहिए. जून, 2024 में पार्टी की हार के बाद से पांडियन भुवनेश्वर स्थित शंख भवन (बीजद राज्य मुख्यालय) नहीं गए लेकिन नवीन निवास में रह कर पटनायक की ओर से पार्टी के मामलों को देखते रहे. पार्टी के प्रवक्ता और पांडियन के करीबी लेनिन मोहंती कहते हैं, ''ओडिशा को बेहतर बनाने का विजन अगर नवीन पटनायक का रहा है, तो उसे उस हिसाब से वी.के. पांडियन ने ही लागू कराया है.
पुरी के वार्ड नंबर दस के निवासी सुधांशु चंद्र साहू बीजद के कार्यकर्ता नहीं लेकिन समर्थक जरूर हैं. वे कहते हैं, ''नवीन पटनायक को किसी पुराने कार्यकर्ता को तैयार करना चाहिए. जमीन पर पुराने कार्यकर्ता मेहनत करें और लड्डू पांडियन खाएं, यह कैसे चलेगा! मुझे तो लगता है कि वे पार्टी तोड़ रहे हैं.''
पर लेनिन की मानें तो पार्टी में दखल को लेकर नवीन पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पांडियन उनके निजी मामलों को देखते रहेंगे. ऐसे में दोनों के बीच जो संबंध है, उसका सम्मान किया जाना चाहिए. इसी साल मार्च में पांडियन की पत्नी और 2000 बैच की आइएएस अफसर सुजाता राउत कार्तिकेयन का इस्तीफा केंद्र से मंजूर होने के बाद बीजद के भीतर उनकी भूमिका को लेकर चर्चाएं बढ़ीं. आने वाले दिनों में नवीन निवास से और भी ऐसे संदेश दिए जाने की संभावना है.
खास बातें
> पूर्व मंत्री अतनु सब्यसाची और प्रमिला मलिक सरीखे बीजद के बड़े नेता खुलकर वी.के. पांडियन के समर्थन में बोल रहे.
> इसी साल मार्च में पांडियन की पत्नी आइएएस सुजाता का इस्तीफा मंजूर होने के बाद उनकी भूमिका को लेकर चर्चाएं बढ़ीं.
> तर्क दिया जा रहा है कि पांडियन की जगह सुजाता को चेहरा बनाने से गैर-ओडिया फैक्टर को विरोधी मुद्दा नहीं बना पाएंगे.