उत्तर प्रदेश: 'आंबेडकर शोध पीठ' की घोषणा कर कैसे ध्रुवीकरण की नई जमीन तैयार कर रही भाजपा?

राणा सांगा विवाद के जरिए दलितों के बीच पैठ बनाने की समाजवादी पार्टी (सपा) की कोशिशों के बीच योगी ने संविधान के सहारे ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनावी बिसात बिछाई.

Special Report / Agra
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 अप्रैल को आगरा में डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती के अवसर पर.

आगरा की आवास विकास कॉलोनी में डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर सजने वाली भीमनगरी की शुरुआत करीब तीन दशक पहले हुई थी. इस बार तीन दिवसीय आयोजन में भव्य मंच पर पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 अप्रैल को मौजूद थे.

उन्होंने आंबेडकर का नाम लेकर भाषण की शुरुआत की. राणा सांगा विवाद के जरिए दलितों के बीच पैठ बनाने की समाजवादी पार्टी (सपा) की कोशिशों के बीच योगी ने संविधान के सहारे ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनावी बिसात बिछाई.

उन्होंने भाजपा को संविधान विरोधी साबित करने वाली मुहिम के सामने विपक्ष के ही संविधान विरोधी होने के उदाहरण पेश किए. सपा और कांग्रेस को संविधान विरोधी बताते हुए योगी ने आंबेडकर अनुयायियों से इन पार्टियों से बचने की अपील की. करीब 31 मिनट के भाषण में सबसे ज्यादा तालियां उस वक्त बजीं जब योगी ने आगरा में आंबेडकर शोध पीठ और बौद्ध विहार को राजकीय दर्जा देने की घोषणा की.

मुख्यमंत्री के दौरे के चार दिन बाद 19 अप्रैल को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन को समर्थन देने आगरा पहुंचे. संजय प्लेस स्थित एचआइजी फ्लैट्स सोसाइटी में सुमन के घर के बाहर 26 मार्च को हिंसा भड़क उठी थी, जो कथित तौर पर करणी सेना का काम था. अखिलेश ने करणी सेना को 'योगी सेना’ करार दिया और आरोप लगाया कि यूपी सरकार ने दलित सांसद के घर पर हमले को प्रायोजित किया.

सुमन ने पिछले महीने राज्यसभा में कहा था कि मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने लोधी शासन को खत्म करने के लिए मुगल वंश के संस्थापक बाबर को भारत बुलाया था, जिसके कारण करणी सेना ने विरोध प्रदर्शन किया था. अखिलेश ने कहा कि दलित सांसद के घर पर हमला मुख्यमंत्री योगी की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के प्रति नफरत को दर्शाता है.

सुमन के बयान के समर्थन को राज्य में दलित बनाम उच्च जाति की रणनीति को तेज करने के एक प्रयास के रूप में देखा गया. अखिलेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि थानों में एसएचओ की तैनाती में पीडीए की अनदेखी की जा रही है. सपा ने एक सूची जारी की, जिसमें अखिलेश ने दावा किया कि आगरा के 48 पुलिस स्टेशनों में से केवल 15 एसएचओ पीडीए के हैं, जबकि बाकी ठाकुर हैं.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव 19 अप्रैल को आगरा में पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के साथ.

इस तरह अखिलेश ने सुमन के जरिए दलितों की जाटव बिरादरी में साइकिल की ओर ध्रुवीकरण कराने की कोशिश शुरू कर दी है जिसे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का परंपरागत वोटर माना जाता है. आगरा की सामाजिक संरचना ने इसे राजनैतिक पार्टियों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना दिया है. ताज नगरी में दलितों की आबादी महत्वपूर्ण है, जिनमें काफी लोग जूते बनाने के काम से जुड़े हैं. राजनैतिक गलियारों में आगरा को यूपी की 'दलित राजधानी’ भी कहा जाता है.

आगरा जिले में नौ विधानसभा सीटें और 15 लाख से अधिक दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक मतदाता हैं. बाह विधानसभा सीट छोड़कर बाकी आठ सीटों पर सपा का खाता कभी नहीं खुला. 30 साल तक सपा तीसरे नंबर की पार्टी रही. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा, कांग्रेस और रालोद ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा. इससे सपा गठबंधन का प्रभाव बढ़ा और आगरा की छह विधानसभा सीटों पर यह दूसरे नंबर पर था. इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे. 

आगरा के आंबेडकर विश्वविद्यालय में डीन फॉरेन स्टूडेंट्स अफेयर प्रो. लवकुश पांडेय बताते हैं, ''2024 के लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के क्रम को 2027 के विधानसभा चुनाव में जारी रखने के लिए सपा को नए जनाधार की जरूरत होगी.

इसीलिए सपा रामजी लाल सुमन के आवास पर हमले को दलितों पर हमले के रूप में प्रचारित कर पश्चिमी यूपी की जाटव बिरादरी में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.’’ सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आगरा में सामाजिक न्याय की नई क्रांति का नारा दिया. उन्होंने कहा कि आगरा सामाजिक न्याय की वैचारिक लड़ाई का नया केंद्र बनकर उभरेगा.

लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों में से महज 33 सीट जीत पाने वाली भाजपा ने भी हिंदुत्व की राजनीति को और आक्रामक ढंग से धार देना शुरू किया है. पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल के पश्चिमी द्वार पर स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.

इस मौके पर आयोजित सभा में उन्होंने कहा, ''अगर हम एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे. बंटेंगे तो कटेंगे. बांग्लादेश में देख रहे हो न, वो गलती यहां नहीं होनी चाहिए...’’ यहीं से 'बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा आदित्यनाथ की हिंदुत्व की राजनीति का पर्याय बन गया.

बीते आठ महीने के दौरान मुख्यमंत्री योगी पांच बार आगरा आ चुके हैं. मुगल विरोधी भावनाओं को उभारकर हिंदुत्व को धार देना आगरा में भाजपा की रणनीति का हिस्सा है. भाजपा ने एक रणनीति के तहत मुगलिया शान के प्रतीक आगरा के किले के आसपास उन व्यक्तियों की प्रतिमाएं स्थापित कराई हैं जिन्होंने मुगलों को चुनौती दी थी (देखें बॉक्स). इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी ने पिछड़े वर्ग के राठौर समाज के महापुरुष दुर्गादास राठौर की लंबे समय से स्थापित प्रतिमा का विधिवत अनावरण कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी. 

इसी क्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 19 फरवरी को उत्तर प्रदेश के आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में एक भव्य स्मारक बनाने की कसम खाई थी, जहां मराठा योद्धा राजा को कभी मुगल सम्राट औरंगजेब ने बंदी बनाकर रखा था.

भाजपा के नेतृत्व वाली दोनों सरकारें स्मारक के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही हैं, जिसके बारे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा था, ''मैं अपनी मां की कसम खाता हूं, एक बार यह स्मारक बनकर तैयार हो जाए, तो इसे देखने के लिए आपके ताज महल से भी ज्यादा लोग आएंगे. अगर वे नहीं आते हैं, तो आप मेरा नाम बदल सकते हैं.’’

भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व के एजेंडे से निबटने के लिए सपा भी नई सियासी जमीन तैयार करने में जुटी है. सपा विभिन्न अपराधों में पीड़ितों को आर्थिक मदद देकर आगरा में मतदाताओं से भावनात्मक रिश्ता जोड़ने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने हाथरस भगदड़ कांड में मारे गए आगरा के 17 लोगों को एक-एक लाख रुपया बांटा है. इस तरह दूर तक सुनाई पडऩे वाले आगरा के सियासी संग्राम की गूंज में भाजपा और सपा का दांव किस करवट बैठेगा, यह 2027 के विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बताएंगे.

निर्णायक हैं जाटव मतदाता
●आगरा में दलितों में जाटव मत निर्णायक हैं. आगरा लोकसभा सीट में एत्मादपुर, छावनी, दक्षिण, उत्तरी और जलेसर समेत पांच विधानसभाएं शामिल है. सभी में जाटव मतदाता खासी संख्या में हैं. 

●राजनैतिक पार्टियों के अनुमान के मुताबिक, आगरा के छावनी विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख, एत्मादपुर 1.75 लाख, दक्षिण 1.50 लाख, जलेसर में 1 लाख, उत्तरी में 90 हजार जाटव दलित वोटर हैं. 

●दलित आबादी के कारण ही आगरा में बसपा की धमक दिखाई देती थी. वर्ष 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में चुनाव में बसपा ने आगरा जिले की नौ सीटों में से छह पर जीत दर्ज की थी. 

●भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में आगरा जिले की सभी नौ सीटों पर कब्जा किया. 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आगरा में फिर इन नतीजों को दोहराया.

●वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आगरा सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई. भाजपा उम्मीदवार एस.पी. सिंह बघेल ने सपा उम्मीदवार सुरेश चंद्र कर्दम को ढाई लाख से अधिक मतों से हराया. 

●बसपा आगरा लोकसभा सीट पर कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के वोट प्रतिशत में 22 प्रतिशत की गिरावट और सपा में 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाई दी. 

●आगरा में भाजपा के प्रमुख जाटव नेता बेबी रानी मौर्य, डॉ. जी.एस. धर्मेश, डॉ. रामबाबू हरित, गुटियारी लाल दुबेश और अशोक पिप्पल हैं. 

प्रतिमाओं से मुगल विरोध 
●दुर्गादास राठौर: आगरा किले के पूर्वी ओर मंडी चौराहे पर स्थापित दुर्गादास राठौर की 15 फुट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा का अनावरण पिछले साल 26 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. दुर्गादास ने मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना को शिकस्त दी थी.

●गोकुला जाट: शाहजहां गार्डन के सामने विक्टोरिया पार्क तिराहे पर वीर गोकुला जाट की 17 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण 1 अक्तूबर, 2022 को हुआ था. 1666 में तिलपत की लड़ाई में औरंगजेब की सेना को हराया था. 1670 को आगरा किले के सामने शहादत दी. 

●छत्रपति शिवाजी: 19 फरवरी, 2001 को तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने आगरा किले के अमर सिंह गेट (पूर्व में लाहौरी गेट) के सामने शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण किया था. औरंगजेब ने आगरा किले में शिवाजी को नजरबंद किया जहां से वे निकल गए थे.

●महाराणा प्रताप: आगरा किले के उत्तरी छोर से आगे यमुना किनारा रोड एत्मादउद्दौला व्यू पॉइंट पर बादशाह अकबर के खिलाफ संघर्ष करने वाले महाराणा प्रताप की 18 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण 20 अक्तूबर, 2022 को किया गया था.

रुकी योजनाओं को मिली गति 
●दशकों से लंबित आगरा-जलेसर फोर लेन हाइवे 685 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा. आगरा और एटा में किसानों को अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा वितरण 80 फीसद पूरा.

●योगी सरकार ने बजट में ताज महल की नींव की सुरक्षा और नौकायन व्यवस्था के लिए यमुना नदी के डेढ़ किलोमीटर डाउन स्ट्रीम में लंबित रबड़ डैम निर्माण के लिए 60 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. 

●सरकार ने चार साल के विलंब से आगरा का पहला जीआइएस आधारित मास्टर प्लान-2031 स्वीकृत किया है. इसमें इनर रिंग रोड, मेट्रो और सिविल इन्क्लेव के आसपास विकास को गति मिलेगी. 

●बटेश्वर के विकास और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के पैतृक गांव पर स्मारक के लिए 94 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं. बटेश्वर में यमुना किनारे शिव मंदिर कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है.

●आगरा में 38 करोड़ रुपए से साइंस सिटी, नक्षत्रशाला बनेगी. शिवाजी म्यूजियम के लंबित प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 25 करोड़ रुपए और 105 करोड़ रुपए एस. एन. मेडिकल कॉलेज को मिले हैं. 

●फाउंड्री नगर में 125 करोड़ रुपए की लागत से फ्लैटेड फैक्ट्री का निर्माण हो रहा है. चार मंजिला परिसर में 200 से ज्यादा गारमेंट, प्रिंटिंग जैसी  फैक्ट्रियां  लगेंगी.

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