उत्तर प्रदेश: सैलानियों को क्यों लुभा रहा पुण्यनगरी गोरखपुर?

गोरखपुर में बुनियादी ढांचे के विकास के कारण पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है. यहां वर्ष 2024 में रिकॉर्ड 36 लाख पर्यटक पहुंचे

Special report: Gorakhpur
गोरखपुर में रामगढ़ ताल के किनारे का इलाका

गोरखपुर में पैडलेगंज चौराहे पर गौतमबुद्ध द्वार से भीतर रामगढ़ ताल के किनारे फोरलेन पर चलते ही मुंबई के मरीन ड्राइव जैसा अनुभव होता है. रंगबिरंगी लाइटों से सजी दो किलोमीटर लंबी फोर लेन सड़क ताल फ्रंट पर आकर दाहिने मुड़ती है.

यह 'नया सवेरा’ है जिसे रामगढ़ ताल झील के तट को आकर्षक बनाकर पर्यटन और सामुदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया गया है. नौकायन सुविधा, आधुनिक जेटियां, रैंप और आकर्षक लाइटिंग आदि से सुसज्जित करीब एक किलोमीटर लंबे 'नया सवेरा’ ताल फ्रंट की पहचान यहां पानी के बीच में बना प्लेटफॉर्म (व्यूइंग डेक) है जिसे नया रूप दिया गया है.

जेटी से जोड़कर इस प्लेटफॉर्म से क्रूज की सुविधा शुरू की गई है. यहीं से स्पीड बोट और रोइंग बोट की भी सुविधा है. बगल में पानी में खड़ा तिमंजिला फ्लोटिंग रेस्तरां अनोखा अनुभव प्रदान करता है. इन्हीं खूबियों के चलते गोरखपुर में रामगढ़ ताल के किनारे का इलाका पूर्वी यूपी का एक बड़ा पर्यटन केंद्र बनकर उभरा है.

सीएम योगी 20 जून को गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करते हुए

'नया सवेरा’ परियोजना को अब विस्तार दिया गया है. इसको रामगढ़ ताल के किनारे करीब डेढ़ किलोमीटर और बढ़ाकर देवरिया रोड पर चिड़ियाघर तक ले जाया गया है. 'नया सवेरा’ के पीछे स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स है तो महंत दिग्विजयनाथ पार्क स्ट्रीट फूड और बाजार में तब्दील हो गया है.

यहीं से पैडलेगंज की तरफ बढ़ने पर सांस्कृतिक केंद्र और फाइव स्टार होटल पर्यटकों को मनोरंजन का पूरा पैकेज एक साथ मुहैया करा रहे हैं. इसका असर पर्यटकों की बढ़ती भीड़ के रूप में देखा जा सकता है. कभी बदहाल रहे इस इलाके में रोज 30,000-40,000 लोग घूमने पहुंच रहे हैं. छुट्टियों में यह आंकड़ा लाख पार कर जाता है. 

लंबे वक्त से गोरखपुर की पहचान यहां के गोरखनाथ मंदिर से थी, मगर अब रामगढ़ ताल का इलाका भी बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में उभरा है. गोरक्षपीठाधीश्वर और गोरखनाथ मंदिर के महंत योगी आदित्यनाथ ने 2017 में यूपी की सत्ता संभालने के बाद गोरखपुर में बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं की शुरुआत की थी. करीब 30,000 करोड़ रु. से ज्यादा की लागत की इन योजनाओं में से ज्यादातर अब आकार ले चुकी हैं.

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग में प्रोफेसर महेंद्र सिंह बताते हैं, ''पहले गोरखपुर की पहचान जापानी इन्सेफलाइटिस की बीमारी से थी. हर वर्ष सैकड़ों बच्चे इसकी चपेट में आकर दम तोड़ देते थे. अपराध भी काफी था. 2017 से पहले रामगढ़ ताल और आसपास का इलाका बेहद बदहाल था.

अपराधियों के डर से रात होते ही लोग इधर से नहीं गुजरते थे. बीते आठ साल में अपराधियों पर अंकुश लगने और ताल के इलाकों को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की मुख्यमंत्री योगी की योजना अब असर दिखाने लगी है.’’ 2024 में गोरखपुर में रिकॉर्ड 36 लाख पर्यटक आए.

यहां की आध्यात्मिक धरोहरों के सौंदर्यीकरण ने भी इसमें उत्प्रेरक का काम किया. जिले में धरोहर माने जाने वाले कई स्थल उपेक्षित पड़ी थीं. योगी ने उनके जीर्णोद्धार की बड़ी योजना शुरू की. क्राइस्टचर्च, इमामबाड़ा, जटाशंकर गुरुद्वारा, विष्णु मंदिर और रामगढ़ ताल क्षेत्र स्थित राजकीय बौद्ध संग्रहालय को नए सिरे से संवारा गया.

अवैध कब्जे से कराह रहे मानसरोवर मंदिर को खूबसूरत आकार मिला. गोरखपुर विवि के पूर्व छात्रसंघ महामंत्री और प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता समीर सिंह कहते हैं, ''जिले की सड़कों के चौड़ीकरण पर 1,000 करोड़ से ज्यादा खर्च हुए. चौड़ी सड़कों ने पर्यटन को बढ़ाने में बड़ा रोल निभाया है.’’

बढ़ते पर्यटकों के दबाव और जाम की समस्या से निबटने के लिए गोल घर में मल्टीलेवल पाकग बनी है. ट्रैफिक को सुचारु रखने के साथ लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने में नगर निगम से संचालित इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) बड़ी भूमिका निभा रहा है. इसके तहत शहर के 21 चौराहों पर कुल 98 कैमरे लगे हैं. गोरखपुर की अन्य शहरों से कनेक्टिविटी ने भी फायदा पहुंचाया.

गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन प्रोजेक्ट पिछले साल पूरा हुआ. गोरखपुर को आसपास के जिलों से फोरलेन से जोड़ा गया है. मुख्यमंत्री ने 20 जून को गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का उद्‍घाटन किया. आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाले लिंक एक्सप्रेस से लखनऊ से लेकर दिल्ली और बिहार तक लगने वाला यात्रा समय घटकर आधा हो गया है.

यहां से लखनऊ और अन्य शहरों तक वंंदेभारत जैसी प्रीमियम ट्रेन कनेक्टिविटी भी सैर-सपाटे की गुंजाइश बढ़ा रही है. गोरखपुर एयरपोर्ट ने भी सुविधाएं बढ़ाकर अपना योगदान दिया है. यहां से 2014-15 में सिर्फ 26,000 यात्रियों ने उड़ान भरी थी, वहीं 2022-23 में यह आंकड़ा 7.13 लाख पहुंच गया.

पर कुछ चुनौतियां भी हैं. गोरखपुर के वरिष्ठ एडवोकेट हिफजुर्रहमान अजमल अंसारी बताते हैं, ''गोरखपुर बाढ़ प्रभावित इलाका है. यहां पानी निकासी की दुरुस्त व्यवस्था न होने से जलभराव पर्यटन की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है.’’ कई प्रमुख स्थलों तक जाने के लिए अच्छी सड़कें या पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है.

पर्यटन में निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित है. गोरखपुर के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं, मगर उन्हें एकीकृत करके टुअर पैकेज के रूप में पेश न करने से पर्यटन के तीव्र विकास की संभावनाओं के कमजोर पड़ने की आशंका है.

पर्यटकों के पसंदीदा प्रोजेक्ट 

● गोरखनाथ मंदिर: पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र गोरखनाथ मंदिर परिसर फसाड लाइटों से जगमग है. झील में वाटर स्क्रीन पर लेजर और साउंड शो होता है.

● प्राणि उद्यान: रामगढ़ ताल इलाके में शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान पूर्वी उत्तर प्रदेश का पहला चिड़ियाघर है. यहां यूपी में सरकारी क्षेत्र का पहला 48 सीटर 7-डी थिएटर भी है.

● प्रेक्षागृह: रामगढ़ ताल के सामने 1,076 सीटों वाला पूर्वी यूपी का सबसे बड़ा प्रेक्षागृह है 'योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह एवं सांस्कृतिक केंद्र, गोरखपुर’.

● राजघाट और रामघाट: राप्ती नदी के किनारे राजघाट को राजस्थानी शैली 'गजीबो’ और 'पालकी’ के जरिए नया रूप दिया गया. शिव मंदिर आकर्षण का केंद्र.

● वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स: रामगढ़ ताल के सामने पैरा ग्लाइडिंग, वाटर स्कूटर जैसी सुविधाओं वाला वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स है.

● चौरी चौरा: गोरखपुर के चौरी चौरा में शहीद स्मारक का सौंदर्यीकरण किया गया. यहां ओपन एयर थिएटर के साथ इंटरनेशनल म्यूजियम भी बन रहा.

● कुसुम्ही जंगल: गोरखपुर एयरपोर्ट के निकट कुसुम्ही जंगल को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है. यहां स्थित बुढिय़ा माता मंदिर का सौंदर्यीकरण हुआ है.

● प्राकृतिक चिकित्सा: महंत दिग्विजय नाथ आयुर्वेद कॉलेज और नवनिर्मित आयुष विश्वविद्यालय में पंचकर्म की सुविधा तेजी से लोकप्रिय हो रही है.

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